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गुजरात में केवल बसपा ने ही मुसलमानों पर जताया है भरोसा, राज्य में इतनी है आबादी

बसपा ने मोहम्मद अनीस देसाई को गांधीनगर से उम्मीदवार बनाया है.इस सीट से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं. वहां उनके सामने कांग्रेस की ओर से सोनल पटेल खड़ी हैं.सबसे अधिक मुस्लिम उम्मीदवार भी इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं.गांधीनगर में सात मुस्लिम उम्मीदवार अमित शाह को चुनौती दे रहे हैं. 

गुजरात में मुसलमान

देसाई के अलावा गुजरात में बाकी के मुस्लिम उम्मीदवार छोटे-मोटे दलों की ओर से चुनाव मैदान में हैं. अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक मुस्लिम उम्मीदवारों में से कुछ भारतीय जन नायक पार्टी, लोग पार्टी, राइट टू रिकॉल पार्टी और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया जैसे छोटे दलों के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

गांधीनगर के अलावा भरूच और पाटन में चार-चार मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. गुजरात में मुस्लिम आबादी करीब 10 फीसदी है. कच्छ, जामनगर, जूनागढ़, भरूच, भावनगर, सुरेंद्रनगर, पाटन, बनासकांठा, साबरकांठा, अहमदाबाद ईस्ट, गांधीनगर, नवसारी, पंचमहल और आणंद जैसी सीटों पर मुस्लिम आबादी ठीक-ठाक है.

क्या हाल है अहमद पटेल के गढ़ का

कांग्रेस ने 2019, 2009 और 2004 के उम्मीदवार में भरूच में मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे.कांग्रेस ने यहां से शेरखान पठान, अजीज तनकारवी और मोहम्मद पटेल को उम्मीदवार बनाया था.एक समय यह इलाका कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे अहमद पटेल का गढ़ हुआ करता था. इस बार कांग्रेस ने समझौते के तहत यह भरूच सीट आम आदमी पार्टी को दी है. आप ने वहां से अपने विधायक चैतर वसावा को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने 2014 में भरूच से जयेश पटेल को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन नवासारी में भाजपा उम्मीदवार सीआर पाटील के खिलाफ एक मुसलमान को उम्मीदवार बनाया था. 

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भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनाव में राज्य की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. 

इमरान खेडावाला गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के एकमात्र विधायक हैं.साल 2022 के चुनाल से पहले गुजरात में इमरान के अलावा ग्यासुद्दीन शेख और जावेद पीरजाद भी विधायक हुआ करते थे.लेकिन अब केवल इमरान ही बचे हैं. इमरान भरूच सीट आम आदमी पार्टी को देने के पार्टी के फैसले का बचाव करते हैं. उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’से कहा कि पार्टी का यह फैसला बुद्धिमानी वाला था.

स्थापना के बाद से 1984 तक भरूच लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी.साल 1977 से 1984 के बीच अहमद पटेल ने इस सीट पर तीन बार जीत दर्ज की थी.लेकिन भाजपा के चंदूभाई देशमुख ने 1989 के चुनाव में उन्हें हराया था.वो 1998 तक इस सीट से चुने जाते रहे. लेकिन भाजपा ने 1998 में मनसुख वसावा को टिकट दे दिया.अब वो इस सीट से सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. 

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