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'मां मिली तो अब उन्हें सत्संग में नहीं जाने दूंगा': मां की तलाश में दर-दर भटक रहे बेटे का दर्द


नई दिल्ली:

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी जिस को भी देखना हो कई बार देखना. निदा फाजली की लिखी ये लाइनें इन दिनों हाथरस सत्संग वाले बाबा पर एकदम सटीक बैठती है. जहां बाबा कुछ लोगों के लिए भगवान है तो किसी के लिए उनका घर उजाड़ने वाला शख्स. बाबा के सत्संग में हुए हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई. सत्संग में लगे लाशों के ढेर को देखकर हर कोई खौफजदा हो गया. इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों की क्या हालत है, इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है. अपने घर के लापता लोगों को परिवार वाले लाशों के ढेर के बीच ढूंढते नजर. ये नजारा ऐसा था कि किसी भी इंसान रूह कांप जाएगी. लेकिन लोग अपने के फिर जाने की उम्मीद लगे कफन उठाकर चेहरे देखते नजर आए.

अगर मां मिली तो सत्संग में जाने नहीं दूंगा….

मैनपुरी के एक गांव के रहने वाले मीनेश कुमार की मां भी बाबा के सत्संग में शामिल हुई थी. जहां भगदड़ के बाद भयानक हादसा हो गया. इस हादसे के बाद से ही मीनेश को अपनी मां की तलाश है. मीनेश का कहना है कि अब मेरी मां मिल जाए तो मैं उनको सत्संग में कभी नहीं जाने दूंगा. मीनेश की मां की उम्र 54 साल है और उनका नामा रामकली देवी है. जो कि सोमवार को सत्संग के लिए निकली थीं उसके बाद मंगलवार से वो मिसिंग हैं, उनका बेटा मीनेश उन्हें मैनपुरी , एटा से खोजता हुआ अब हाथरस के जिला अस्पताल पहुंचा है.

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बेटे ने मां को किया फोन तो किसी और से हुई बात

गायब होने के बाद उनका फोन एक महिला ने उठाया और कहा बात कराएंगे लेकिन बात नहीं कराई. दूसरी बार फोन किया तो बोली तुम्हारी मां आगरा चली गई है. फिर फोन लगाया तो बोली क्यों तंग कर रहे हो और मां का फोन बंद कर दिया. मेरी मां बाबा के हर सत्संग में जाती थी ,राजस्थान से लेकर एमपी यूपी सब में. एक दो बार मैं भी गया हूं. मां कहती है सत्संग में बाबा अच्छी बातें बताते हैं. मैंने कहा कि आपकी उम्र ज्यादा है मत जाया करो लेकिन वो नहीं मानी. अब मेरी मां मिल जाए तो मैं उनको सत्संग में कभी नहीं जाने दूंगा. गलती किसकी है ये प्रशासन जाने वो ठीक ही करेगा. मैं बाबा के बारे में ज्यादा नहीं जानता.

बाबा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

हाथरस के सोखना गांव के रहने वाले प्रताप सिंह की 70 साल की मां जयमनती, भाभी और 9 साल की भतीजी की सत्संग में भगदड़ में मौत हो गई. प्रताप और उनकी पत्नी वर्षा कहती है कि की मां मना करने के बाद भी सत्संग में जाती थी लेकिन उनके जाने के बाद भी घर में कुछ ठीक नहीं हुआ, हम लोग बाबा को नहीं मानते है और न ही हम कभी सत्संग में गए ,बाबा के खिलाफ कड़ी करवाई होनी चाहिए.

हादसे में मां की मौत, भक्त बेटा बोला बाबा का कसूर नहीं

इसी गांव की रहने वाली 65 साल की सोन देवी की भी भगदड़ में मौत हो गई. सोन देवी का एक बेटा बाबा को नहीं मानता. वो कह रहा है की हादसे के बाद बाबा को तुरंत वापस आना चाहिए थे जबकि सोन देवी का बड़ा बेटा बाबा का भक्त है वो कह रहा है कि मैं वहीं था. सत्संग में कुछ असमाजिक तत्वों ने महिलाओं के साथ छेड़खानी की, उसके बाद भगदड़ मची,बाबा की गलती नहीं है
 

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