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पॉलीग्राफ टेस्ट, कर्मचारियों से पूछताछ, ताबड़तोड़ छापेमारी… जानें कोलकाता कांड में क्या-क्या लगा CBI के हाथ

Kolkata doctor case : कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में एक लेडी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या ने पूरे देश को सदमा दे दिया है. राजनीतिक उफान और विरोध प्रदर्शनों के बीच इस मामले में आज सीबीआई ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में किया गया. वह इसी जेल में बंद है. करीब 4 घंटे तक उसका टेस्ट चला.

सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के सीबीआई कार्यालय में दो ओर लोगों का आज ही पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा. शनिवार को मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष समेत चार लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया था. आपको बता दें कि पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान व्यक्ति द्वारा प्रश्‍नों के उत्तर दिए जाते समय एक मशीन की मदद से उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापा जाता है और यह पता लगाया जाता है कि वह सच बोल रहा है या झूठ.

टेस्ट का क्या फायदा होगा?

सीबीआई ने रॉय और घोष समेत सात लोगों का ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ कराने के लिए अदालत से अनुमति ली है. इस टेस्ट को मुकदमे के दौरान सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके नतीजे एजेंसी को आगे की जांच में एक दिशा प्रदान करेंगे. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली की केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) से पॉलीग्राफ विशेषज्ञों का एक दल जांच करने के लिए कोलकाता गया है. कोलकाता पुलिस ने मेडिकल कॉलेज के सेमीनार हॉल में 31 वर्षीय लेडी डॉक्टर का शव मिलने के एक दिन बाद 10 अगस्त को रॉय को गिरफ्तार किया था.

कैसे हुआ था गिरफ्तार?

सीसीटीवी फुटेज और लेडी डॉक्टर के शव के पास एक ब्लूटुथ उपकरण मिलने के बाद रॉय की गिरफ्तारी की गयी थी, जिसे कॉलेज के सेमीनार हॉल में प्रवेश करते हुए कथित तौर पर देखा गया, जहां सुबह करीब चार बजे शव मिला था. रॉय (33) 2019 से नागरिक स्वयंसेवक के रूप में कोलकाता पुलिस के साथ काम कर रहा था. प्रशिक्षित मुक्केबाज रॉय ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कथित तौर पर करीबी बना ली थी, जिसके बाद उसे कोलकाता पुलिस कल्याण बोर्ड में शामिल किया गया और आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की पुलिस चौकी में तैनात कर दिया गया.

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घोष के करीबी को ले गई

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विवादों में घिरे कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के डेमोंस्ट्रेटर को रविवार को अपने निजाम पैलेस स्थित कार्यालय ले गये. सीबीआई अधिकारियों की एक टीम आज सुबह कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में स्थित केस्टोपुर में देबाशीष शोम के आवास पर पहुंची और वहां करीब आठ घंटे तक चली छापेमारी और तलाशी अभियान के बाद उन्हें अपने साथ ले गई. खबर लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं था कि शोम को गिरफ्तार किया गया है या सिर्फ पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी माने जाने वाले शोम का नाम अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर याचिका में लिया था. अली ने ही अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में सबसे पहले आवाज उठाई थी.

दो एंगल से हो रही जांच

वास्तव में, अली की याचिका पर ही कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने पिछले शुक्रवार को सीबीआई को मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था. सीबीआई इस मामले की विभिन्न कोणों से जांच कर रही है, जिसमें जांच का मुख्य फोकस घोष पर है. शोम और घोष के अलावा अस्पताल के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक और उप प्राचार्य संजय वशिष्ठ और चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ता बिप्लब सिन्हा भी मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों की नजर में हैं. घोष से सीबीआई की विशेष अपराध इकाई के अधिकारी 16 अगस्त से लगातार नौ दिन तक पूछताछ कर चुके हैं. औसतन उनसे रोजाना 12 से 14 घंटे पूछताछ की गई. सूत्रों ने बताया कि सीबीआई अधिकारी अब दोनों मामलों के बीच संबंध खोज रहे हैं. पहला मामला बलात्कार और हत्या का है, और दूसरा मामला वित्तीय अनियमितताओं का. 

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कई जगह मारे छापे

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इसके साथ ही सीबीआई अधिकारियों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में इसके पूर्व प्राचार्य संदीप घोष, पूर्व चिकित्सा अधीक्षक सह उप प्राचार्य (एमएसवीपी) संजय वशिष्ठ और 13 अन्य लोगों के कोलकाता में एवं उसके आसपास स्थित परिसरों में रविवार को छापे मारे. सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने मरीजों की देखभाल और प्रबंधन के लिए सामग्री की आपूर्ति से जुड़े लोगों के आवासों और कार्यालयों पर भी छापे मारे.

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी के कम से कम सात अधिकारी सुबह आठ बजे से घोष से बेलियाघाटा स्थित उनके आवास पर पूछताछ कर रहे हैं, जबकि अन्य अधिकारी वशिष्ठ एवं चिकित्सा प्रतिष्ठान के फॉरेंसिक-मेडिसिन विभाग के एक और प्रोफेसर समेत अन्य से पूछताछ कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि केंद्रीय बलों के एक बड़े दल के साथ सुबह करीब छह बजे घोष के आवास पर पहुंची सीबीआई की टीम को करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद पूर्व प्राचार्य ने दरवाजा खोला. अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी के अन्य अधिकारी हावड़ा में एक आपूर्तिकर्ता के घर गए. उन्होंने कहा, ‘‘वशिष्ठ से पूछताछ की जा रही है कि जब वह एमएसवीपी थे, तब अस्पताल में हुई वित्तीय अनियमितताओं के बारे में उन्हें कितनी जानकारी थी.” 

निषेधाज्ञा की अवधि बढ़ाई

कोलकाता पुलिस ने सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के निकट लागू निषेधाज्ञा की अवधि को एक और सप्ताह के लिए यानी 31 अगस्त तक बढ़ा दिया है. निषेधाज्ञा पहली बार 18 अगस्त को लागू की गई थी, जिसके तहत निर्दिष्ट क्षेत्र में पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है. कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि बेलगछिया रोड-जे के मित्रा क्रॉसिंग से लेकर उत्तर कोलकाता के श्यामबाजार ‘फाइव-पॉइंट क्रॉसिंग’ के कुछ हिस्सों तक भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 (2) लागू की गई है.निषेधाज्ञा की अवधि बढ़ाए जाने का उद्देश्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार के उपद्रव को रोकना और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखना है. यह निर्णय अस्पताल में एक महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के मद्देनजर लिया गया है. आदेश में कहा गया है कि इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 223 के तहत दंडित किया जाएगा.

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