आर्थिक गतिविधियों में सभी क्षेत्रों का अहम योगदान, भारत तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था: निर्मला सीतारमण
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी तिमाही में वृद्धि दर बहुत अधिक रही, यह दुनिया में सबसे अधिक है. हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने की गति को लगातार बनाए रख रहे हैं.” उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल में भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है जो 2014 में 10वें स्थान पर था. उन्होंने कहा, ‘‘गतिविधियां पूरी अर्थव्यवस्था में हैं. ऐसा नहीं है कि एक क्षेत्र अच्छा कर रहा है… सभी क्षेत्र बढ़ रहे हैं और महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रहे हैं, इसलिए इसे देखा भी जा सकता है.”
सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण विनिर्माण क्षेत्र भी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जिसमें मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में दूसरा सबसे अधिक मांग वाला विनिर्माण गंतव्य है.
वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि इस साल नौ नवंबर तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में 21.82 प्रतिशत की वृद्धि हुई और मासिक जीएसटी संग्रह 1.6 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर है, जो आर्थिक विकास का संकेत है. रोजगार के मोर्चे पर विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि बेरोजगारी दर 2017-18 के 17.8 प्रतिशत से घटकर अब 10 प्रतिशत रह गई है.
उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में 13.5 करोड़ लोग ‘बहुआयामी’ गरीबी से बाहर आए हैं. कई विपक्षी सदस्यों ने देश में बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई थी. इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि सरकार ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए ‘कुछ’ उपाय किए हैं.
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. हालांकि, अब यह रिजर्व बैंक के चार फीसदी के लक्ष्य के करीब है. सीतारमण ने सरकार पर अर्थव्यवस्था के विषय पर चर्चा से भागने के विपक्ष के आरोपों को भी सिरे से खारिज किया और कहा कि सरकार चर्चा से कभी नहीं हिचकती.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में भी संसद में इस विषय पर चर्चा हुई थी जबकि 2022 में महंगाई को लेकर भी संसद में चर्चा की गई थी. सीतारमण ने कहा कि भारत आज दूध, दलहन, कपास, चीनी सहित कुछ अन्य चीजों के उत्पादन में दुनिया के देशों में पहले स्थान पर है जबकि चावल, गेहूं, गन्ना और फलों व सब्जियों के उत्पादन में वह दूसरे स्थान पर है.
उन्होंने कहा कि मछली, ऑटोमोबाइल, फार्मा और ऊर्जा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भारत आज दुनिया में तीसरे स्थान पर है. वित्त मंत्री ने कहा कि आज की सरकार के अधीन ऐसा नहीं है कि विकास सिर्फ शहरों में हो रहा है बल्कि ग्रामीण भारत भी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से 2014 के बीच तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए 3.09 लाख रुपये दिए गए थे जबकि साल 2014 से 2022 के बीच 10.6 लाख करोड़ रुपये दिए गए. पूर्ववर्ती सरकार की ओर से आरंभ की गईं स्वाबलंबन, जन औषधि जैसी योजनाओं को ‘नाम के वास्ते’ आरंभ किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार का ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन में शानदार प्रदर्शन रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘2014 से पहले के 10 साल में नाम के वास्ते 24.3 करोड़ बैंक खाते खोले गए जबकि वर्तमान सरकार के दौरान 51 करोड़ बैंक खाते खोले गए. उनकी स्वाबलंबन योजना के तहत आठ साल में 5.95 करोड़ लोगों का बीमा हुआ जबकि अटल पेंशन योजना के तहत वर्तमान सरकार में यह संख्या दोगुनी हो गई है.”
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने 2008 से 2014 के बीच केवल 80 जन औषधि केंद्र खोले थे जबकि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में यह संख्या 10,000 को पार कर गई है. इसी प्रकार उन्होंने पूववर्ती सरकार और राजग सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार के काम की गति उनके मुकाबले कहीं ज्यादा है और जमीनी स्तर पर लोगों को इसका लाभ भी मिला है.
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