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मैंने कभी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया : पवन कल्याण


अमरावती:

आंध्र प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं जनसेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन कल्याण ने नए शिक्षा नीति के तहत त्रिस्तरीय भाषा को लेकर हो रहे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने एक पोस्ट के जरिए कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं करने की बात कही.

पवन कल्याण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने लिखा, “किसी भाषा को जबरन थोपना या किसी भाषा का आंख मूंदकर विरोध करना; दोनों ही हमारे भारत के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद नहीं करते हैं. मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया. मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया. जब नई शिक्षा नीति 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करती है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं है.”

उन्होंने आगे लिखा, “नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, छात्रों को किसी भी दो भारतीय भाषाओं (अपनी मातृभाषा सहित) को एक विदेशी भाषा के साथ सीखने की सुविधा है. यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं.”

बहु-भाषा नीति की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा, “बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है. जन सेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है.”

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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