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MUDA केस में CM सिद्धारमैया के खिलाफ जांच मामला : कोर्ट ने दिया FIR दर्ज करने का आदेश

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को बड़ा झटका.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (MUDA Case) को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिया है. ये आदेश MUDA केस में दिया गया है.  दरअसल राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने MUDA स्कैम केस में सीएम सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) के खिलाफ केस चलाने की परमिशन दी थी. इसी को उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन उनको अदालत से झटका लगा था. अब उन पर FIR दर्ज करने का आदेश भी दिया गया है.

सिद्धारमैया पर FIR दर्ज करने का आदेश

कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरणजमीन आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ बुधवार को लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने का आदेश दिया है. न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट के इस आदेश से एक दिन पहले उच्च न्यायालय ने इस मामले में सिद्धरमैया के खिलाफ जांच कराने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को बरकरार रखा था. इस मामले में MUDA पर सिद्धरमैया की पत्नी को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है.

अदालत ने राज्यपाल के 16 अगस्त के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली सिद्धरमैया की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके तहत राज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम, 1988 की धारा 17 ए के तहत जांच को मंजूरी दी थी.

क्या है MUDA मामला?

 कर्नाटक के CM सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और साले समेत कुछ अधिकारियों के खिलाफ मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के जमीन घोटाले में शिकायत की गई है. मामले में याचिका एक्टिविस्ट टी. जे. अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने दायर की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम सिद्धारमैया ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी जमीनों को धोखाधड़ी से हासिल किया.

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सिद्धारमैया का दावा-जमीन तोहफे में मिली 

  • सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ जमीन थी. 
  • साल 2010 में ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें  तोहफे में  दी थी.  
  • इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही MUDA ने देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था. 
  •  साल 1992 में, जब अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने किसानों से रिहायशी इलाके में कुछ जमीन डेवलपमेंट के लिए ली थी. 
  • इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत अधिग्रहीत जमीन मालिकों को विकसित जमीन में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई. 
  • इस बीच 1992 में ही MUDA ने इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग कर दिया.
  • साल 1998 में अधिगृहीत जमीन का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डीनोटिफाई कर वापस कर दिया. 

मतलब एक बार फिर ये जमीन खेती की जमीन बन गई. मामला 3 एकड़ जमीन को लेकर फंस गया.


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