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Explainer: UP में कैसे दलितों के मसीहा बन रहे चंद्रशेखर आजाद?

बता दें कि यूपी के करीब 21 फीसदी दलित वोटर्स री राजनीति की दिशा तय करते है. हार और जीत में इस वोट बैंक का सबसे अहम रोल है. दलित वोटों की इस लिस्ट में नगीना सीट भी शामिल है. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर 2015 से ही दलित उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सक्रिय भमिका निभाते रहे हैं. उनकी पार्टी का दावा है कि उसका मकसद जाति पर आधारित हमले और दंगों के खिलाफ आवाज बुलंद करने और दलित बच्चों में शिक्षा का प्रसार करना है.

चंद्रशेखर ने कैसे किया करिश्मा?

चंद्रशेखर दलितों के हक की आवाज को उठाते आए हैं. वह अपने भाषणों और रैलियों में कभी दलितों की मसीहा माने जाने वाली मायावती को निशाने पर लेते रहे हैं. उनका आरोप है कि मायावती ने दलितों के लिए ठीक तरीके से काम ही नहीं किया. इसका खामियाजा दलित समाज भुगत रहा है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब वही हैं जो दलितों के हक की आवाज को बुलंद कर सकते हैं और उनके मुद्दों को मुखरता से संसद में उठा सकते हैं. नगीना के दलित और मस्लिमों ने इस बार चंद्रशेखर पर भरोसा भी जताया है. अब उनके सामेन इस भरोसे पर खरा उतरने की चुनौती होगी. 



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