हरियाणा चुनाव 2024: समर्थन देने वाले कितने निर्दलियों को BJP ने दिया टिकट, कांग्रेस है क्या हाल
नई दिल्ली:
हरियाणा में विधानसभा चुनाव का मैदान सज चुका है.सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिए हैं. प्रदेश में पिछले 10 साल से सरकार चला रही बीजेपी ने सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. वहीं कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.भिवानी सीट उसने इंडिया ब्लॉक में अपनी सहयोगी माकपा के लिए छोड़ी है. दिल्ली में सरकार चला रही आप भी सभी विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है. कुछ महीने पहले तक बीजेपी की साझीदार रही जननायक जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से समझौता किया है. वहीं राज्य में कई बार सरकार चला चुकी इंडियन नेशनल लोक दल ने बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया है.
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय विधायक चुने गए थे. इनके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) एक और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक-एक सीट मिली थी.चुनाव जीतने वाले निर्दलीय विधायक थे,पुंडरी से रणधीर गोलेन, महम से बलराम कुंडू, रानियां से रणजीत सिंह चौटाला, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, दादरी से सोमवीर सांगवान, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और पृथला से नयन पाल रावत. इनमें से बलराम कुंडू को छोड़कर बाकी सभी निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी की सरकार को समर्थन दिया था.इनके मदद से बीजेपी ने प्रदेश में सरकार चलाई.
वहीं बीजेपी से नाराज कुछ निर्दलीय विधायक लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पाले में खड़े हो गए थे. इनमें धर्मपाल गोंदर,रणधीर गोलन और सोमबीर के नाम शामिल हैं. लेकिन कांग्रेस ने केवल धर्मपाल गोंदर को ही टिकट थमाया है.वहीं एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया था.
कितने निर्दलीय विधायकों को बीजेपी ने दिए हैं टिकट
बीजेपी पर चाहें जितना बड़ा आरोप लगा हो, लेकिन इन विधायकों ने उसका साथ नहीं छोड़ा. लेकिन जब इन विधायकों को टिकट देने की बारी आई तो उसने मुंह फेर लिया.उसने समर्थन देने वाले किसी भी विधायक को टिकट नहीं दिया है.लोकसभा चुनाव से पहले रणजीत सिंह चौटाला बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी ने उन्हें हिसार से उम्मीदवार भी बनाया था. लेकिन वो हार गए हैं. विधानसभा चुनाव में वो रानिया से ही टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी उन्हें टिकट नहीं दिया है. अब वो फिर रानिया से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. इनके अलावा तीन और निर्दलीय विधायक भी चुनाव मैदान में हैं. आइए जानते हैं फिर मैदान में खड़े निर्दलीय विधायकों के बारे म
रणजीत चौटाला
साल 2019 के चुनाव में रानियां से हरियाणा लोकहित पार्टी के गोबिंद कांडा को 19 हजार 431 वोटों के अंतर से हराया.कांग्रेस से बगावत कर मैदान में उतरे थे.मनोहर लाल खट्टर की बीजेपी सरकार को समर्थन दिया.सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने हिसार लोकसभा सीट से टिकट दिया. लेकिन हार गए. इस बार रानियां से टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने नहीं दिया. अब बीजेपी छोड़ निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.
रणधीर सिंह गोलन
पुंडरी से रणधीर सिंह गोलन 2019 में कांग्रेस के सतबीर भाना को 12 हजार 824 वोटों से हराया था. विधायक बनकर मनोहर लाल खट्टर सरकार को समर्थन दिया. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पाले में चले गए. कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया है. अब पुंडरी से निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.
सोमबीर सांगवान
बीजेपी के बागी सोमवीर ने 2019 का विधानसभा चुनाव दादरी विधानसभा सीट से लड़ा. सत्यपाल सांगवान को 14 हजार 272 वोट से हराया.पहले बीजेपी सरकार को समर्थन दिया और बाद में कांग्रेस के साथ हो लिए. लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इस वजह से इस बार चुनाव से दूरी बना ली.बीजेपी ने इस बार सुनील सांगवान को टिकट दिया है.
नयनपाल रावत
फरीदाबाद की पृथला से निर्दलीय जीतने वाले नयनपाल रावत ने आखिरी समय तक बीजेपी का साथ नहीं छोड़ा.वह बीजेपी से टिकट के प्रबल दावेदार थे,मगर ऐन वक्त पर पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया. रावत अब एक बार फिर पृथला से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने इस बार पृथला से टेकचंद्र शर्मा को उम्मीदवार बनाया है.
राकेश दौलताबाद
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर से निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलताबाद ने बीजेपी प्रत्याशी मनीष यादव को हराया था.दौलताबाद के निधन के बाद अब उनकी पत्नी कुमुदिनी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने बादशाहपुर से राव नरवीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में 1169 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से 377 निर्दलीय थे. इनमें से ही 358 जमानत नहीं बचा पाए थे. उस चुनाव में बीजेपी ने 40 और कांग्रेस ने 31 सीटें जीती थीं. पहली बार चुनाव में उतरी जजपा 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इनके अलावा सात निर्दलीय, इनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक-एक सीटें मिली थीं.
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