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आईएनएस विक्रांत की और बढ़ी ताकत… मिले नए रडार, घातक मिसाइल

नए रडार, मिसाइल मिलने के बाद आईएनएस विक्रांत…

नई दिल्‍ली :

आईएनएस विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, अब एक प्रभावशाली मार्गदर्शन रडार और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है. इसे आईएनएस विक्रांत की तैनाती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. एमएफ-स्टार (मल्टी-फ़ंक्शन सर्विलांस, ट्रैक और गाइडेंस रडार) और बराक -8 एमआरएसएएम (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें) इजरायल द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं… वहीं एमआरएसएएम का निर्माण भारत में लाइसेंस के तहत किया जा रहा है.

बेहद कारगर रडार सिस्‍टम

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एमएफ-स्टार-एमआरएसएएम कॉम्बो का पहले से ही कोलकाता और विशाखापत्तनम श्रेणी के फ्रंटलाइन भारतीय विध्वंसकों द्वारा उपयोग किया जा रहा है. एमएफ-स्टार को विमान, जहाज-रोधी मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. एमआर-एसएएम को 80 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मार गिराने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास में आईएनएस विक्रांत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में देश के पहले घरेलू विमानवाहक पोत को नौसेना को सौंपा था. इन्‍हें दो विवादास्पद सीमाओं पर तैनात सेना को आपूर्ति करने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के उनकी सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है. भारतीय नौसेना ने अगले साल विजाग द्वारा आयोजित एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास मिलान-2024 के दौरान पूर्वी समुद्री तट पर आईएनएस विक्रांत को तैनात करने की योजना बनाई है.

INS Vikrant पर सवार हो सकते हैं 30 विमान

45,000 टन का आईएनएस विक्रांत 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है और इसे पिछले साल सितंबर में कमीशंड किया गया था. ये 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. इसमें मिग-29K लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर सहित 30 विमान सवार हो सकते हैं. यह युद्धपोत लगभग 1,600 लोगों के दल को ले जा सकता है. 

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अमेरिका, ब्रिटेन, रूस जैसे देशों के समूह में शामिल भारत

भारत ने 26 राफेल-एम विमानों के अधिग्रहण के लिए फ्रांस के साथ बातचीत शुरू कर दी है, जो विक्रांत पर मिग-29K को प्रतिस्थापित करने के लिए हैं. इस युद्धपोत पर एक दशक से अधिक समय से काम चल रहा था. पिछले साल 21 अगस्त से अब तक आईएनएस विक्रांत के समुद्री परीक्षणों के कई चरण पूरे हो चुके हैं. आईएनएस विक्रांत के साथ, भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जो अपने स्वयं के विमान वाहक डिजाइन और निर्माण कर सकते हैं.

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