Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
देश

पत्नी सेक्स से करे इनकार तो क्या पति के पास तलाक मांगने का ही एकमात्र विकल्प?: सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सवाल उठाया है कि जब पत्नी सेक्स से इनकार करे तो क्या पति के पास तलाक मांगने का ही एकमात्र विकल्प होगा? सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत में वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. कोर्ट ने याचिकाओं पर दलीलें सुनना शुरू किया. अदालत ने कहा कि वह भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर फैसला करेगा जो मैरिटल रेप के अपराध के लिए पति को अभियोजन से छूट प्रदान करते हैं, यदि वह अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है. 

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से विवाह संस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या यह अलग अपराध नहीं होगा यदि वह पत्नियों को अपने पतियों पर रेप का मुकदमा चलाने से रोकने वाले कानूनी अपवाद को समाप्त कर देता है? कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा, “आपको हमें बताना होगा कि क्या हम अलग अपराध बना सकते हैं? 

सरकार ने मौजूदा दुष्कर्म कानून का समर्थन किया

मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने मौजूदा दुष्कर्म कानून का समर्थन किया है, जो पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों के लिए अपवाद बनाता है. उसने कहा है कि यह मुद्दा कानूनी से ज्यादा सामाजिक है. IPC की धारा 375 के अपवाद 2 के जरिए मैरिटल रेप को “रेप” के दायरे से बाहर रखा गया है. इसी तरह का प्रावधान हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता में भी मौजूद है, जिसने इस साल एक जुलाई को आईपीसी की जगह ली है. 

यह भी पढ़ें :-  क्या पिछड़े वर्ग का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दिया जा सकता है? यह है संविधान विशेषज्ञ की राय

सन 2022 में दिल्ली हाइकोर्ट ने इस बात पर विभाजित फैसला सुनाया था कि मैरिटल रेप को अपराध माना जाना चाहिए या नहीं. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने मामले में दलीलें शुरू कीं और कहा कि अदालत को उस अपवाद को खत्म कर देना चाहिए जो पत्नी को अपने पति पर रेप का मुकदमा चलाने से रोकता है. हालांकि सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या इस तरह के फैसले से अदालत द्वारा एक अलग अपराध का निर्माण नहीं हो जाएगा?

सहमति के बिना सेक्स दुष्कर्म ही है

जवाब में नंदी ने कहा कि अपराध अभी भी मौजूद है. उन्होंने आईपीसी की धारा 375 के प्रावधानों को समझाया. रेप पर मौजूदा कानून की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि, ”पीड़ितों या अपराधियों के तीन वर्ग हैं. पहला दुष्कर्मी जो पीड़िता से संबंधित नहीं है, दूसरा सहमति के बिना यौन संबंध (पति या पत्नी के साथ) और तीसरा अलग हो चुका पति, इसलिए यह कोई नया अपराध नहीं है. अगर मेरे पति, अजनबी या अलग हो चुके पति द्वारा मेरा रेप किया जाता है तो नुकसान की सीमा अलग नहीं है.”

उन्होंने कहा कि, ”मैं लिव-इन रिलेशनशिप में हो सकती हूं और अगर सहमति के बिना सेक्स होता है, तो भी यह दुष्कर्म है, और अगर मैं शादीशुदा हूं और अगर मेरे साथ जघन्य, हिंसक कृत्य किए जाते हैं तो क्या यह दुष्कर्म नहीं है?”

इसके बाद अदालत ने नंदी से इस तर्क पर यह जानने की कोशिश की कि क्या विवाह के दायरे में गैर-सहमति वाले संभोग को अपराध घोषित करने से विवाह संस्था के अस्थिर होने की आशंका नहीं होगी? इसके जवाब में नंदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद माना है कि निजता का इस्तेमाल महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए नहीं किया जा सकता. 

यह भी पढ़ें :-  सेना ने बर्फीले तूफान और भूस्खलन की वजह से फंसे 80 से अधिक छात्रों और शिक्षकों को बचाया

”पुरुष बनाम महिला का मामला नहीं” 

इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने पूछा- ”तो आप कह रही हैं कि जब पत्नी सेक्स से इनकार करती है तो पति के पास तलाक मांगने का ही एकमात्र विकल्प होता है?” नंदी ने जवाब दिया, “हमारा संविधान लोगों के बदलने के साथ बदल रहा है. यह पुरुष बनाम महिला का मामला नहीं है.” 

इसके बाद वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दूसरे देशों में मौजूद कानूनी स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी.

यह भी पढ़ें –

मैरिटल रेप क्राइम के दायरे में नहीं! केंद्र सरकार के मन में क्या? SC में दाखिल हलफनामे के इन तर्कों से समझिए

मैरिटल रेप को अपराध बनाने की जरूरत नहीं, यह कानूनी से ज्यादा सामाजिक : SC में केंद्र का हलफनामा


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button