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ना चाहूं कुर्सी-वुर्सी… चिराग फिर बन गए मोदी के 'हनुमान'!

 

इसी दौर में बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ असहज हो गए और उन्होंने एनडीए से रास्ता अलग कर लिया. नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने के बाद रामविलास पासवान की पार्टी ने एनडीए साथ गठबंधन कर लिया. फिर  2014 में 7 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए लोजपा ने 6 सीटों पर शानदार जीत दर्ज कर ली. चिराग पासवान जमुई से लोकसभा सांसद बन गए. वहीं उनके पिता रामविलास पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री का पद संभाला. इसके साथ ही मोदी और हनुमान चिराग की दोस्ती हर जगह सुर्खियां बटोरने लगी. यही वजह है कि चिराग पासवान खुद को पीएम मोदी के सबसे वफादारों में से एक मानते हैं.

राजनीतिक की दुनिया में चिराग का कद बढ़ा

18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद चिराग पासवान की राजनीति फिर लाइमलाइट में हैं. अब उनके पास 5 सांसद हैं. साथ ही रामविलास पासवान के दौर से यह माना जाता रहा है कि केवल उनकी पार्टी ही बिहार की एकमात्र पार्टी है जो किसी भी गठबंधन के पक्ष में वोट ट्रांसफर करवा सकती है. राजनीति की दुनिया में वोट ट्रांसफर कराने की कुव्वत जिस पार्टी की हो, उसकी अहमियत सबसे अलग होती है. इस बार के चुनाव में चिराग पासवान का रसूख और बढ़ा है, जो कि आने वाले वक्त में और ज्यादा बढ़ सकता है बशर्ते वो आगे चलकर भी राजनीति की दुनिया में इसी तरह का बढ़िया प्रदर्शन कर सकें. आने वाले चुनावों और सरकार में चिराग पासवान की मजबूत उपस्थिति हो सकती है. हनुमान बनकर उनके द्वारा किया गया तपस्या उन्हें अब सत्ता के केंद्र में लेकर खड़ा कर दिया है.

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