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Inheritance Tax: भारत में भी प्रॉपर्टी पर देना पड़ता था टैक्स, राजीव गांधी ने क्यों खत्म कर दिया था ये कानून

आइए जानते हैं क्या है Inheritance Tax? इसे क्यों बनाया जा रहा है राजनीतिक मुद्दा?

क्या है Inheritance Tax?

Inheritance Tax अमेरिका में लगने वाला एक टैक्स है. किसी की मौत होने पर जब उसकी संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर किया जाता है, तब ये टैक्स लगाया जाता है. आसान शब्दों में कहे, तो Inheritance Tax किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी प्रॉपर्टी के बंटवारे पर लगता है. प्रॉपर्टी के बंटवारे के बाद कुछ हिस्सा टैक्स के रूप में संबंधित परिवार को सरकार को देना होता है.

वैसे Inheritance Tax पूरे अमेरिका में लागू नहीं होता. यह टैक्स मौजूदा समय में अमेरिका के सिर्फ 6 राज्यों आयोवा, केंटकी, मैरीलैंड, नेब्रास्का, न्यू जर्सी और पेन्सिल्वेनिया में लागू है. जबकि अमेरिका के आयोवा राज्य से यह टैक्स 2025 तक खत्म कर दिया जाएगा.

यूनाइटेड किंगडम में 40% लगता है टैक्स

यूनाइटेड किंगडम में 325,000 पाउंड यानी 3.37 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति पर 40%  Inheritance Tax लगाया जाता है. जापान में इस टैक्स की रेट कुछ ज्यादा है. मौजूदा समय में वहां 55% इनहेरिटेन्स टैक्स देना पड़ता है. प्रॉपर्टी में हर उत्तराधिकारी को कितना हिस्सा मिलता है, टैक्स की रेट भी उसके आधार पर तय होती है.

बजट में एस्टेट ड्यूटी या इन्हेरिटेंस टैक्स फिर से लगाए जाने की संभावना

क्या भारत में कभी लगा है Inheritance Tax?

भारत में Inheritance Tax कानून 1985 तक मौजूद था. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे खत्म कर दिया. इसे एस्टेट ड्यूटी एक्ट 1953 के जरिए पेश किया गया था. ये टैक्स तभी देय होगा, जब संपत्ति के विरासत वाले हिस्से की टोटल वैल्यू एक्सक्लूजन लिमिट से ज्यादा हो जाए. भारत में संपत्तियों पर यह टैक्स 85% तक निर्धारित किया गया था. इस टैक्स का मकसद आय असमानता को कम करना था.

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क्यों खत्म हुआ ये टैक्स?

‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का इनहेरिटेन्स टैक्स 1985 में निरस्त कर दिया गया था, क्योंकि इससे न तो समाज में आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिली और न ही इसने राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 1984-85 में एस्टेट ड्यूटी एक्ट के तहत कुल 20 करोड़ रुपये का टैक्स कलेक्ट किया गया था. लेकिन टैक्स कलेक्शन की लागत बहुत ज्यादा थी. इस टैक्स के जटिल कैल्कुलेशन स्ट्रक्टर ने ज्यादा से ज्यादा मुकदमेबाजी को जन्म दिया.

1980-81 के नियमित बजट के मुताबिक, 1979-80 की अवधि में ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू 11,447 करोड़ रुपये था. इसमें एस्टेट ड्यूटी का योगदान सिर्फ 12 करोड़ रुपये था. इसे बाद में संशोधित कर 13 करोड़ रुपये कर दिया गया. यानी ये ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू का 0.1% था. बजट में एस्टेट ड्यूटी कलेक्शन 13 करोड़ रुपये ही रहने का अनुमान लगाया गया था.

पित्रोदा के किस बयान पर मचा है बवाल?

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में इन्हेरिटेंस टैक्स का कल्चर है. जब किसी की मौत हो जाती है, तब उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा सरकार को भी देना पड़ता है. भारत में ऐसा कोई कानून नहीं हैं. यहां अगर किसी के पास 10 अरब रुपये की संपत्ति है, तो मरने के बाद उसके बच्चों को सारी संपत्ति मिल जाती है, जनता के लिए कुछ नहीं बचता.

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पीएम मोदी ने जताई आपत्ति

सैम पित्रोदा के इस बयान के बाद पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला. मोदी ने कहा, ”कांग्रेस के खतरनाक इरादे खुलकर सामने आ गए हैं, इसलिए वो इन्हेरिटेंस टैक्स की बात कर रहे हैं.” वहीं, अमित शाह ने कहा, ”कांग्रेस पार्टी एक्सपोज हो गई है”. 

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कांग्रेस ने किया बयान से किनारा

बवाल के बीच कांग्रेस पित्रोदा के बयान से किनारा किया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. यहां सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पित्रोदा के विचार हमेशा कांग्रेस की राय से मेल खाते हों.”

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