देश

कंचनजंगा एक्सप्रेस से कैसे भिड़ी मालगाड़ी? उन आखिरी मिनटों में क्या हुआ…वीडियो से सब समझिए

करीब नौ बजे एक मालगाड़ी पीछे से आती है और उसे टक्कर मार देती है. ट्रेन के अंदर चीख-पुकार मच जाती है. लोग जान बचाने के लिए जगह ढूंढने लगते हैं. कोई अपने बच्चों को टटोल रहा होता है और कोई अपने को. देखते-देखते यह खबर आग की तरह देश में फैल जाती है.

यात्रियों की जुबानी हादसा

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव रेल दुर्घटना के बाद राहत और बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए सोमवार को घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं. रेल अधिकारियों से प्राप्त प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यात्री ट्रेन पटरी पर खड़ी थी, तभी मालगाड़ी ने पीछे से उसे टक्कर मार दी. भीषण टक्कर के कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस के दो पिछले डिब्बे तुरंत ही पटरी से उतर गए, जबकि एक अन्य डिब्बा मालगाड़ी के इंजन के ऊपर, अधर में लटक गया.

अधिकारियों ने बताया कि इलाके में खराब मौसम के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है.

कंचनजंगा एक्सप्रेस के कोच संख्या एस6 में सवार अगरतला के एक यात्री ने बताया कि उसे अचानक तेज झटका महसूस हुआ और भीषण आवाज के साथ डिब्बा रुक गया. उसने यह भी दावा किया कि राहत और बचाव कार्यों में देरी हुई. एक टेलिविजन चैनल से बात करते हुए यात्री ने कहा, ‘मेरी पत्नी, बच्चा और मैं किसी तरह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकले. हम अभी भी परेशान ही हैं… बचाव कार्य भी काफी देर से शुरू हुआ.’

सिग्नल सिस्टम खराब होने से हुआ हादसा?

पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली (Automatic Signaling System) सुबह 5.50 बजे से ही खराब थी. इसी स्थान पर एक मालगाड़ी ने सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी है. रेलवे के एक सूत्र ने यह जानकारी दी.

यह भी पढ़ें :-  Lok Sabha Elections 2024: PM मोदी सरकार की लगी Hattrick तो क्या होगा BJP का 100 दिन का प्लान?
सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘सुबह 5:50 बजे से स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के खराब होने के कारण ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगपानी स्टेशन से 6 किलमीटर दूर रुक गई.’

एक अन्य रेलवे अधिकारी के मुताबिक, जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली विफल हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है. सूत्र ने बताया, ‘रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 13174 को ‘टीए 912′ जारी किया था.’ उन्होंने कहा, ‘जीएफसीजे नामक एक मालगाड़ी लगभग उसी समय सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 13174 नंबर ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई, जिसके परिणामस्वरूप गार्ड का डिब्बा, दो पार्सल डिब्बे और एक सामान्य डिब्बा पटरी से पटरी से उतर गए.’

मालगाड़ी के चालक की गलती? 

रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल का उल्लंघन किया था. सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नल को तेज गति से पार करने के लिए ‘टीए 912’ दिया गया था या फिर लोको पायलट ने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया था.

अगर मालगाड़ी को ‘टीए 912′ नहीं दिया गया था तो चालक को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था तथा 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था.

लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया. भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, ‘लोको पायलट की मृत्यु हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बाद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है.’ रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा के अनुसार, टक्कर इसलिए हुई क्योंकि एक मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी. 

यह भी पढ़ें :-  गौतम बुद्ध नगर सीट : 70% अर्बन वोटर्स वाली सीट पर दो डॉक्टर दोस्तों के बीच मुकाबला, जानिए क्या है समीकरण

मुआवजे का रेल मंत्री ने किया ऐलान

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे के गुवाहाटी-दिल्ली मार्ग पर पश्चिम बंगाल के रंगापानी में सोमवार को सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस में एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारणों की जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने शुरू कर दी है. उन्होंने हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए दस-दस लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल यात्रियों को ढाई-ढाई लाख रुपये और मामूली रूप से घायल यात्रियों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया. वहीं रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कंचनजंघा एक्सप्रेस में एक मालगाड़ी ने जहां पीछे से टक्कर मारी वहां ‘कवच’ या ट्रेन टक्कर रोधी प्रणाली उपयोग में नहीं थी. 

 


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button