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भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव राष्ट्र के युवाओं को करेगा प्रेरित : राजनाथ सिंह

प्रोजेक्ट उद्भव का शुभारंभ 

कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने समकालीन सैन्य क्षेत्र में देश के प्राचीन सामरिक कौशल को अपनाए जाने की बात रखी. इस एकीकरण के माध्यम से स्वदेशी डिस्कोर्स को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सहयोग से ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ का भी शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ टू द चेयरमैन, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और नौसेना के उप-प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह भी उपस्थित थे.

एक लंबे और गौरवशाली सैन्य इतिहास एवं रणनीतिक संस्कृति की कई शताब्दियों के बावजूद, लोग इसके विभिन्न पहलुओं से काफी हद तक अनजान हैं. यह महोत्सव 21 वीं सदी में सशस्त्र बलों के विकास के लक्ष्यों का अनुसरण करते हुए, सैन्य इतिहास और विरासत के साथ सार्वजनिक जुड़ाव को बेहतर करने का महत्वपूर्ण प्रयास है.

भारतीय सैन्य संस्कृति और इतिहास के अध्ययन पर जोर

इस महोत्सव का उद्देश्य भारतीय सैन्य संस्कृति, परंपराओं और इतिहास के अध्ययन को नया जोर देना और साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूत करना है. यह महोत्सव सुरक्षा, रणनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से जुड़े हुए विभिन्न समकालीन मुद्दों पर चर्चा हेतु मंच भी प्रदान करता है.

महोत्सव में सैन्य बैंड प्रदर्शन के माध्यम से सैन्य संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें आर्मी सिम्फनी बैंड प्रस्तुति और ब्रास बैंड प्रदर्शन और एक सांस्कृतिक पर्व शाम शामिल है. भारतीय विरासत संस्थान, संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से देश के लंबे और शानदार सैन्य इतिहास में चुनिंदा उपलब्धियों को उजागर करने लिए एक प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है.

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प्राचीन सैन्य कौशल के जरिए नई स्वदेशी सैन्य अवधारणाओं को विकास

इस परियोजना की आवश्यकता को एक महत्वपूर्ण समझ द्वारा रेखांकित किया गया है- विश्व स्तर पर प्रचलित वर्तमान सैन्य अवधारणाओं को बड़े पैमाने पर पश्चिमी सेनाओं के अनुसंधान और सिद्धांतों द्वारा आकार दिया गया है, मगर वे स्थानीय आवश्यकताओं और भारतीय सेना की समृद्ध सांस्कृतिक-रणनीतिक विरासत के लिए पर्याप्त नहीं हैं. प्रॉजेक्ट उद्भव के माध्यम से, भारतीय सेना मानती है कि राष्ट्र प्राचीन ग्रंथों और पांडुलिपियों का खजाना है जो राज्य, युद्ध और कूटनीति में परिष्कृत, विविध और प्रासंगिक रूप से समृद्ध रणनीतियों को चित्रित करता है. यह परियोजना प्राचीन सैन्य कौशल के माध्यम से नई स्वदेशी सैन्य अवधारणाओं को विकसित करने तथा मौजूदा रणनीतियों के निर्माण और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है.

‘प्रॉजेक्ट उद्भव’ स्वदेशी रणनीतिक विकास के केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार है. यह पहल एक ऐसी रणनीतिक शब्दावली और वैचारिक ढांचे को बुनने के लिए डिजाइन की गई है जो भारत की दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत में गहराई से अंतर्निहित है. ‘प्रॉजेक्ट उद्भव’ मजबूत, प्रगतिशील और भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना के लिए एक मंच तैयार करता है, ताकि हमारी सेना न केवल देश की ऐतिहासिक सैन्य दूरदर्शिता के साथ मेल बना सके, बल्कि समकालीन युद्ध और कूटनीति की मांगों के अनुसार भी चल सके. यह परियोजना भारत के सामरिक विचार और सैन्य इतिहास के समृद्ध, विविध और अक्सर कम खोजे गए खजाने को समझने और प्रसारित करने के लिए गहन अनुसंधान, चर्चा, एवं अध्ययन को अद्वितीय बढ़ावा देती है.

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