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भारत सरकार कर्ज के चक्रव्यूह में लगातार फंसती जा रही है: मल्लिकार्जुन खरगे

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को दावा किया कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से देश ऋण संकट के चक्रव्यूह में फंसने के खतरे का सामना कर रहा है और ‘‘विज्ञापन के तमाशे” के शोर में सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता है. कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने देश को सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले ऋण अधिक होने को लेकर चेतावनी दी है. ऋण और जीडीपी का अनुपात 81 फीसदी पर पहुंच गया है जबकि स्वीकार्य सीमा 60 फीसदी है.

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खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार 15 दिन में अपने कार्यकाल का आख़री बजट पेश करेगी. देश के परिवारों की बचत 50 साल में सबसे न्यूनतम स्तर पर है. जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुपात में यह 5.1 प्रतिशत पर आ गिरी है.”

उन्होंने कहा कि सरकार का राजकोषीय घाटा करीब नौ प्रतिशत तक रहने का आकलन है, जिसमें केंद्र का घाटा 5.9 प्रतिशत और राज्य सरकारों का घाटा 3.1 प्रतिशत रह सकता है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस हिसाब से पता चलता है कि देश के परिवार जितना बचा रहे हैं, उससे अधिक तो अकेले सरकार को क़र्ज़ लेना होगा.यही सबसे खतरनाक है.’ उन्होंने कहा, ‘‘आईएमएफ के मुताबिक़ कर्ज-जीडीपी अनुपात 60 प्रतिशत होना चाहिये, पर वह अभी 81प्रतिशत पर है, और आईएमएफ ने इसपर चेतावनी भी दी है, जिसे मोदी सरकार ने आदतन तरीक़े से नकारा है.”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारत सरकार क़र्ज़ के चक्रव्यूह में लगातार फंसती जा रही है. कहीं ये ना हो कि विश्व की कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तरह हमारी अर्थव्यवस्था और देश का भविष्य दोनों कुचक्र में उलझकर बड़ी मुसीबत में पड़ जाएं.”

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उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार ज़्यादा खर्च करने का ढिंढोरा पीटती है, पर असलियत यह है कि 15 मंत्रालयों ने अब तक पिछले बजट का केवल 17.8 फीसदी ही ख़र्च किया है. इसमें एमएसएमई, पेट्रोलियम, सिविल एवियेशन, फ़ूड प्रोसेसिंग, कॉरपोरेशन, अल्पसंख्यक, पूर्वोत्तर मंत्रालय शामिल हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘विज्ञापनी तमाशों के शोरगुल से सच छिप नहीं सकता.”

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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