"जवान सीमा छोड़कर अगर…" : TMC नेता ने पुलवामे हमले का जिक्र करते हुए हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से पूछा

नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद देश भर में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस विरोध प्रदर्शन के बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए सबको अचंभित कर दिया है. उन्होंने पोस्ट में लिखा है- अगर सुरक्षा बल 2019 पुलवामा के पीछे के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए तो इस पर डॉक्टर की क्या प्रतिक्रिया होगी.
ट्वीट देखें
চিকিৎসকদের কর্মবিরতি তোলার অনুরোধসহ প্রশ্ন-
পুলওয়ামার ঘটনার এখনও ন্যায়বিচার হয়নি। তাই পুলওয়ামায় ‘we want justice’ বলে জওয়ানরা যদি সীমান্ত ছেড়ে এসে ধর্ণায় বসেন, সেটাকে কীভাবে দেখবেন?
— Kunal Ghosh (@KunalGhoshAgain) August 21, 2024
उन्होंने पोस्ट में लिखा है “डॉक्टरों से अपनी हड़ताल खत्म करने के अनुरोध के साथ, मेरा एक सवाल है. पुलवामा मामले में कोई न्याय नहीं हुआ है. इसलिए, अगर जवान सीमा छोड़कर ‘हमें न्याय चाहिए’ हड़ताल शुरू करते हैं, तो क्या होगा?”
क्या है पूरा मामला?
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 शहीद हुए थे. विस्फोटकों से भरा एक वाहन सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे वाहनों के काफिले से टकरा गया, जिसके कारण ये दुर्घटना हुई. तब इस घटना के दो सप्ताह से भी कम समय के बाद, भारतीय वायु सेना के जेट विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले किए और जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया.
ममता सरकार पर उठ रहे हैं सवाल
पिछले 10 दिनों से देश भर के डॉक्टर कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को 31 वर्षीय स्नातकोत्तर प्रशिक्षु के साथ बलात्कार और हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कल इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने और उनके लिए सुरक्षित कार्य स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए कदमों की सिफारिश करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स. अदालत ने कहा, “चिकित्सा पेशेवर – डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिक स्टाफ – चौबीसों घंटे काम करते हैं. स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के हर हिस्से तक अप्रतिबंधित पहुंच ने स्वास्थ्य पेशेवरों को हिंसा के प्रति संवेदनशील बना दिया है.”
तृणमूल नेता की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी इस जघन्य अपराध से निपटने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है. पिछले मंगलवार को, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संवेदनशील मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दी, यह देखते हुए कि कोलकाता पुलिस ने मामले में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं की है. तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना पर आलोचना का जवाब देते हुए सवाल उठाया है कि जांच अपने हाथ में लेने के बाद सीबीआई ने क्या प्रगति की है.