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भारत की डिजिटल इकोनॉमी 10 गुना बढ़ी, 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छूने की राह पर अग्रसर


नई दिल्‍ली:

आईपीओ बाजार में हो रहे विकास के बीच भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 10 गुना बढ़ी है, जो 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े की ओर बढ़ रही है. शुक्रवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल ग्लोबल लिस्टिंग में इसका हिस्सा 30 प्रतिशत से अधिक था. पिछले साल ग्लोबल आईपीओ वॉल्यूम में भारत का योगदान 31 प्रतिशत रहा, कुल फंड जुटाने में 3 बिलियन डॉलर जुटाए गए. देश का लक्ष्य 2030 तक 13 ट्रिलियन डॉलर का बाजार पूंजीकरण हासिल करना है, जो मजबूत निवेशक भागीदारी की वजह से देखा जा रहा है. यह जानकारी एक कार्यक्रम में लॉन्च की गई रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट में दी गई है.

100 से अधिक यूनिकॉर्न और सूनिकॉर्न की बढ़ती पाइपलाइन के साथ, भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम हाइपरग्रोथ से आगे निकलकर लाभप्रदता, प्रीमियमाइजेशन और ऑम्नीचैनल अडॉप्शन की ओर बढ़ रहा है. इस कार्यक्रम में भारत के आईपीओ बूम पर भी चर्चा की गई. इस क्षेत्र में 2024 में 330 से अधिक लिस्टिंग देखी गईं, जो ग्लोबल आईपीओ वॉल्यूम का 30 प्रतिशत से अधिक है.

यूनिकॉर्न का औसत राजस्व 2021 से तीन गुना हो गया है, जिसमें से कई ने वित्त वर्ष 2024 में ईबीआईटीडीए लाभप्रदता हासिल की है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खुदरा निवेशकों की संख्या में उछाल आया है, जिससे निवेशकों की औसत आयु 42-44 वर्ष से घटकर 30 वर्ष से कम हो गई है.

भारत में 100 मिलियन डॉलर से अधिक राजस्व वाले 350 ब्रांड हैं, जो बाजार की कम-ब्रांडेड प्रकृति को उजागर करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक डिजिटल रिटेल का सभी खुदरा बिक्री में 12 प्रतिशत हिस्सा होने का अनुमान है, जो प्रीमियम और लक्जरी सेगमेंट में महत्वपूर्ण अवसरों को खोलेगा. ग्रामीण वाणिज्य एक प्रमुख निवेश अवसर के रूप में उभर रहा है, जो बढ़ती पहुंच और बढ़ती आकांक्षाओं की वजह से है. भारत के बीटूबी क्षेत्र में टेक-ड्रिवन सप्लाई चेन दक्षताएं नए वैश्विक अवसरों को खोल रही हैं.

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नवी के अध्यक्ष सचिन बंसल ने कहा कि लाइन मैनेजर अब कर्मचारी एक्सपीरियंस और कंपनी कल्चर को आकार देने में महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने उद्योगों में परिचालन संबंधी अंतरों पर चर्चा की. रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के सीईओ अनिल कुमार ने कहा, “भारत का डिजिटल और स्टार्टअप इकोसिस्टम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. अगला दशक उन कंपनियों का होगा जो ओमनीचैनल रणनीतियों, प्रीमियमाइजेशन और पूंजी दक्षता में महारत हासिल करती हैं. ग्राउंड जीरो संस्थापकों, निवेशकों और इंडस्ट्री लीडर्स को ग्राउंड जीरो से लैस करने को लेकर है जो लॉन्ग-टर्म सक्सेस को बढ़ावा देते हैं.”



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