कैसे थे वर्धमान ग्रुप के मालिक को भेजे गए फर्जी दस्तावेज, देखते ही खा जाएंगे धोखा, ये रही लिस्ट
देश के एक फेमस बिजनेसमैन ऑनलाइन ठगी के नए तरीके डिजिटल अरेस्ट (Vardham Group CMD Digital Arrest) का शिकार हो गए. उन्होंने अपनी मेहनत के 7 करोड़ रुपए ठगों के हवाले कर दिए. वर्धमान इंडस्ट्री के मालिक एसपी ओसवाल को ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बन कुछ ऐसे निशाना बनाया कि वह खुद भी नहीं पहचान सके कि असलियत में ये ठग हैं. ठगों ने उनसे रकम ऐंठने के लिए कौन-कौन से फर्जी दस्तावेज भेजे, यहां जानिए.
ये भी पढ़ें-हैलो मैं CBI से बोल रहा हूं…, मशहूर कंपनी के मालिक से कैसे ठगे 7 करोड़, डिजिटल अरेस्ट की पूरी कहानी जानिए
ईडी का फर्जी अरेस्ट वारंट
एसपी ओसवाल को भेजे गए फर्जी अरेस्ट वारंट में ईडी का असली मोनोग्राम है. अरेस्ट वारंट पर ईडी और मुंबई पुलिस की मोहर लगी है. इस पर ईडी के अधिकारी के तौर पर एक असिस्टेंट डायरेक्टर का नाम और हस्ताक्षर हैं. जबकि असली अरेस्ट वारंट में मुंबई पुलिस की मुहर नहीं होती है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में नोटरी की मुहर लगी है. इस पर बार एसोसिएशन की कई तरह की मुहर लगी हैं, जिस पर सत्यमेव जयते लिखा है और तराजू बना है,लाल रंग के डॉट की मुहर भी है. इस पर 3 रेवेन्यू टिकट लगे हैं. .रिट पिटिशन नंबर 188 लिखा हुआ है, जबकि असली आदेश में एक बार कोड और डिजिटल साइन होते हैं.
रिट पिटिशन
रिट पिटिशन में अशोक की लाट और चक्र बना हुआ है. जबकि असली में ऐसा नहीं होता है. इस पर एसपी ओसवाल का आधार कार्ड नंबर लिखा हुआ है. जस्टिस वाईएस चंद्रचूर्ण VS एसपी ओसवाल लिखा हुआ है.
क्या है पूरा मामला ?
पद्मभूषण अवॉर्ड से सम्मानित जाने माने उद्योगपति एसपी ओसवाल को 28 और 29 अगस्त को डिजिटल अरेस्ट रखा गया. इस दौरान skype से लगातार उनकी निगरानी रखी गई. उन्हें जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल के मनी लांड्रिंग केस में फंसाने का डर दिखाकर ईडी मुंबई का फर्जी अरेस्ट वारंट वॉट्सऐप पर भेजा गया. उनसे ये भी कहा गया कि उनके नाम से एक संदिग्ध पार्सल मुंबई से बाहर गया है.
फर्जी कोर्ट, फर्जी CJI और ऐंठ लिए 7 करोड़
Skype पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का फर्जी कोर्ट दिखाया गया, जहां उनके केस की ऑनलाइन सुनवाई भी किसी ठग ने फर्जी चीफ जस्टिस वाई एस चंद्रचूर्ण बनकर की. फिर सुप्रीम कोर्ट का फर्जी आदेश वॉट्सऐप पर भेजा गया, जिसमें लिखा था कि उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए 2 घंटे के अंदर 7 करोड़ रुपए अलग अलग अकाउंट में जमा करने होंगे. उन्हें डिजिटल अरेस्ट के 70 नियम भेजकर उनका पालन करने के लिए कहा गया.इस दौरान उन पर 24 घंटे कैमरे से निगरानी रखी गई. उन्हें न तो किसी से बात करने की परमिशन थी और न ही किसी को मैसेज करने की.
आरोपियों ने ईडी और सीबीआई अधिकारियों के आईडी कार्ड पहने हुए थे. और उनके पीछे बैकग्राउंड में इंडियन फ्लैग लगे हुए थे.ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी जांच एजेंसी का दफ्तर हो.
बड़ी रकम पुलिस ने कर ली रिकवर
एसपी ओसवाल की शिकायत पर पुलिस ने 31 अगस्त को ही मामला दर्ज कर लिया था. गृह मंत्रालय के साइबर कॉर्डिनेशन क्राइम सेंटर की मदद से जिन तीन अकाउंट में पैसा गया था उन्हें फ्रीज करा दिया गया. इस तरह से 5.25 करोड़ रुपया ओसवाल के अकाउंट में वापस आ गया. पुलिस के मुताबिक इस तरह के अपराध में ये भारत की सबसे बड़ी रिकवरी है. पुलिस के मुताबिक 2 आरोपी अनातु चौधरी और आनंद कुमार को असम के गोहाटी से पकड़ा गया है.दोनों छोटे कारोबारी है. दिल्ली,कोलकाता और असम में 7 और आरोपियों की तलाश जारी है.
इन आरोपियों की तलाश जारी
- निम्मी भट्टाचार्य,गुवाहाटी
- आलोक रंगी और गुलाम मुर्तजा
- मालदा पश्चिम बंगाल
- संजय सूत्रधर, हज़रापार,असम
- रूमी,कलिता,गुवाहाटी (मास्टरमाइंड)ट जाकिर
- रूमी कलिता पूर्व बैंक कर्मचारी है
आपस में कभी नहीं मिले आरोपी, फिर भी साथ मिलकर करते हैं ठगी
पुलिस के मुताबिक आरोपी एक दूसरे से मिले नहीं है, ये सिर्फ ऑनलाइन जुड़े रहते हैं. सबको अलग-अलग कमीशन मिलता है. सभी पढ़े लिखे हैं. जो पकड़े गए हैं, वो मास्टरमाइंड नहीं हैं. उनके अकाउंट में ठगी का पैसा आता था और उन्हें कमीशन मिलता था. बैंक अकाउंट डिटेल्स के आधार पर ही आरोपी पकड़े गए हैं.