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पुणे पोर्शे मामला : नाबालिग आरोपी कैसे 3 दिन में जमानत के बाद पहुंचा बाल सुधार गृह


पुणे:

पुणे में देर रात पोर्शे कार से टक्कर के कारण दो बाइक सवार 24 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत के पंद्रह घंटे बाद, गाड़ी चलाने वाला 17 वर्षीय लड़का अपने घर पर था और इसका कारण था शर्तों का साथ उसको मिली जमानत का ऑर्डर. हालांकि, घटना के तीन दिन बाद वह बाल सुधार गृह में है और इस फैसले का इंतजार कर रहा है कि उस पर एक व्यस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाएगा कि नहीं और उसके पिता जेल में हैं. 

रविवार को नाबालिग आरोपी को मिल गई थी जमानत

रविवार को दिल दहला देने वाली इस दुर्घटना के कुछ घंटों बाद ही जुवेनाइल न्याय बोर्ड ने उस नाबालिग को जमानत दे दी थी, जो 200 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से पोर्शे कार चलाने से कुछ समय पहले कैमरे पर शराब पीते हुए पकड़ा गया था. जमानत देते वक्त लड़के के लिए कुछ शर्ते रखी गई थीं. इसमें “सड़क दुर्घटना और उनके समाधान” पर 300 शब्दों का निबंध लिखना, 15 दिनों के लिए यातायात नियमों का अध्ययन करना और शराब पीने की आदत के लिए परामर्श लेना शामिल था.

जमानत की शर्तों से गुस्साए लोग

जमानत और इसकी शर्तों की खबर ने सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर आक्रोश फैलाया, कई लोगों ने आरोप लगाया कि पुणे के एक बड़े रियल एस्टेट एजेंट के बेटे को एक जघन्य अपराध के लिए बहुत हल्के ढंग से छोड़ दिया गया था, जिसके कारण दो लोगों की मौतें हुईं. पुणे पुलिस ने कहा कि उन्होंने बोर्ड से आरोपी पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन इससे इनकार कर दिया गया था. 

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नाबालिग के पिता के खिलाफ भी मामला दर्ज

बढ़ते आक्रोश के बीच पुलिस ने सोमवार को नाबालिग के पिता के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. 17 वर्षीय किशोर और उसके दो दोस्तों को शराब परोसने वाले दो बार के मालिकों और कर्मचारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. इसके अगले दिन ही नाबालिग के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया था. तभी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे में सरप्राइज विजिट करते हुए मामले की जानकारी ली. 



5 जून तो बाल सुधार गृह भेजा गया नाबालिग आरोपी

पुणे पुलिस की समीक्षा याचिका का जवाब देते हुए, किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को नोटिस जारी किया. सुनवाई के दौरान, बोर्ड ने अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए आरोपी को 5 जून तक बाल सुधार गृह में भेज दिया है. एक वयस्क के रूप में उस पर मुकदमा चलाने की अनुमति के लिए पुलिस की याचिका पर, बोर्ड ने प्रतिवादी से जवाब मांगा है. 

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