सोनम वांगचुक के मार्च से पहले लद्दाख में इंटरनेट स्पीड स्लो किया गया, निषेधाज्ञा के आदेश भी जारी
प्रशासन ने शुक्रवार को दो अलग-अलग आदेश जारी किए. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, लद्दाख द्वारा जारी एक आदेश में पुलिस और खुफिया एजेंसियों के इनपुट का हवाला दिया गया और कहा गया, “सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से आम जनता को उकसाने और भड़काने के लिए असामाजिक तत्वों और शरारती तत्वों द्वारा मोबाइल डेटा और सार्वजनिक वाईफाई सुविधाओं के दुरुपयोग की पूरी आशंका है.”
आदेश में कहा गया है, “मोबाइल डेटा सेवाओं को 2जी तक कम करना नितांत आवश्यक है, जिससे 3जी, 4जी, 5जी और सार्वजनिक वाई-फाई सुविधाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाएगा.” इसमें कहा गया है कि यह आदेश लेह शहर और उसके आसपास के 10 किमी के दायरे में शनिवार शाम 6 बजे से रविवार शाम 6 बजे तक लागू होगा.
इससे पहले शुक्रवार को, वांगचुक ने दावा किया कि शांतिपूर्ण मार्च की योजना के बावजूद, प्रशासन आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों को डराने और बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डालने के लिए कदम उठा रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि चूंकि लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए प्रशासन को नई दिल्ली से निर्देश मिल रहे हैं.
#SAVELADAKH#SAVEHIMALAYAS
Sonam Wangchuk appeals to the world to live simply,
starts #ClimateFast of 21 days (extendable till death)
Please watch full video in English here:https://t.co/XHkcIdQQ7b#ILiveSimply#MissionLiFE#ClimateActionNowpic.twitter.com/KQi5EMro9X
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) March 6, 2024
एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, उन्होंने हिंदी में कहा, “शायद प्रशासन को किसी भी कीमत पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया है. 31 दिनों से अनशन चल रहा है और कोई घटना नहीं हुई है. फिर भी, लोगों को पुलिस स्टेशनों में ले जाया जा रहा है और शांति भंग होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है. मुझे डर है कि इससे वास्तव में शांति भंग हो सकती है, इसलिए मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा.”
वांगचुक ने घोषणा की थी कि हजारों लोग शामिल होंगे और केंद्र शासित प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में सीमा क्षेत्र की ओर मार्च करेंगे. उन्होंने दावा किया है कि चीन ने 4,000 वर्ग किमी से अधिक जमीन हड़प ली है. उन्होंने कहा था, “जैसे महात्मा गांधी ने दांडी मार्च निकाला था, हम चांगथांग तक मार्च के लिए जा रहे हैं. हम चरवाहों के साथ जाएंगे और वे हमें दिखाएंगे कि हमारी चारागाह कहां थी और आज कहां है.” वांगचुक ने प्रशासन से जेलों को तैयार रखने के लिए भी कहा क्योंकि मार्च के बाद जेल भरो आंदोलन (स्वेच्छा से गिरफ्तारी के लिए आंदोलन) शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो हम आने वाले हफ्तों और महीनों में लद्दाख में असहयोग आंदोलन शुरू करेंगे. यहां प्रशासन ठप हो जाएगा.”
अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करने और संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत उसका राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के बाद लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाया गया था. एक साल के भीतर, लद्दाखियों को एक राजनीतिक शून्यता महसूस हुई. इस साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और भूख हड़तालें होने लगीं, जब बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह की सर्वोच्च संस्था और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के बैनर तले लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में इसे शामिल करने की मांग को लेकर हाथ मिलाया.