किस उम्मीद में महाराष्ट्र गए हैं अखिलेश यादव, महाविकास अघाड़ी सपा को देगी कितनी सीटें
नई दिल्ली:
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव शुक्रवार को अपने दो दिन के महाराष्ट्र दौरे पर नाशिक पहुंचे. यात्रा के दौरान वो महाराष्ट्र में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे.इसके अलावा वो विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर महा विकास अघाड़ी (एमबीए) के नेताओं से बातचीत भी कर सकते हैं. अखिलेश ऐसे समय महाराष्ट्र के दौरे पर गए हैं जब एमबीए टिकट बंटवारे को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि एमवीए अखिलेश यादव को कितनी सीटें लड़ने के लिए देता है. सपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में अकेले लड़कर दो सीटों पर जीत दर्ज की थी.
क्या करने महाराष्ट्र गए हैं अखिलेश यादव
अखिलेश यादव के महाराष्ट्र दौरे से कांग्रेस पर दवाब है. उस पर आरोप लग रहा है कि वह जहां कमजोर होती है, वहां दूसरे दलों से सीटें ले लेती है, लेकिन जहां वह खुद मजबूत होती है, वहां वह दूसरे दलों के जगह नहीं देती है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद इस नैरेटिव ने और जोर पकड़ा है. दरअसल सपा ने हरियाणा में भी कुछ सीटें कांग्रेस से मांगी थीं, लेकिन कांग्रेस ने उसकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया. उससे पहले कुछ ऐसा ही वाकया मध्य प्रदेश के चुनावों में भी हुआ था. इन दोनों ही प्रदेशों में कांग्रेस को हार उठानी पड़ी थी.
सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी ने एमवीए को 12 सीटों की एक सूची सौंपी है, जहां से वह चुनाव लड़ना चाहती है. इस सिलसिले में अखिलेश यादव अपनी महाराष्ट्र यात्रा के दौरान शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से मुलाकात कर सीट बंटवारे पर चर्चा कर सकते हैं. वो समाजवादी पार्टी के नेताओं से चुनाव तैयारियों को लेकर चर्चा भी करेंगे.
अखिलेश यादव की उम्मीद क्या है
महाराष्ट्र यात्रा से पहले अखिलेश यादव ने गुरुवार को लखनऊ में कहा था कि वो शुक्रवार को महाराष्ट्र की यात्रा पर जा रहे हैं. हमारी कोशिश इंडिया गठबंधन के साथ रहकर चुनाव लड़ने की होगी. हमने कुछ सीटों की मांग की है. अभी हमारे वहां दो विधायक है. लेकिन हमें उम्मीद है कि लड़ने के लिए हमें और सीटें दी जाएंगी और गठबंधन के साथ रहेंगे. अखिलेश यादव शुक्रवार को मालेगांव और शनिवार को धुले में जनसभाओं को संबोधित कर सकते हैं.
सपा नेताओं को उम्मीद है कि इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से वोटों का विभाजन रुकेगा.सपा के दूसरे प्रदेश में चुनाव लड़ने को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. सपा ने अल्पसंख्यक वोटों और सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए जलगांव जिले और अमरावती के रावेर सीटें मांगी हैं. हालांकि ये दोनों सीटें पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीती थीं.इन दोनों के अलावा सपा मानखुर्द शिवाजी नगर, वर्सोवा और अणुशक्ति नगर (मुंबई उपनगरीय जिला), भायखला (मुंबई शहर), भिवंडी पूर्व और भिवंडी पश्चिम (ठाणे), मालेगांव सेंट्रल (नासिक), औरंगाबाद पूर्व (छत्रपति संभाजी नगर), करंजा (वाशिम) और धुले शहर (धुले जिला) सीटों की मांग की है.इनमें से दो सीटें मानखुर्द शिवाजी नगर और भिवंडी पूर्व सीट सपा ने 2019 के चुनाव में जीती थीं. वहीं मालेगांव सेंट्रल सीट और धुले शहर की सीट 2019 के चुनाव में एआईएमआईएम ने जीती थीं. सपा ने इस मांग के जरिए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भी घेरने की रणनीति बनाई है. सपा ने 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में सात सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें से उसने दो सीटों पर जीत की थी, जबकि पांच सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी.
सपा-कांग्रेस का गठबंधन
सपा के महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष और मानखुर्द शिवाजी नगर के विधायक अबु आजमी ने गुरुवार को कहा था कि हम 12 सीटों की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कांग्रेस भिवंडी सीट नहीं जीत सकती है, लेकिन हम जीत सकते हैं. अगर हमें वो सीटें नहीं दी गईं जह हम मजबूत हैं तो हम वहां से अपने उम्मीदवार उतारेंगे. उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों की सूची जारी करने से पहले कांग्रेस को सपा को विश्वास में लेना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द करने के लिए कहा.
सपा ने अब सारी जिम्मेदारी कांग्रेस पर डाल दी है कि वो अपने सहयोगियों का ध्यान रखे.अखिलेश यादव की महाराष्ट्र यात्रा से पहले ही सपा ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में दो सीटें उपचुनाव के लिए दी हैं. उत्तर प्रदेश की 9 सीटों के लिए उपचुनाव कराया जा रहा है. इनमें से दो सीटें अलिगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट कांग्रेस को दी हैं. वहीं सात सीटों पर सपा खुद चुनाव लड़ रही है. हालांकि कांग्रेस फूलपुर सीट की मांग को लेकर भी अड़ी हुई है. हरियाणा चुनाव का परिणाम आने के बाद ही सपा ने कांग्रेस ने चर्चा किए बिना अपने छह उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी. इसके बाद से उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे.
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