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लोकसभा चुनाव से पहले BJP कैसे कर रही AI का इस्‍तेमाल? जानिए दक्षिण में जीत के लिए क्‍या है तैयारी

सूत्रों ने कहा कि यह तथ्य है कि आठ में से चार भाषाएं दक्षिण की हैं, यह कोई संयोग नहीं है. 2019 में भाजपा ने दक्षिणी राज्यों में 129 लोकसभा सीटों (पुडुचेरी सहित 130) में से केवल 29 सीटें जीती थीं और इनमें से अधिकांश कर्नाटक से आई थीं, जहां विधानसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस सत्ता में है. 

इस तकनीक का इस्तेमाल पिछले साल दिसंबर में आयोजित काशी तमिल संगमम में भी हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का तमिल में अनुवाद किया गया था. पीएम मोदी ने उस वक्‍त अपने श्रोताओं से कहा था, “यह नई शुरुआत है और उम्मीद है कि इससे मेरे लिए आप तक पहुंचना आसान हो जाएगा.”

तेलुगु देशम पार्टी के सांसद के रघुराम कृष्ण राजू से जब यह पूछा गया कि पीएम मोदी के भाषणों के अनुवाद से कोई फर्क पड़ेगा तो उन्‍होंने The Hindkeshariसे कहा, “इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा. दक्षिण में लोग अपनी स्थानीय भाषाओं को बेहद पसंद करते हैं और अगर ऐसा लगता है कि अगर कोई हमारे साथ हमारी भाषा में बातचीत कर रहा है तो हम उनसे प्यार करते हैं. पीएम मोदी जैसा महान व्यक्तित्व ऐसा करने से तेलुगू लोगों का दिल जीत लेगा.”

राजू की यह टिप्पणी उनकी पार्टी और भाजपा के बीच लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन की अटकलों के बीच आई है. 

भाषाओं का चयन भी महत्‍वपूर्ण 

भाजपा द्वारा अन्य भाषाओं का चयन भी रणनीतिक रूप से महत्‍व रखता है. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल क्रमशः दूसरे और तीसरे सबसे ज्यादा संख्या में सांसद लोकसभा में भेजते हैं. पार्टी इन राज्यों में अपनी संख्या बेहतर करने के लिए काफी प्रयास कर रही है. 2019 में उसने महाराष्ट्र में 23 सीटें जीती थीं, जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. बंगाल में वह राज्य की 42 सीटों में से 18 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और इसे पार्टी की बड़ी जीत के रूप में देखा गया था. ओडिशा में पार्टी ने 21 में से 8 सीटें जीती थीं और पंजाब में 13 में से 2 सीटें हासिल की थीं. 

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अनुवादित भाषण एक्स के कुछ हैंडल पर उपलब्ध होंगे, जिनमें @NaMoInBengali, @NamoinKannada, @NaMoinTamil, @NaMoinTelugu और @NaMoinMarthi शामिल हैं. इनमें से कुछ हैंडल पर पिछले महीने के पीएम के भाषण भी हैं. 

हर स्‍तर पर टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल 

भाजपा ने आईटी सेल और सोशल मीडिया विशेषकर व्हाट्सएप का लाभ उठाने से लेकर 2014 की शुरुआत में प्रचार के लिए नरेंद्र मोदी के होलोग्राम के उपयोग तक यह सुनिश्चित करने में कसर नहीं छोड़ी है कि उसका संदेश हर संभावित मतदाता तक पहुंचे. 

साथ ही पार्टी ने जमीनी स्तर से फीडबैक हासिल करने, डेटाबेस तैयार करने और यहां तक ​​कि निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों चुनने में मदद करने के लिए भी NaMo ऐप का उपयोग किया है. इस ऐप का इस्तेमाल ‘डोनेशन फॉर नेशन बिल्डिंग’ अभियान के तहत पार्टी के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए भी किया जा रहा है. 

साथ ही पीएम मोदी के बारे में उनसे बातचीत करने वाले लोगों द्वारा बताई गई प्रेरणादायक कहानियां साझा करने के लिए भी पार्टी मोदी स्टोरी नामक वेबसाइट भी चलाती है. 

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