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भारत ने UN में दिया अमेरिका और इजरायल को झटका, आजाद फिलिस्तीन की मांग का किया समर्थन

संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, “भारत दो राज्य समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है. फिलिस्तीनी लोग इजरायल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमा के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रहने में सक्षम हैं.” कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के आवेदन पर पुनर्विचार करने की बात कही. भारत के इस कदम को अमेरिका और इजरायल के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका फिलिस्तीनी राज्य को खतरे के रूप में देखते हैं.

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उन्होंने कहा, ‘‘भारत ऐसे द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां फिलिस्तीनी लोग इजराइल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रह सकें.”

UN के प्रस्ताव पर 18 अप्रैल को हुई थी वोटिंग

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता हासिल करने के फिलिस्तीन के प्रयासों को लेकर UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) के प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने 18 अप्रैल को वीटो का इस्तेमाल किया था. UNSC ने मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया था, जिसके पक्ष में 12 वोट पड़े थे. जबकि स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन मतदान से दूर रहे थे. 

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दो राष्ट्र समाधान के बिल्कुल खिलाफ है इजरायल

गौर करने वाली बात ये है कि इजरायल दो राष्ट्र समाधान के बिल्कुल खिलाफ रहा है. ऐसे में भारत का ये बयान इजरायल को नागवार गुजर सकता है. हालांकि, भारत ने इजरायल के खिलाफ कोई बात नहीं की है. उसने वही कहा है, जो वो दशकों से कहता आया है. बेशक हाल के वर्षों में भारत के इजरायल के साथ संपर्क गहरे हुए हैं. दोनों देश तकनीकी, रक्षा, कृषि से लेकर आतंकवाद के मुद्दे तक काफी सहयोग कर रहे हैं. इजरायल के साथ एक रणनीतिक संबंध की दिशा में आगे बढ़ने के बावजूद भारत फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपने पुराने रुख से डिगा नहीं है. जब कई पश्चिमी देशों में UNRWA का फंड रोक दिया, तब भी भारत ने ऐसा नहीं किया.

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सवाल है कि एक दो राष्ट्र समाधान की बात इजरायल ने खारिज कर दी, तो दूसरा विकल्प क्या हो सकता है? क्योंकि इजरायल कभी ये भी नहीं चाहेगा कि फिलिस्तीन इजरायल देश का हिस्सा बना रहे. इजरायल की स्थापना ही यहूदियों के लिए हुई है. कहने का मतलब एक राष्ट्र के तौर पर भी वह फिलिस्तीनियों को साथ नहीं रखेगा. ऐसे में गाजा और वेस्ट बैंक में रहने वाले लाखों फिलिस्तीनी कहां जाएंगे?

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अमेरिका अपनाता रहा है दोहरा रवैया

ये एक व्यवहारिक सवाल है. न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका भी दो राष्ट्र समाधान की बात करता रहा है. लेकिन अमेरिका का दोहरा रवैया तब सामने आ गया, जब उनसे फिलिस्तीन की एक देश के तौर पर पूर्ण सदस्यता के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया. 193 सदस्यों वाले यूएन में फिलिस्तीन का दर्जा अभी गैर सदस्य पर्यवेक्षक देश यानी ऑब्ज़र्वर देश का है. 2011 में फिलिस्तीन ने पूर्ण सदस्य के तौर पर मान्यता का आवेदन दिया था. लेकिन प्रस्ताव पास नहीं हो पाया. हालांकि, नवबंर 2012 में उसे गैर- सदस्य ऑब्ज़र्वर देश का दर्जा मिल गया. फिलिस्तीन की लगातार कोशिश रही है कि उसे यूएन की पूर्ण सदस्यता मिले. अब भारत उसके प्रबल सर्मथक के तौर पर सामने आया है.

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गाजा में नागरिकों की मौत पर जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने जहां फिलिस्तीनियों के स्वतंत्र राष्ट्र के हक की बात की है. वहीं, गाज़ा में बद से बदतर होते हालात पर चिंता जाहिर की है. भारत ने गाजा में अंतराष्ट्रीय कानून के पालन पर जोर दिया है. भारत ने सीजफायर को लेकर पिछले महीने सुरक्षा परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव का स्वागत किया. उसने कहा कि आतंकवाद किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं है. गाजा की मौजूदा हालत पर चिंता जाहिर करते हुए भारत ने बड़ी मात्रा में मानवीय मदद पर ज़ोर दिया.

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