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लोकसभा चुनावों में मोदी ब्रांड कितना अहम? NDA को रोकने के लिए क्या होगा INDIA का काउंटर प्लान?

चुनावों में कई ऐसे फैक्टर होते हैं, जो नतीजों पर सीधा असर डालते हैं. भारत में चुनाव और पीएम मोदी इसका उदाहरण हैं. मोदी लगातार दूसरी बार स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं. आज मोदी लोकप्रियता में वैश्विक नेताओं में भी सिरमौर हैं. उनकी रेटिंग करीब 78% है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से करीब दोगुनी है. सर्वे में वे अपनी पार्टी बीजेपी से भी अधिक लोकप्रिय हैं. बीजेपी लोकसभा ही नहीं, विधानसभा चुनावों में भी उनके चेहरे पर दांव लगाती है. 

The Hindkeshariके खास शो ‘चुनाव इंडिया का-इलेक्शन डेटा सेंटर’ में मशहूर ब्रांड गुरु दिलीप चेरियन ने बताया कि कैसे ब्रांड मोदी और ब्रांड इंडिया आपस से जुड़े हुए हैं. दिलीप चेरियन कहते हैं, “मार्केटिंग में ब्रांड वैल्यू होती है. राजनीति में भी ब्रांड बड़ा रोल प्ले करता है. जैसा ब्रांड मोदी का बना, वैसा कोई दूसरा नेता भी तो बना सकता था, उन्हें ऐसा करने से किसी ने रोका था क्या. लेकिन मोदी ही ऐसा कर पाए. आज मोदी ब्रांड और इंडिया ब्रांड आपस में जुड़ गए हैं. इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर आप इसकी झलक देख सकते हैं.”

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, “ब्रांड कैसे बनता है? केवल तामझाम, शो ऑफ करने, इवेंट करने से क्या कोई इमेज बना सकता है? नहीं… ब्रांड बनने के लिए आपमें लीडरशिप क्वालिटी होनी चाहिए. अपील होनी चाहिए, जो पीएम मोदी में बखूबी है. हालांकि, खुद मोदी पार्टी की आंतरिक बैठकों में कहते हैं कि मेरे भरोसे मत रहो. बूथ पर काम करो. हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाओ. यानी संगठन प्लस ब्रांड मोदी ही बीजेपी की असली ताकत है.” 

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पीएम मोदी आजादी के बाद जन्मे पहले प्रधानमंत्री हैं. वो लगातार दूसरी बार स्पष्ट बहुमत से सत्ता में लौटे. मोदी स्पष्ट बहुमत से वापसी करने वाले नेहरु-इंदिरा के बाद तीसरे पीएम हैं. वह रिकॉर्ड 24 साल से पब्लिक ऑफिस में हैं. आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं. X (ट्विटर) पर  उनके 9.7 करोड़ और इंस्टाग्राम पर 8.8 करोड़ फ़ॉलोअर्स हैं. फ़ेसबुक पर पीएम मोदी को क़रीब 5 करोड़ लोग फॉलो करते हैं.

मोदी ब्रांड ने कैसे पलटी BJP की किस्मत?

पीएम मोदी ने BJP की कैसे किस्मत पलट दी, इसका अंदाजा आंकड़े देखकर लगाया जा सकता है. साल 1984 में BJP को लोकसभा चुनाव में महज दो सीटों पर जीत हासिल हुई और मत प्रतिशत 7.4 रहा. साल 1989 के लोकसभा चुनाव में BJP को 85 सीटों पर जीत हासिल हुई और मत प्रतिशत 11.4 रहा. 1991 के लोकसभा चुनाव में 20.1 मत प्रतिशत के साथ सीटों की संख्या 120 तक पहुंची. साल 1996 के लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत में मामूली इजाफा हुआ. 20. 3 मत प्रतिशत के साथ सीटों की संख्या 161 हो गई. 1998 के लोकसभा चुनाव में 25.6 मत प्रतिशत के साथ BJP की कुल सीटें 182 हो गईं. 1999 के लोकसभा चुनावों में मत प्रतिशत घटकर 23.8 पर पहुंचा, लेकिन सीटों की संख्या 182 ही रही. साल 2004 में मत प्रतिशत और घटकर 22.2 पर पहुंच गया और सीटों की संख्या भी कम होकर 138 हो गई. साल 2009 के लोकसभा चुनावों में मत प्रतिशत और तेजी से गिरा और 18.8 पर पहुंच गया. सीटों की संख्या भी गिरकर 116 रह गई. साल 2014 में नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय फलक पर आए और इस चुनाव में मत प्रतिशत 31 तक पहुंच गया और लोकसभा सीटों की संख्या 282 पर पहुंच गई. साल 2019 में मत प्रतिशत और तेजी से बढ़ा और 37.7 पर जा पहुंचा. 2019 में BJP की लोकसभा सीटों की संख्या 303 हो गई.

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 मोदी मैजिक के क्या हैं कारण?

-राजनीति में पर्सनल टच

-अच्छे वक्ता

-आस्था और विकास की जुगलबंदी

-लाभार्थी योजनाएं

-फैसले लेने वाले राजनेता की छवि

-मजबूत वैश्विक नेता बनकर उभरे

-हिंदू राष्ट्रवादी की छवि

-मेहनती नेता के तौर पर पहचान

-सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं

-पार्टी अनुशासन का कठोरता से पालन

-गरीबों, पिछड़ों के हिमायती 

-महिला सशक्तीकरण पर ज़ोर

-देश को आर्थिक शक्ति बनाने की ललक

-परिवारवाद के विरोधी


 

पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में NDA के लिए 400 पार सीटों और अकेले BJP के लिए 370 सीटों का टारगेट रखा है. 1984 में राजीव गांधी के 414 सीटों के रिकॉर्ड को पार करने के लिए ये टारगेट रखा गया है.1984 में BJP ने अपनी चुनावी शुरुआत की थी, तब पार्टी को 2 लोकसभा सीटें मिली थी.

‘मोदी की गारंटी’का चुनाव में दिखेगा असर?

‘मोदी की गारंटी’ नारा पिछले नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान पहली बार सामने आया. बीजेपी किसी भी राज्य में बिना सीएम चेहरे के चुनाव में उतरी. उन्होंने पीएम मोदी के डिलीवरी के ट्रैक रिकॉर्ड को सामने रखा, जिसके बाद हिंदी पट्टी के तीन राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में बीजेपी का परचम लहराया. 

अब बीजेपी 2024 के आम चुनाव को जीतने के लिए तैयार है. अगर बीजेपी जीत हासिल करती है, तो मई 2029 तक तीन कार्यकाल पूरा करने वाले पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री बन सकते हैं. बता दें कि पूर्व पीएम नेहरू का उनके तीसरे कार्यकाल के पूरा होने से दो साल पहले निधन हो गया था.

INDIA अलायंस का क्या है काउंटर प्लान?

मोदी ब्रांड का सामना करने के लिए फिलहाल न तो कांग्रेस के पास कोई प्लान है और न ही विपक्षी दलों को INDIA अलायंस के पास कोई रणनीति है. मोदी के नेतृत्व और उनकी रणनीति के सामने अभी तो INDIA अलायंस बिखरा हुआ दिख रहा है. कांग्रेस अभी भी एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है जो बीजेपी से लड़ सकती है. लेकिन, पार्टी दिसंबर में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद से असमंजस में है. सीट बंटवारे पर INDIA गठबंधन में सहयोगी दल अलग-अलग रुख अपना रहे हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा, कांग्रेस के 2019 के न्यूनतम मूल आय का वादा और 2023 की मेहनत अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके. ऐसे में सबसे पहले तो गठबंधन को एकजुट होकर एक रणनीति बनानी होगी और उसपर अमल करना होगा.

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