बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए भारत ने किया कुछ ऐसा, UN भी हुआ मुरीद, दुनिया को दे डाली नसीहत

नई दिल्ली:
बच्चों की जिंदगी बचाने की दिशा में भारत की कोशिशें रंग लाई हैं. भारत का डंका अब संयुक्त राष्ट्र में भी बज रहा है. UN ने बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rete) में गिरावट के लिए आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) की जमकर तारीफ की. यूएन ने दुनियाभर के अन्य देशों को भी भारत से सीख लेने की नसीहत दी. संयुक्त राष्ट्र ने आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य पहलों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने अपने हेल्थ सिस्टम में रणनीतिक निवेश के जरिए लाखों बच्चों की जान बचा ली. अन्य देश भी ऐसा कुछ कर सकते हैं.
भारत समेत इन देशों में आई मृत्यु दर में कमी
मंगलवार को जारी संयुक्त राष्ट्र इंटर-एजेंसी ग्रुप की बाल मृत्यु दर आकलन रिपोर्ट में बाल मृत्यु दर में गिरावट लाने वाले पांच देशों, भारत, नेपाल, सेनेगल, घाना और बुरुंडी का उदाहरण दिया गया. इसके साथ ही यूएन ने उन रणनीतियों का भी जिक्र किया, जिनकी वजह से बाल मृत्यु दर में गिरावट लाई जा सकी.

रिपोर्ट में कहा गया कि इन देशों ने दिखा दिया है कि “राजनीतिक इच्छाशक्ति, साक्ष्य-आधारित रणनीतियों और निरंतर निवेश के साथ, चुनौतियों का सामना करने वाले देश भी मृत्यु दर में अच्छी खासी गिरावट ला सकते हैं. पूरी दुनिया इससे सीख लेकर बाल मृत्यु दर को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को हेल्थ सिस्टम इन्वेस्टमेंट का फायदा मिला है.
UN ने भारत की जमकर की तारीफ
रिपोर्ट में इस बात को भी उजागर किया गया है कि साल 2000 से अब तक भारत ने 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की गिरावट और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में 61 प्रतिशत की गिरावट हासिल की है. ये सब स्वास्थ्य कवरेज बढ़ाने, विकसित मानव संसाधन और ह्युमन रिसोर्स की वजह से संभव हो सका है. इस रिपोर्ट में दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम आयुष्मान भारत का उदाहरण दिया गया है, जो हर साल हर एक परिवार को करीब 5,500 अमेरिकी डॉलर का सालाना कवरेज देती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग भौगोलिक, आर्थिक स्थितियों और हेल्थ सिस्टम स्ट्रक्चर के बावजूद, नेपाल, सेनेगल, भारत, घाना और बुरुंडी ने स्ट्रॉंग गवर्मेंट, हेल्थ के क्षेत्र में रणनीतिक निवेश और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के जरिए बाल मृत्यु दर में वैश्विक और अपने-अपने क्षेत्र में गिरावट के लक्ष्य को हासिल किया है.