मुस्लिमों के लिए भारत है दूसरे इस्लामिक देशों से बेहतर

भारत के मुस्लिम दूसरे मुस्लिम देशों से बेहतर हैं भारत में.. जी हां ये बयान आपने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से सुना होगा.. जिसपर विपक्ष ने राजनीति भी की. वहीं अगर हम ज़रा दुनिया भर के मुस्लिमों के बारे में सोचों और साथ ही अपने भारत के मुस्लिम लोगों के लिए बात करें तो हमें एक तरफ जहां फिलिस्तीन में मुस्लिमों का घर तक उजड़ चुके हैं. सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हैं. वहीं सीरिया की बात करें तो वहां गृह युद्ध ही चलते रहते हैं. अफगानिस्तान में तालिबान राज के चलते भी खुशी से मुस्लिम अपनी ज़िदंगी नहीं जी पाते. यहां तक की अभी तक अफगानिस्तान के हज़ारों की तदाद में मुस्लिम दुसरे देशों में पनाह ले रहा है.. साथ ही अगर भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बात करें तो वहां पाराचिनार में खुद शिया मुस्लिमों पर ज़ुल्म हो रहा. जिसके बाद इस्लामाबाद समेत लोग रातों तक में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रर्दशन कर रहे हैं.
वहीं हाल ही में जिस तरह खुद बांग्लादेश में मुस्लिमों की हालत हुई जिसका जीता जागता उदाहरण यही है कि वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना तक को भारत में पनाह लेनी पड़ी. यानि मुस्लिम देश होने के बाद भी मुस्लिमों की कोई भी सुनवाई नहीं. वहीं अगर हम अपने भारत की बात करें तो यहां लोकतंत्र हैं जिसकी वजह से यहां हर धर्म का इंसान एक सामान है. वहीं मुस्लिम भी यहां सुकुन से है कि यहां ईद, बकरीद, मोहरर्म, मिलाद उन नबी आदि हर्ष उल्लास से मनाया जाता है.. ना कोई रोक टोक.. ना किसी तरह की परेशानी.
पूरे विश्व में बजता है भारत के मुस्लिमों का डंका…
हाल ही में मशहूर तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का निधन हुआ. भारत से लेकर विश्न में भी शोक मना. वहीं भारत में मुस्लिमों के ऐसे चेहरे हैं. जिनका डंका पूरे विश्व में बजता है. चाहे हम बात करें मशहुर अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान आदि जिनके दिवाने दुनिया भर में लोग हैं. साथ ही खेलों की बात करें तो सानिया मिज़ा ने भारत का नाम हमेशा उंचा करा.. वहीं भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दुनिया भर में भारत की ताकत को दिखाया.. जिन्हें आज तक दुनिया याद करती है. वहीं बॉलीवुड और सिंगर की बात करें तो सुलतान अहमद, नसरुद्दीन शाह, मोहम्मद रफी, सरदार मलिक, अनु मलिक, एआर रहमान, सलीम मर्चेंट , फराह खान, रज़ा मुराद, ज़रीन खान, सैफ अली खान, फिरोज अली खान आदि ऐसे नाम हैं जो विश्व में हर किसी के दिलों को छू जाते हैं. वहीं अज़ीज प्रेमजी, जावेद हबीब, शहनाज़ खान जैसे मशहूर मुस्लिम का कदम दुनिया भर में हैं.
भारत का कानून सबसे बड़ा
वहीं जहां कई मुल्कों में इंसानियत की भी कद्र नहीं होती है.. वहीं भारत में लोकतंत्र की वजह से हर इंसान को सामान अधिकार दिया गया है. जो उसका मौलिक अधिकार है. वहीं अगर किसी को भी कोई भी परेशानी होती है. तो वो कानून का दरवाज़ा खटखटा सकता है. ऐसा नहीं है कि छिटपुट हिंसाएं भारत में नहीं होती है. वो अकसर कभी न कभी देखने को मिल ही जाती है. लेकिन उनको हम पूरे भारत से नहीं जोड़ सकते हैं. वहीं हाल ही में मस्जिदों में सर्वे का चलन चल गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आदेश जारी कर दिया कि किसी मस्जिद का कोई सर्वे अब नहीं होगा. जिससे पता चलता है कि संविधान के तहत किसी भी समुदाय के साथ यहां कोई भी भेदभाव नहीं है.
दूसरे देश में होता है मज़लूम पर हमला, तो भारत में उठती है आवाज़
बांग्लादेश में जहां हिंदू लोगों को टारगेट किया जा रहा है. ऐसे में हिंदुस्तान से मुस्लिमों लोगों ने बांग्लादेश के खिलाफ प्रदर्शन तक किया. लखनऊ में तो कैंडल मार्च तक मौलाना कल्बे जव्वाद के नेतृत्व में निकाला गया. वहीं इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कल्बे रुशैद ने भारत सरकार से अपील की है कि बांग्लादेश में हिंदू लोगों की हिफाज़त की जाए और जल्द से जल्द कदम उठाया जाए. वहीं सुन्नी मौलाना उमेर इलियासी एवं ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव ने भी भारत सरकार से अपील की. वहीं सिर्फ बांग्लादेश नहीं. बल्कि पाकिस्तान में जिस तरह से मज़लूम शिया पर हमले हो रहे हैं. ऐसे में जहां पाकिस्तान का पूरे विश्व में कानून का पालन ना करने वालों में नाम आ रहा है. ऐसे में भारत में भी दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद आदि में पाराचिनार में कत्लेआम रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार से अपील की गई है. वहीं जब पाकिस्तान के पेशावर में एक सैनिक स्कूल में 132 बच्चों को आतंकियों ने मारा था तब भी भारत की तरफ से श्रद्दांजलि दी गई थी.. और हिंदुस्तान में हर आंखें नम थी.. क्योंकि इन आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता है.. ये इंसानियत के खिलाफ हमेशा खड़े रहते हैं.
तारीख | देश | मरने वालों की संख्या |
28 जनवरी | तुर्की | 1 |
28 जनवरी | जोर्डन | 3 |
30 जनवरी | पाकिस्तान | 4 |
6 फरवरी | सोमालिया | 10 |
6 फरवरी | तुर्की | 2 |
7 फरवरी | पाकिस्तान | 30 |
28 फरवरी | माली | 30 |
14 मार्च | सोमालिया | 8 |
3 सितंबर | नाइजीरिया | 130 |
9 नवंबर | पाकिस्तान | 31 |
21 नवंबर | पाकिस्तान | 54 |
2024 में किस किस मुस्लिम देशों में हुई अशांति
साल 2024 की शुरूआत से ही आंतकी हमले की घटनाएं देखने को मिली.. सबसे पहले 3 जनवरी को ईरान के किरमान में ISIS के ज़रिए आतंकी हमला हुआ. जिसमें तकरीबन 100 लोग मारे गए और तकरीबन 300 लोग ज़ख्मी हुए.. सोमालिया में 2 अगस्त को लीडो बीच पर आतंकी हमला होता है जिसमें तकरीबन 50 लोगों की मौत हुई.. पाकिस्तान में इसी साल में एक रिपोर्ट के मुताबिक 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई.. ज्यादातर पाराचिनार, खैबर पंखतुन्वा में हुई.. जिसके पीछे तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का हाथ है.. वहीं नाइजीरिया में इसी साल सितंबर के शुरूआत में बोको हरम आतंकी संगठन ने 100 से ज्यादा मासूम गांव वालों को मार डाला.. वहीं 11 लोगों की ओपन फायरिंग में एक चेकपॉइंट पर मौत हो गई जिसमें 5 सैनिक भी थे.. वहीं गाज़ा- इजरायल वार में खुद गाज़ा के अंदर ही तकरीबन 46 हज़ार लोगों की मौत हो गई.. और तकरीबन 1 लाख से ज्यादा लोग ज़ख्मी हैं.. वहीं लेबनान में 3000 लोगों की मौत हो गई.. वहीं तकरीबन 14 हज़ार लोग ज़ख्मी हुए.. इसमें तकरीबन 600 महिलाएं और 200 बच्चे भी थे..वहीं सितंबर में माली देश की राजधानी बमाको में 2015 के बाद का सबसे बड़ा हमला हुआ जिसमें तकरीबन 70 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई.. कुछ और आंकड़े आपको बताते हैं..
फिलिस्तीन,लेबनान, यमन,सीरिया, ईरान, ईराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाइजीरिया आदि देशों में हमले हुए जिसमें लोगों की जानें गई.. वहीं आपको बताते हैं कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 1979 से लेकर अप्रैल 2024 तक सबसे ज्यादा अटैक 17075 अफगानिस्तान में हुए जिसमें तकरीबन 70 हज़ार 38 लोगों की जान गई.. वहीं आतंकियों ने भारत को भी नहीं छोड़ा है.. यहां भी कश्मीर में अक्टूबर महीने हमला होता है जिसमें 4 सैनिक की मौत हो जाती है.