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आईपीएस ट्रेनी ने शादी में शख्स के सिर पर 'मजे में मारी व्हिस्की की बोतल…' फिर भी कोई एक्शन नहीं? जानें पूरा मामला

दिल्ली में एक चौंकाने वाला घटना सामने आई है जिसने सोशल मीडिया पर आक्रोश पैदा कर दिया है. दरअसल, त्रिपुरा कैडर के ट्रेनी आईपीएस अधिकारी राहुल बलहारा पर मारपीट और पावर का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं. जानकारी के मुताबिक यूपीएससी कोच और मेंबर विकास धायल ने 6 दिसंबर को सोशल मीडिया पर अपना दर्दनाक अनुभव शेयर किया और बताया कि दिल्ली के कापसहेड़ा में एक शादी समारोह के दौरान बलहारा ने उन पर कथित तौर पर हमला किया था. 

विकास ने सोशल मीडिया पर शेयर की घटना

धायल द्वारा एक्स पर शेयर किए गए थ्रेड के मुताबिक बलहारा ने कथित तौर पर मजे के लिए उसके सिर पर व्हिस्की का गिलास पटक दिया. हमला रात 10:50 बजे हुआ, जिसके बाद धायल को गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती किया गया लेकिन उन्होंने दावा किया कि न्याय की ब्याज उन्हें स्थानीय अधिकारियों की ओर से जबरदस्ती और प्रतिरोध का सामना करना पड़ा.

पुलिस की प्रितिक्रिया ने विवाद को दी तूल

इतना ही नहीं बाद में पुलिस की प्रतिक्रिया ने इस विवाद को और तूल दे दी. विकास की पोस्ट के मुताबिक कापसहेड़ा पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी ईएसआई बसंत कुमार ने कथित तौर पर मामले को खारिज करने वाला रवैया अपनाया. घटना के सबूत और घटना की गंभीरता के बाद भी कुमार ने कथित तौर पर एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया और डीडी नंबर दिए बिना सादे कागज पर ही शिकायत लिखी और विकास को अगले दिन वापस थाने आने के लिए भी कहा.

विकास ने सबूत भी दिए

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इसके बाद जब विकास ने हमले की सीसीटीवी फुटेज दी तो कथित तौर पर फुटेज को सबूत के तौर पर ज़ब्त नहीं किया गया. इसकी जगह उन्हें अलग-अलग बहाने दिए गए, जिनमें से एक यह था कि उन्हें “एक शादी में जाना था.”

सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गर्मा गया विवाद

विशाल ने इन सब चीजों के बाद अपनी आपबीती सोशल मीडिया पर शेयर करने का फैसला किया, जिससे मामले ने तूल पकड़ ली और लोगों में आक्रोश फैल गया लेकिन इसके बाद भी जवाबी कार्रवाई नहीं हुई. विकास की पोस्ट के वायरल होने के कुछ वक्त बाद बलहारा के कथित सहयोगी एसआई सचिन देसवाल ने विकास को थाने बुलाया लेकिन उनकी शिकायत सुनने के लिए नहीं बल्कि बलहारा द्वारा खुद दर्ज कराए गए मारपीट के मामले में उन्हें फँसाने के लिए.

फिर भी पुलिस से नहीं मिली मदद

इसके बाद विकास का उत्पीड़न तब और बढ़ गया जब उन्हें और जो दोस्त उन्हें अस्पताल ले गए थे उन्हें पुलिस स्टेशन बुलाया गया. कथित तौर पर उन्हें सोशल मीडिया से पोस्ट हटाने और शिकायत वापस लेने के लिए कहा गया और दबाव डाला गया. हालांकि, इसके बाद भी विकास अपने फैसले पर अडिग रहे और पीछे हटने से इनकार कर दिया. 

ट्रेनी आईपीएस के खिलाफ नहीं लिया जा रहा सख्त एक्शन

इस मामले में निष्क्रियता और कथित पक्षपात ने पुलिस की जवाबदेही और शक्तिशाली व्यक्तियों की दंडमुक्ति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विकास द्वारा दिल्ली पुलिस के डीसीपी और सीपी को विस्तृत सबूत सौंपे जाने के बाद भी, सीआरपीसी की धारा 154(3) का हवाला देते हुए एफआईआर की मांग की गई, लेकिन बलहारा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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कपासहेड़ा पुलिस स्टेशन के एसएचओ का भी हुआ तबादला

इसके बजाय, मामले के जांच अधिकारी की जगह एसआई सचिन देसवाल को नियुक्त किया गया, जो कथित तौर पर बलहारा के करीबी सहयोगी हैं. कापसहेड़ा पुलिस स्टेशन के एसएचओ का भी तबादला कर दिया गया, जिससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि न्याय दिलाने के बजाय स्थिति को शांत करने की कोशिश की जा रही है.



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