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Candidate Kaun: आसनसोल में शत्रुघ्न सिन्हा के सामने पवन सिंह नहीं तो कौन? उत्तर पश्चिम दिल्ली से किसे मौका देगी कांग्रेस

आसनसोल सीट (पश्चिम बंगाल)

आज सबसे पहले पश्चिम बंगाल का रुख करते हैं और आसनसोल सीट की बात करते हैं. 2 मार्च को बीजेपी ने कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी की, तो भोजपुरी सिंगर और एक्टर पवन सिंह को आसनसोल से टिकट दिया. हालांकि, अगले ही दिन दिन पवन सिंह ने चुनाव लड़ने में असमर्थता जता दी. ये सीट फिलहाल टीएमसी के कब्जे में है. वेटरन एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा इस सीट से मौजूदा सांसद हैं. शत्रुघ्न सिन्हा इससे पहले कई साल बीजेपी में रह चुके हैं. पटना साहिब से लोकसभा सांसद भी रहे हैं.

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2022 के उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा आसनसोल से सांसद बने. उन्होंने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को हराया था. चुनाव में 11,59,764 वोट पड़े, जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा को 6,56,358 वोट मिले. उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी को 3,53,149 वोट मिले. 

बंगाल की आसनसोल सीट टीएमसी और बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन चुकी है. आसनसोल में 2014 और 2019 में बाबुल सुप्रियो बीजेपी से जीते थे, लेकिन बाद में वो टीएमसी में शामिल हो गए. इसके बाद यहां उपचुनाव हुए और टीएमसी से शत्रुघ्न सिन्हा सांसद बने. शत्रुघ्न सिन्हा कई साल बीजेपी में रहे. धीरे-धीरे उनका बीजेपी से मोह भंग होने लगा. फिर 2019 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा. फिर 2022 में ही टीएमसी के हो गए. 

टीएमसी किसे बनाएगी कैंडिडेट?

आसनसोल सीट पर टीएमसी इस बार भी शत्रुघ्न सिन्हा पर भरोसा जता सकती है. हालांकि, अभी कैंडिडेट का ऐलान नहीं हुआ है. इसके अलावा बाबुल सुप्रियो की दावेदारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

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बीजेपी किसे बनाएगी उम्मीदवार? 

बीजेपी ने आसनसोल सीट से भोजपुरी स्टार पवन सिंह को कैंडिडेट बनाया था. लेकिन पवन सिंह ने टिकट वापस कर दिया. अब भोजपुरी स्टार और सिंगर अक्षरा सिंह का नाम चर्चा में है. बीजेपी से जितेंद्र तिवारी का नाम भी चर्चा में चल रहा है. ये आसनसोल के पूर्व मेयर रहे हैं. 

कांग्रेस किस पर जताएगी भरोसा?

इस सीट पर टीएमसी और कांग्रेस का गठबंधन हो नहीं पाया है. लिहाजा कांग्रेस भी अपने कैंडिडेट उतार सकती है. सीट के लिए कई दावेदार हैं. सबसे पहला नाम शाह आलम का चल रहा है. शाह आलम आसनसोल नॉर्थ विधानसभा ब्लॉक के सभापति हैं. हालांकि, अभी इनका टिकट वेटिंग में ही हैं. 

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CPI(M) किस पर लगाएगी दांव?

ये सीट कभी लेफ्ट का गढ़ रही थी. इस बार CPI(M) की ओर से बंसा गोपाल चौधरी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. ये आसनसोल के पूर्व सांसद रहे हैं.

अमरावती सीट (महाराष्ट्र) 

बंगाल से अब महाराष्ट्र की ओर चलते हैं और अमरावती सीट का हाल जानते हैं. इस राज्य में शिवसेना दो हिस्सों में बंट चुकी हैं. एनसीपी से अजित पवार अलग हो चुके हैं. शिवसेना और एनसीपी से अलग हुए लोगों ने अपनी पार्टी बनाई और बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हो गए. हालांकि, अब सीटों पर उम्मीदवार किसका होगा, इसे लेकर माथापच्ची जारी है. अमरावती से नवनीत राणा निर्दलीय सांसद हैं.

2019 में कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के समर्थन से नवनीत राणा ने ये सीट जीती थी. नवनीत राणा ने कड़े मुकाबले में उस समय की शिवसेना के आनंदराव अडसुल को हराया था. 2019 में अमरावती में 11,13,853 वोट पड़े थे. नवनीत राणा को 5,10,947 वोट मिले थे. आनंदराव अडसुल को 4,73,996 वोट मिले थे.

वैसे नवनीत राणा के पति रवि राणा बडनेरा से निर्दलीय विधायक हैं. दोनों ने अप्रैल 2022 में मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी. मुंबई पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार भी किया था. लेकिन, काफी समय तक ये विवाद सुर्ख़ियों में रहा था.

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बीजेपी-शिवसेना किसे देगी टिकट?

अमरावती सीट पर बीजेपी से सबसे पहला नाम मौजूदा सांसद नवनीत राणा का ही चल रहा है. वैसे तो वो निर्दलीय हैं, लेकिन चर्चा बहुत गर्म है कि उन्हें बीजेपी से टिकट मिल सकता है. नवनीत राणा ने अपनी जो पार्टी बनाई है, उसका नाम युवा स्वाभिमान पार्टी रखा है. माना जा रहा है कि उनकी पार्टी बीजेपी में शामिल हो सकती है और उन्हें इस सीट से टिकट मिल सकता है. बीजेपी से आनंदराव अडसुल का नाम भी चर्चा में हैं. ये पूर्व सांसद रहे हैं. पहले शिवसेना में थे, फिर एकनाथ शिंदे के साथ चले गए. अगर बीजेपी और शिंदे शिवसेना के बीच इस सीट पर करार होता है, तो शिंदे गुट के उम्मीदवार अडसुल को टिकट मिल सकता है. 

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MVA से कौन होगा उम्मीदवार

अमरावती सीट पर MVA यानी महाविकास अघाड़ी से कौन उम्मीदवार हो सकता है, इस पर भी चर्चा तेज है. अगर ये सीट कांग्रेस के खाते में जाती है, तो पहली पसंद बलवंत वानखेड़े हो सकते हैं. ये दरयापुर सीट से विधायक हैं. कांग्रेस से दूसरा नाम किशोर बोरकर का चल रहा है. ये कांग्रेस का युवा चेहरा हैं. पहले NSUI के सदस्य थे. अब कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. अगर MVA की दूसरी पार्टी शिवसेना उद्धव गुट से उम्मीदवार उतरता है, तो दिनेश बूब का नाम चर्चा में है. इनकी अमरावती में काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है. फिलहाल पार्टी के ज़िलाध्यक्ष हैं और उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाते हैं. 

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उत्तर पश्चिम दिल्ली से किसको टिकट?

आखिर में बाद उत्तर पश्चिम दिल्ली सीट की. दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच यहां समझौता हो चुका है. AAP 4 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस 3 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस को चांदनी चौक, उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी सीट दी गई है. बाकी पूर्वी दिल्ली,पश्चिम दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और नई दिल्ली पर आम आदमी पार्टी ने कैंडिडेट उतार दिए हैं. दूसरी ओर बीजेपी ने दिल्ली की 5 सीटों के उम्मीदवार कंफर्म कर दिए हैं. इनमें 4 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए  हैं.

उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट पर 13 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें नरेला, रोहिणी, बादली, रिठाला जैसे इलाके आते हैं. ये सीट फिलहाल बीजेपी के पास है.  बीजेपी से पंजाबी सिंगर हंसराज हंस मौजूदा सांसद हैं. 2019 के इलेक्शन में हंसराज हंस से आम आदमी पार्टी के गुगन सिंह रंगा को हराया था. 2019 में 14,02,986 वोट पड़े थे. इसमें हंसराज हंस को 8,48,630 वोट मिले थे. यानी करीब 60 फीसदी वोट मिले थे. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 2,94,766 वोट मिले थे. वैसे ये सीट 2009 में ही बनी थी. हंसराज हांस से पहले 2014 में उदित राज बीजेपी के टिकट से जीते थे. 2009 में कांग्रेस से कृष्णा तीरथ ने यहां से जीत हासिल की थी.

बीजेपी किसे देगी मौका?

बीजेपी की ओर से इस सीट पर दुष्यंत गौतम का नाम सामने आ रहा है. ये पार्टी के महामंत्री हैं. हालांकि, अभी इनका टिकट वेटिंग लिस्ट में ही है. बीजेपी से योगेंद्र चंदोलिया का नाम भी सामने आ रहा है. ये भी वेटिंग लिस्ट में ही हैं. योगेश आत्रेय का नाम भी सामने आ रहा है. ये बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. फिलहाल बाहरी दिल्ली के सह प्रभारी हैं और दलित चेहरा हैं. वैसे खबरों के मुताबिक, उत्तर-पश्चिम दिल्ली सीट से बीजेपी इस बार भी हंसराज हंस को उतार सकती है. लेकिन उनका टिकट कंफर्म नहीं है. क्योंकि बीजेपी ने दिल्ली की जिन 5 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें 4 में नए चेहरे उतारे गए हैं. 

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कांग्रेस किसे देगी मौका?

बात कांग्रेस की करें तो यहां से पूर्व सांसद उदित राज का नाम चर्चा में है. राजेश लिलोठिया का नाम भी चर्चा में आ रहा है. 2019 में उन्हें दिल्ली कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था. उस साल उन्होंने चुनाव भी लड़ा था. लेकिन तीसरे नंबर पर रहे थे. 

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