In-depth : चार चरण… 20 दिन, एंट्री के साथ ही केजरीवाल के बयान से चढ़ा चुनावी पारा; जमानत से राहत या आफत?
केजरीवाल ने आज ये तीर चलाए-
- चुनाव प्रचार करने के लिए मैं पूरे देश में दौरा करूंगा.
- बीजेपी से कौन है प्रधानमंत्री का दावेदार?
- 2014 में नरेंद्र मोदी ने नियम बनाए कि जो 75 साल का होगा, वो रिटायर कर दिया जाएगा.
- अगले साल 17 सितंबर को नरेंद्र मोदी 75 के हो रहे हैं.
- मोदी अपने सबसे खास अमित शाह को पीएम बनाएंगे.
- योगी आदित्यनाथ को यूपी सीएम पद से हटाएंगे पीएम मोदी.
केजरीवाल के तीर पर अमित शाह की ढाल
- BJP का संविधान नहीं कहता कि 75 साल के बाद कोई पीएम नहीं रह सकता.
- आगे भी नरेंद्र मोदी ही संभालेंगे कमान.
- BJP और देश में पीएम मोदी के नेतृत्व को लेकर किसी को भ्रम नहीं.
- केजरीवाल को अदालत से सिर्फ अंतरिम जमानत मिली है.
- यह अस्थायी है.
- अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को शराब नीति मामले से बरी नहीं किया.
- मनीष सिसोदिया आदि अभी भी जेल में हैं.
- केजरीवाल को अंतरिम जमानत सिर्फ 1 जून तक मिली है.
- 2 जून को उन्हें एजेंसियों के सामने आत्मसमर्पण करना होगा.
- केजरीवाल इसे क्लीन चिट मानते हैं, तो कानून के बारे में उनकी समझ कमजोर.
केजरीवाल पर बरसी बीजेपी
- विफलता देख बौखलाए केजरीवाल.
- मोदी की उम्र का बहाना लेकर रास्ता ढूंढ रहे हैं.
- पीएम के सामने इनके पास ना नीति, ना कार्यक्रम.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एडवोकेट अनमोल पवार ने The Hindkeshariके कार्यक्रम में कहा कि देश की 140 करोड़ जनता जान चुकी है कि मोदी भ्रष्टाचार में शामिल नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराते हैं. इनकी पार्टी भ्रष्टाचारियों की फौज बन गई है. 400 सीट भाजपा की कैसे आएगी? दिल्ली में इनकी सीट आ नहीं रही. बिहार में आ नहीं रही. महाराष्ट्र में आ नहीं रही. हमारा सौभाग्य है कि अरविंद केजरीवाल जैसा नेता हमें मिला है और हम जी-जान से उनके साथ मिलकर लड़ेंगे.
जमानत पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट चिराग गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत के आदेश में साफ किया है कि यह मामला उदाहरण नहीं बनेगा. व्यक्तिगत तौर पर मैं यह मानता हूं कि जमानत सभी को मिलनी चाहिए. यह आरोपी का हक है. हालांकि, इस मामले में बेल के लिए याचिका देने से पहले अंतरिम जमानत देने का फैसला ठीक नहीं है. इसमें कई खामियां हैं. नेताओं का एक विशिष्ट वर्ग नहीं हो सकता. दूसरा, चुनाव प्रचार करना कोई अधिकार नहीं है. इसलिए यह तर्क ठीक नहीं है कि आम चुनाव के कारण जमानत दी गई. मुझे लग रहा है कि चुनाव खत्म होने के बाद यह सवाल निश्चित तौर पर आएगा कि क्या जमानत मनमाने तरीके से मिलेंगे?
“मौका तलाशते हैं केजरीवाल”
वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल कई बार ऐसा मौका तलाशते हैं कि लगे कि वो बड़े कद के नेता हो गए हैं. जेल जाने से पहले केजरीवाल ने विधानसभा में कहा था कि 2024 में भाजपा को नहीं हरा पाए तो 2029 में हराएंगे. आज उन्होंने योगी आदित्यनाथ का भी नाम लिया गया. इंडिया अलायंस के क्लेम को भी उन्होंने उलट दिया. केजरीवाल ने साबित कर दिया कि इस गठबंधन में सभी अलग-अलग बयान दे रहे हैं. उन्होंने राहुल गांधी के बयान का खंडन कर दिया है. राहुल गांधी ने तो कहा था कि भाजपा हार रही है.
केजरीवाल के समर्थन में कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता नीरज मिश्रा ने कहा कि हमारे नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी न्याय पत्र पर बात कर रहे हैं. रोजगार की बात कर रहे हैं. संविधान बचाने के लिए लड़ रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने आज भाजपा की कथनी और करनी की पोल खोल दी. क्या मोदी जो दूसरों के साथ करते हैं, वो खुद के साथ करेंगे? जैसे उन्होंने दूसरों को रिटायर किया क्या खुद रिटायर होंगे? देश की जनता मुद्दों पर वोट करेगी लेकिन केजरीवाल ने कम से कम ये तो बता ही दिया कि भाजपा में सबके लिए एक नियम नहीं है. हालात यह है कि सुधांशु त्रिवेदी ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में अमित शाह का नाम तक नहीं लिया. नीरज मिश्रा ने रामकृपाल सिंह के राहुल गांधी के बयान का खंडन करने वाली बात का जवाब देते हुए कहा कि केजरीवाल ने अगर शब्द का इस्तेमाल किया था. वह यह नहीं कह रहे थे कि भाजपा की सरकार बन रही है.
“केजरीवाल ने उकसा दिया”
पॉलिटिकल एनालिस्ट मनीषा प्रियम ने कहा कि 2014 और 2019 में मोदी की गारंटी नहीं थी, पर मोदी के नाम पर वोट पड़े. अस्वाभाविक जीत मिली. हर-हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा चला. मोदी ने कई मुद्दों पर दो बार चुनाव जीता है. इस बार का चुनाव अलग दिखता है. भाजपा भी अलायंस पर भरोसा कर रही है. यही कारण है कि छोटे-छोटे नेता भी बोल रहे हैं. मगर भाजपा की रणनीति मोदी के इर्द-गिर्द है. क्या केजरीवाल की जवाब देने के लिए भाजपा के टॉप थ्री में से किसी एक को आना चाहिए था? मुझे लगता है नहीं. केजरीवाल ने पत्ता फेंककर भाजपा को उकसा दिया. इसे इग्नोर करना था.
“जेल की संगत का असर दिख रहा”
भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थ यादव ने कहा कि जेल से निकलकर केजरीवाल उल्टे-पुल्टे सवाल उठा रहे हैं तो जवाब देना ही था. जेल की संगत का असर दिख रहा है. भाजपा में हर नेता ने जवाब दिया है. चाहे वह छोटा या बड़ा. हमारे सबसे बड़े नेता पर सवाल उठाने वाले को जवाब तो मिलेगा ही. आप सोचिए कि 15 सीटों पर लड़ने वाली आम आदमी पार्टी 400 सीटों का हिसाब मांग रही है. जो व्यक्ति जमानत पर भी नहीं आया है और अंतरिम जमानत पर है, वह व्यक्ति भ्रष्टाचार पर क्या बात करेगा. इस आदमी के कई नेता जेल में है. केजरीवाल ने तो गुजरात चुनाव में पत्रकारों को लिखकर दिया था कि उनकी सरकार बन रही है. उनके दावों पर क्या ही कहें?
केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट
- हमें कोई समान लाइन नहीं खींचनी चाहिए
- उन्हें मार्च में गिरफ़्तार किया गया, गिरफ़्तारी पहले या बाद में भी हो सकती थी
- अब 21 दिन इधर-उधर से कोई फर्क नहीं पड़ेगा
- 2 जून को अरविंद केजरीवाल सरेंडर करेंगे
जेल कैसे पहुंचे केजरीवाल?
- अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी 21 मार्च को हुई थी
- उन्हें उनके घर से ED ने गिरफ़्तार किया था
- इससे पहले ED ने नौ बार समन जारी किया था
- अरविंद केजरीवाल ED के सामने कभी पेश नहीं हुए
- ED का आरोप है घोटाले के मुख्य साज़िशकर्ता केजरीवाल
- ED का आरोप सीधे तौर पर शराब कारोबारियों से रिश्वत मांगने में शामिल थे
ईडी के केजरीवाल पर आरोप
- ईडी का आरोप है कि शराब माफिया के जरिए आम आदमी पार्टी के पास 338 करोड़ रुपये पहुंचे, जिसका मनी ट्रेल उसने कोर्ट के सामने रखा.
- ईडी का दूसरा आरोप है कि शराब नीति को लेकर मीटिंग केजरीवाल के घर पर हुई, जिसमें मनीष सिसोदिया के सेक्रेटरी सी अरविंद के मुताबिक आबकारी नीति में 6 फीसदी के मार्जिन प्रॉफिट को केजरीवाल की मंजूरी के बाद ही 12 फीसदी किया गया था.
- तीसरा आरोप ये है कि अब सरकारी गवाह बन चुके आरोपी इंडोस्पिरिट के डायरेक्टर समीर महेंद्रू ने पूछताछ में बताया था कि केजरीवाल ने उनसे कहा था कि विजय नायर उनका आदमी है और नायर पर भरोसा करना चाहिए.
- चौथा आरोप ये है कि के कविता ने केजरीवाल को 300 करोड़ रुपये दिए, जिसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में किया गया.
- पांचवां आरोप ये है कि इस पूरे घोटाले में मनीष सिसोदिया हर फैसले में केजरीवाल के संपर्क में थे.
आखिर क्या है कथित शराब नीति घोटाला?
- कोरोना काल के बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने ‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22’ लागू की थी.
- शराब नीति अनियमितता की शिकायतें आईं.
- इसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की.
- शराब नीति को रद्द कर दिया गया.
- CBI ने अगस्त 2022 में FIR दर्ज की.
- ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की.
- ED, CBI मामले की अलग-अलग जांच कर रही है.
अरविंद केजरीवाल की जमानत की शर्त
आपको बता दें कि अंतरिम जमानत के तहत अरविंद केजरीवाल अपने कार्यालय नहीं जा सकते. आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते और दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते. किसी भी जरूरी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें उपराज्यपाल से अनुमति लेनी होगी. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister) को अंतरिम जमानत (Interim bail) दे दी. शीर्ष अदालत ने कहा है कि आम चुनाव के मद्देनजर अधिक समग्र और उदारवादी दृष्टिकोण अपनाना उचित है.
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