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ट्रंप प्रशासन ने H1B वीजा किया सीमित तो भारतीयों के लिए अमेरिका जाकर काम करना होगा मुश्किल : SBI रिसर्च

एसबीआई रिसर्च यूनिट ने डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों पर इसके असर पर जारी समीक्षा रिपोर्ट में आगाह किया है कि अगर नए ट्रंप प्रशासन ने H1B वीजा को सीमित किया तो भारतीय वर्कर्स के लिए अमेरिका जाकर काम करना मुश्किल हो सकता है. SBI RESEARCH के मुताबिक अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प H1B वीजा सीमित करते हैं तो इससे अमेरिका में सक्रिय भारतीय कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा.

ईशान कश्यप चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र हैं और अमेरिका जाकर स्पेस रिसर्च करना चाहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से अमेरिका जाकर पढ़ाई और रिसर्च करना आसान होगा. ईशान ने The Hindkeshariसे कहा, “डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका जाकर पढ़ाई करना आसान होगा. डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं.”

लेकिन सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीय नागरिकों के लिए अमेरिका जाकर काम करना मुश्किल होगा?

SBI रिसर्च की तरफ से सोमवार को जारी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक:

  • ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने सालाना औसतन 10 लाख Non-immigrant visas जारी किए थे. 
  • Joe Biden सरकार ने साल 2023 में करीब 14 लाख भारतीयों को इस तरह के वीज़ा जारी किए.
  • अगर Trump प्रशासन ने H1B वर्क वीजा को सीमित किया तो IT सेक्टर में काम कर रही भारतीय कंपनियों का खर्च बढ़ेगा.
  • H-1B Visa पर पाबंदियों से अमेरिका में भारतीय कामगारों का आना-जाना घटेगा, और भारतीय कंपनियों को स्थानीय अमेरिकी लोगों को नौकरी देनी होगी जिससे उनका खर्च बढ़ेगा.
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जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर अमेरिकन स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौम्यजीत रे इसकी तस्दीक करते हैं. सौम्यजीत रे ने The Hindkeshariसे कहा, “ट्रंप ने कहा है कि भारत से पढ़ाई करने जो लोग अमेरिका आना चाहते हैं, उनके पढ़ाई खत्म करने के बाद काम करने के लिए अमेरिका में रहने से अगर अमेरिका को फायदा होगा और किसी अमेरिकी नागरिक की नौकरी पर असर नहीं पड़ेगा तभी उन्हें वहां रहकर काम करने की इजाजत होगी. पिछली बार डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने उन लोगों को भी स्थायी नागरिकता नहीं दी थी, जिनको ग्रीन कार्ड मिल गया था”.

इंडो- अमेरिका चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स की एनर्जी समिति के चेयरमैन सुनील जैन ने The Hindkeshariसे कहा, “जहां तक आईटी कंपनियों का सवाल है ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जॉब्स ज्यादा क्रिएट करना होगा अगर वह H1 B वीजा का कोटा बढ़ाना चाहते है. जहां तक अमेरिका जाकर पढ़ाई करने वाले इंडियन स्टूडेंट्स का सवाल है इसमें कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है. लेकिन पढ़ाई करने के बाद अमेरिका में रहकर काम करना कुछ मुश्किल हो सकता है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप का इमीग्रेशन पर रुख बहुत सख्त है”.

जाहिर है डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भारत के सामने नए अवसर भी होंगे और नई चुनौतियां भी.



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