देश

अखिलेश यादव ने हरियाणा वाला बदला कांग्रेस से यूपी में कैसे लिया ! पढ़ें पूरी इनसाइड स्टोरी


नई दिल्ली:

अखिलेश यादव कहते हैं बात सीट की नहीं, जीत की है. बस इसी फ़ॉर्मूले से तो उन्होंने कांग्रेस पर चरखा दांव चल दिया. ठीक अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तरह. सामने वाला समझ रहा था हमने बाजी मार ली. पर आख़िरी समय में अखिलेश यादव ने पूरी बाज़ी ही पलट दी. अब तो कांग्रेस के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा. कांग्रेस भी अकेले चुनाव लड़ने का रिस्क लेने को तैयार नहीं है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि यूपी में न ही राहुल गांधी काम आए, न एकला चलो वाली प्रेशर पॉलिटिक्स. आख़िर में समाजवादी पार्टी अब यूपी की सभी नौ सीटों पर “अकेले” चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस के खाते में कोई सीट नहीं. पर अखिलेश यादव बता रहे हैं कि यूपी में इंडिया गठबंधन चुनाव लड़ रहा है. 

जब हरियाणा में बिगड़ी थी बात

ऐसे मे अगर ये कहें कि हरियाणा का बदला क्या अखिलेश यादव ने यूपी में ले लिया, तो इसमें कुछ गलत जैसा नहीं होगा. हरियाणा के चुनाव में भी तो यही तय हुआ था कि समाजवादी पार्टी को दो सीटें मिलेंगी. सब ये मानते थे कि वहां समाजवादी पार्टी का न कोई ख़ास जनाधार है. न ही उनका मज़बूत संगठन है. लेकिन इंडिया गठबंधन की मज़बूती के लिए राहुल गांधी तैयार हो गए थे. पर हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तैयार नहीं हुए. वे अड़ गए और समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस ने कोई सीट नहीं छोड़ी. फिर अखिलेश ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर ये कहा था कि हमें कांग्रेस को समर्थन जारी रहेगा.  

यह भी पढ़ें :-  Lok Sabha Elections 2024 Phase 4 Live Updates: लोकसभा चुनाव का चौथा चरण, 96 सीटों पर मतदान जारी, अखिलेश, ओवैसी, अधीर रंजन, गिरिराज का इम्तिहान

फूलपुर सीट पर हुआ मंथन

यूपी उपचुनाव को लेकर बुधवार को वायनाड रवाना होने से पहले राहुल गांधी ने अखिलेश यादव से बातचीत की . मसला सीटों की संख्या को लेकर नहीं, सीट पर था. प्रियंका गांधी चाहती थीं कि फूलपुर की सीट कांग्रेस को मिल जाए. श्रीनगर में अखिलेश से जब उनकी मुलाक़ात हुई तभी उन्होंने ये डिमांड की थी. तब तक समाजवादी पार्टी वहां से उम्मीदवार तय कर चुकी थी. लखनऊ लौटने के बाद अखिलेश ने अपने करीबी नेताओं से पूछा क्या करना चाहिए. सबने कहा फूलपुर में हम मज़बूत हैं तो फिर कांग्रेस को ये सीट क्यों दें. 

Latest and Breaking News on NDTV

अखिलेश यादव का दांव आया काम

फिर राहुल गांधी के फ़ोन के बाद अखिलेश यादव ने अपने नेताओं से कहा हम फूलपुर नहीं लड़ेंगे. इस बात की जानकारी यूपी कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे को दे दी गई. समाजवादी पार्टी कैंप से बताया कि कांग्रेस के लिए ग़ाज़ियाबाद और फूलपुर की सीटें छोड़ी गई हैं. कांग्रेस शुरुआत से ही ग़ाज़ियाबाद की सीट नहीं लेना चाहती थी. इस सीट पर बीजेपी ही जीतती रही है. इसी दौरान राहुल गांधी वायनाड में प्रियंका के नामांकन में व्यस्त हो गए. कांग्रेस को बुधवार समाजवादी पार्टी से सीटों के गठबंधन पर औपचारिक घोषणा करनी थी. पर उससे पहले ही समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने फूलपुर से नामांकन कर दिया. कांग्रेस नेताओं ने समाजवादी पार्टी से पूछा अब क्या करें ! जवाब आया हम अपना उम्मीदवार वापस लें लेंगे. यहीं चल गया अखिलेश यादव का चरखा दांव. वे कुश्ती तो नहीं लड़े पर ये दांव उन्हें अपने पिता मुलायम सिंह यादव से विरासत में मिल गई. समाजवादी पार्टी अपना उम्मीदवार वापस लेती तो कांग्रेस के खिलाफ ये मैसेज जाता. संदेश ये था कि कांग्रेस के दवाब में अखिलेश को अपना मुस्लिम उम्मीदवार वापस लेना पड़ा. इससे कांग्रेस के नुक़सान हो सकता था.

यह भी पढ़ें :-  हरियाणा में कांग्रेस की हार के बहाने अखिलेश ने दिया ये मैसेज

Latest and Breaking News on NDTV

बैठक में हुआ बड़ा फैसला

इसके बाद कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को सीटों के समझौते को लेकर नय प्रस्ताव भेजा. यूपी प्रभारी अविनाश पांडे ने संदेश भेजा कि हमें मीरापुर और मंझवा में से कोई सीट दे दी जाए. पर हमें दूसरी सीट ग़ाज़ियाबाद नहीं चाहिए. खैर सीट पर हम लड़ने को तैयार हैं. पर मीरापुर और मंझवा मिल जाये तो सबसे अच्छा. सूत्र बताते हैं कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय अपने बेटे को मंझवा से लड़ाना चाहते थे. सहारनपुर से कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद अपने किसी करीबी नेता को मीरापुर से टिकट दिलाने में जुटे थे. विधानसभा की दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों का एलान कर चुकी थी. कांग्रेस के प्रस्ताव पर अखिलेश यादव ने अपने करीबी नेताओं से चर्चा की. फ़ैसला हुआ कांग्रेस को मीरापुर और मंझवा की सीटें नहीं दी जा सकती हैं. फ़ैसले की जानकारी यूपी प्रभारी अविनाश पांडे को दे दी गई. 

Latest and Breaking News on NDTV

कांग्रेस नहीं लडे़गी उपचुनाव

कांग्रेस के पास फिर से पुराना विकल्प बचा रह गया. अलीगढ़ की खैर और ग़ाज़ियाबाद सदर सीटों से चुनाव लड़ने का. पर यहाँ चुनाव लड़ना लगभग न लड़ने के बराबर ही है. इन दोनों विधानसभा सीटों पर बीजेपी को हराना बड़ा कठिन काम है. कांग्रेस को लगा हम समाजवादी पार्टी का ऑफ़र मान लें और बुरी तरह हार भी जायें तो क्या फ़ायदा ! इससे बेहतर हैं समाजवादी पार्टी पर “उपकार” करना. फिर देर शाम कांग्रेस पार्टी ने तय किया कि हम इस बार विधानसभा का उप चुनाव नहीं लड़ेंगे. महीने भर पहले यही पार्टी ज़रूरत पड़ने पर सभी सीटों पर अकेले लड़ने का दम भर रही थी. पार्टी पाँच सीटों की माँग पर अड़ी रही. लेकिन हाल आख़िर में हरियाणा वाला हुआ. 

यह भी पढ़ें :-  पेपर लीक कानून के दायरे में नहीं आएंगे छात्र और अभ्यर्थी : केंद्रीय मंत्री; लोकसभा में पास हुआ बिल



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button