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इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए भारत और अमेरिका ने साइन किया MOU

बैठक में कई अहम मुद्दों पर भी हुई बात

इस MOU पर सैन फ्रांसिस्को में “डिकोडिंग द “इनोवेशन हैंडशेक”: यूएस-इंडिया एंटरप्रेन्योरशिप पार्टनरशिप” नामक किक-ऑफ इंडस्ट्री राउंडटेबल में हस्ताक्षर किए गए. यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा सह-आयोजित और नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) और स्टार्टअप इंडिया द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम में प्रमुख आईसीटी कंपनियों के सीईओ, अधिकारी उद्यम पूंजी फर्मों और महत्वपूर्ण और उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्टार्टअप के संस्थापकों ने चर्चा की. इस चर्चा के दौरान खास तौर पर अमेरिका-भारत प्रौद्योगिकी सहयोग को कैसे बढ़ाया जाए, इसपर बात हुई. 

इस MOU के साइन होने से दोनों पक्षों के गतिशील स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ने, सहयोग के लिए विशिष्ट नियामक बाधाओं को संबोधित करने, स्टार्टअप के लिए फंड जुटाने जैसी जानकारी, बेस्ट प्रैक्टिस को साझा करने और विशेष रूप से महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (सीईटी) में इनेशियटिव और जॉब ग्रोथ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है.

तकनीक के विकास को लेकर भी पहले कई समझौते हुए हैं

बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच इसी साल प्रौद्योगिकी साझेदारी बढ़ाने, साथ मिलकर सेमीकंडक्टर, 5जी और 6जी दूरसंचार नेटवर्क, क्वांटम और उन्नत कंप्यूटिंग के क्षेत्र में उत्पादन की संभावनाएं तलाशेंगे की बात गई थी. इसे लेकर एक संयुक्त बयान भी जारी किया गया था. बयान में कहा गया था कि दोनों सरकारें प्रौद्योगिकी साझेदारी बढ़ाने, साथ मिलकर विकास और उत्पादन के अवसरों को बढ़ावा देने और नियमों को अनुकूल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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भारत और अमेरिका ने आपसी वाणिज्य, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सेमीकंडक्टर, 5जी और 6जी दूरसंचार और ओपन सोर्स आधारित दूरसंचार नेटवर्क, क्वांटम और उन्नत कंप्यूटिंग के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.

संयुक्त बयान में कहा गया था कि राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला और नवाचार साझेदारी के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को दोनों देशों के सेमीकंडक्टर प्रोत्साहन कार्यक्रमों के समन्वय में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. इससे व्यावसायिक अवसरों, अनुसंधान, प्रतिभा और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा.

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