पुणे पोर्शे मामले में किशोर न्याय बोर्ड में भी हुआ 'खेल', मामले की जांच कर रही समिति की रिपोर्ट में खुलासा
Pune Porsche case : पुणे पोर्शे दुर्घटना मामले में किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के एक गैर-न्यायिक सदस्य की रिपोर्ट में कथित विसंगतियों की जांच कर रही एक समिति ने रिपोर्ट में खामियां पाईं हैं. जेजेबी के गैर-न्यायिक सदस्य डॉ. एलएन दानवाडे़ ने 17 वर्षीय किशोर को दुर्घटना के 15 घंटों के भीतर जमानत पर रिहा कर दिया था. किशोर ने कथित तौर पर पोर्शे चलाया था और दो आईटी इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. समिति ने अब सामाजिक न्याय विभाग को सौंपी गई 100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि जिस तरह से डॉ. दानवाडे़ ने मामले को संभाला, उसमें कई खामियां हैं. उन्होंने ब्लड रिपोर्ट की खामियों पर विचार नहीं किया. यह रिपोर्ट पुलिस ने नहीं भेजी थी.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, जेजेबी ने भी मानक के अनुसार रोस्टर नहीं बनाया और डॉ. दानवाडे ने आरोपी किशोर को “जल्दबाजी में” रिहा करने का निर्णय दिया. समिति ने कहा कि आदेश केवल अधिक जेजेबी सदस्यों की उपस्थिति में दिया जाना चाहिए था, लेकिन जमानत आदेश दिए जाने के समय डॉ. दानवाडे के अलावा जेजेबी से कोई भी अदालत में मौजूद नहीं था. जमानत शर्तों में सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखना और 15,000 रुपये के बांड शामिल थे. इन शर्तों को बाद में संशोधित किया गया. व्यापक सार्वजनिक आक्रोश के बाद और पुलिस ने संकेत दिया कि वे लड़के पर वयस्क के रूप में आरोप लगाएंगे और उसे रिमांड होम भेज दिया गया.
गैर-न्यायिक सहित सभी जेजेबी सदस्यों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. उन्हें कथित खामियों पर जवाब देने का आदेश दिया गया है. एक बिल्डर के बेटे किशोर द्वारा चलाई जा रही पोर्शे कार 19 मई की सुबह एक मोटरसाइकिल से टकरा गई, जिसमें मध्य प्रदेश के निवासी आईटी पेशेवर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक किशोर नशे में गाड़ी चला रहा था. लड़के के माता-पिता सरकारी ससून जनरल अस्पताल में उसके रक्त के नमूनों की कथित अदला-बदली से संबंधित एक मामले में पुलिस हिरासत में हैं.