भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता अवश्य मिलेगी लेकिन आसानी से नहीं: एस जयशंकर
उन्होंने कहा कि जब वह विभिन्न देशों में जाते हैं तो उन्हें यह बदलाव नजर आता है कि अब दुनिया भारत को कितनी अलग नजर से देखती है. यहां भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल के उत्तर में कहा, ‘हम वहां पहुंचेंगे. मुझे 100 फीसदी यकीन है कि हम वहां पहुंचेंगे लेकिन मैं आपको यह भी बताऊंगा कि ईमानदारी से कहूं तो हमें यह आसानी से हासिल नहीं होगा क्योंकि दुनिया प्रतिस्पर्धा से भरी है.’
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, ”कुछ लोग हमें रोकने की कोशिश करेंगे, रास्ते में बाधाएं उत्पन्न करेंगे..लेकिन मुझे विश्वास है कि हम वहां पहुंचेंगे और मैं पांच साल पहले या 10 साल पहले की तुलना में आज इसके (स्थायी सदस्यता) लिए अधिक आश्वस्त हूं. जब मैं दुनिया भर में जाता हूं, तो अक्सर लोगों से यह सुनता हूं कि ‘देखिये, आप वे बातें कह सकते हैं जो हम नहीं कह सकते. हम यह कहने के लिए आप पर भरोसा करते हैं क्योंकि हमारी अपनी सीमाएं हैं.” उन्होंने यह रेखांकित किया कि भारत ने कैसे एक ऐसा रुख अपनाया है जो उन सभी के लिए एक सामूहिक रुख है. ऐसे कई मुद्दे हैं जिनमें कइयों के हित शामिल हैं लेकिन वैश्विक परिचर्चा पर कुछ ही लोगों का वर्चस्व है.
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह ऊर्जा संकट के बारे में हो सकता है, कई देशों में आज कर्ज की स्थिति है. यह संस्कृति और विरासत के बारे में हो सकता है क्योंकि कोई भी दूसरों की संस्कृति से अभिभूत नहीं होना चाहता. एक तरह से, आज भारत भरोसेमंद है और उसके बारे में अच्छी राय है. ऐसे बहुत से देश हैं जो हमें वहां (यूएनएससी के स्थायी सदस्य के रूप में) देखना चाहते हैं.”
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों में हुए कई चुनावों में भारत ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमने उन चुनावों में उन पांच देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया, जो पहले से ही सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं.’
उन्होंने कहा, ‘‘इसतरह, हमें दुनिया का विश्वास हासिल है. लेकिन, जैसा कि मैंने कहा है कि हमारे पास यह अवधि है, यह 25 वर्ष की अवधि हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ये निश्चित रूप से भारत में परिवर्तन के वर्ष होंगे, लेकिन ये विश्व में भारत की स्थिति को भी बदल देंगे.”
उन्होंने कहा कि भारत एक अधिक बड़ी अर्थव्यवस्था होगा और दुनिया पर और अधिक प्रभाव डालेगा. मंत्री ने कहा, ‘तो हमारा समय आ रहा है, आप जानते हैं, लेकिन हमें इसके लिए काम करना होगा. भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि घरेलू स्तर पर चीजें सही हों. मंत्री ने कहा, ‘हम जिस राह पर बढ़े हैं, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम सब कुछ ठीक करें. अब हमें गति बढ़ाने और आगे बढ़ने की जरूरत है और मुझे यकीन है कि अगर ऐसा होता है, तो हम वहां पहुंच जाएंगे.’
मंत्री ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक पुराने ‘क्लब’ की तरह है जिसमें कुछ ऐसे सदस्य हैं जो अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहते और नहीं चाहते कि उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठे.
भारत, सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए वर्षों से किये जा रहे प्रयासों में सबसे आगे रहा है और उसका कहना है कि वह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में जगह पाने का वास्तविक हकदार है, जो (यूएनएससी) अपने मौजूदा स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता. वर्तमान में, यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य हैं – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका. स्थायी सदस्य के पास ही किसी भी प्रस्ताव पर ‘वीटो’ करने की शक्ति होती है.
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