देश

मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को चार सप्ताह में 10-10 लाख रुपये दिए जाएं: मानवाधिकार आयोग

गुवाहाटी:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने मणिपुर सरकार से राज्य में मई महीने से शुरू हुए जातीय संघर्षों में मारे गए सभी लोगों के परिजनों को चार सप्ताह के अंदर 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा है. उत्तर पूर्व राज्यों के मामलों की सुनवाई के लिए यहां आयोजित अपने दो दिवसीय शिविर को पूरा करने के बाद एनएचआरसी ने मणिपुर सरकार को यह आदेश भी दिया कि हिंसा में क्षतिग्रस्त घरों का मूल्यांकन किया जाए और छह सप्ताह के अंदर प्रत्येक पीड़ित को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

यह भी पढ़ें

आयोग ने राज्य सरकार को मणिपुर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 37 पर अवरोध हटाने के लिए भी कहा. एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमें बताया गया है कि हिंसा में मारे गए 93 लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा दिया गया है. हमें बताया गया था कि एक निश्चित तारीख तक 180 लोग मारे गए थे.”

आयोग ने कहा कि मणिपुर के कुछ हिस्सों में अब भी हिंसा जारी है. उसने राज्य सरकार से हालात सामान्य करने के लिए रूपरेखा तैयार करने को कहा है. मिश्रा ने यह भी बताया कि उन्हें असम में पिछले पांच साल में हिरासत में बंद आरोपियों को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के 40 से अधिक मामलों की जानकारी मिली है. शिविर में आठ राज्यों के कुल 56 मामलों पर सुनवाई हुई.

शिविर में न्यायमूर्ति मिश्रा के साथ आयोग के सदस्य डॉ ज्ञानेश्वर मनोहर मुले और राजीव जैन, महासचिव भरत लाल, पंजीयक (विधि) सुरजीत डे और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. मिश्रा ने बताया, ‘‘आयोग के हस्तक्षेप से राज्यों द्वारा 3.56 करोड़ रुपये का मुआवजा अदा किये जाने को कहा गया है.”

यह भी पढ़ें :-  'क्या हम इतने कठोर हो जाएंगे...': जब PMLA मामले में SC ने ED पर की सख्त सवालों की बौछार

उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में चकमाओं की जमीन का गैरकानून विभाजन, असम के कोकराझार में 16 वर्ष की आदिवासी बच्ची से कथित दुष्कर्म और असम के तिनसुकिया जिले में बूढ़ी दिहिंग नदी के तट पर दो पिछड़े आदिवासी बौद्ध गांवों में मिट्टी का कटाव आदि मामलों पर सुनवाई की गई.

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button