देश

"भारतीय वायुसेना हो रही अपग्रेड, 2032 तक होंगे 42 स्क्वॉड्रन": The Hindkeshariडिफेंस समिट में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित

रडार के क्षेत्र में हम पूरे आत्मनिर्भर हो चुके- एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित

नई दिल्‍ली :

The HindkeshariDefense Summit: भारतीय वायुसेना पारंपरिक चोला बदलकर आधुनिक तकनीक पर तेजी से अमल कर रही है. उम्‍मीद है कि आने वाले कुछ सालों में बिल्‍कुल नए रंग रूप और मारक क्षमता के साथ दुनिया के तमाम वायुसेनाओं के साथ कदम से कदम मिलाते हुए नजर आएगी. यही बात भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने The Hindkeshariडिफेंस समिट में कही. उन्‍होंने कहा कि वायुसेना क्षमता को बढ़ाने और आधुनिकीकरण पर तेजी से काम हो रहा है और आने वाले कुछ सालों में स्थिति बेहद बेहतर हो जाएगी. 

2032 तक वायुसेना में होंगे 42 बेड़े…

यह भी पढ़ें

एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि वायुसेना में थोड़ी स्क्वाड्रन की संख्या कम है, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं. कुछ को अपग्रेड किया है, फिर भी गिनती चाहिए, वह मायने करता है. हमने तेजस का कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है. कुछ और अप्रूवल भी मिल चुके हैं. हमने एलसीए से कहा है कि कम से कम 24 जहाज एक साल में दीजिए. आज की तारीख में वे एक साल में 12 -13 तेजस दे सकते हैं. अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला रहा तो 2032 में 42 बेड़े हो जाएंगे.

रडार के क्षेत्र में हम पूरे आत्मनिर्भर हो चुके

उन्होंने बताया, “हमारी फैसिलिटी से एचएएल बना. उसके बाद हमने मारूत एयरक्राफ्ट बनाया और बाद में जितने भी मिग एयरक्राफ्ट बने वो यहीं पर बने. उसके बाद भारतीय वायुसेना ने जोर लगाया एलसीए बनाने पर. आज हम तेजस के साथ फ्लाइंग कर रहे हैं. उसको विदेश में भी लेकर गए. जल्द ही हमारे पास उसका अगला वर्जन आने वाला है. इसके अलावा काफी सारे हथियार हैं, जो स्वदेशी हैं, वे भी सेना में शामिल होंगे. आकाश हो, अस्त्र हों, सारे सिस्टम देश में बने हैं. रडार के क्षेत्र में हम पूरे आत्मनिर्भर हो चुके हैं. वायुसेना थोड़ी बहुत चीजों को छोड़कर हर चीज में आत्मनिर्भर है.”

यह भी पढ़ें :-  "राहुल गांधी मुस्लिम लीग के समर्थन से लड़ रही है चुनाव" : बोली BJP

प्राइवेट सेक्‍टर को भी बड़ी जिम्‍मेदारी

एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि देश में बने हुए हथियार बिल्कुल टक्कर के हैं. हम जो भी वेपन सिस्टम शामिल करते हैं उसमें काफी ट्रायल करते हैं. जो हमारी जरूरत को पूरा करता है तभी हम उसको शामिल करते हैं. यह सारे हथियार युद्ध लड़ने के लिए पूरी तरह सक्षम है. उन्होंने कहा कि जिस तरह के लॉन्ग रेंज वेपन का जमाना आ रहा है, हम भी उसी पर फोकस कर रहे हैं. अब वह प्राइवेट सेक्टर में बना रहे हैं. जो हमने ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट लिए हैं, वे भी टाटा बना रही है. पहले हम खाली डीपीएसयू के पास जाते थे, अब हम लोग प्राइवेट सेक्टर को भी कॉन्ट्रैक्ट दे रहे हैं. सरकार, सेना का पूरा भरोसा प्राइवेट सेक्टर पर है, आगे भी रहेगा. 

ये भी पढ़ें:- “नई टेक्‍नोलॉजी अब सिर्फ अमीर देशों तक सीमित नहीं”: The Hindkeshariडिफेंस समिट में बोले सेना प्रमुख मनोज पांडे

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button