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एक-दूसरे पर मिसाइल दागने के बाद आखिरकार तनाव कम करने पर सहमत हुए ईरान और पाकिस्तान

ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सुन्नी चरमपंथियों जैश-अल-अद्ल के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से अटैक किए. पाकिस्तान ने कहा कि ईरान के हमलों में 2 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 3 लोग जख्मी हुए हैं. पाकिस्तान ने ईरान से इन हमलों के लिए गंभीर नतीजे भुगतने की बात कही थी. इसके एक दिन बाद पाकिस्तान ने ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत के पंजगुर इलाके में उसी तरह का हमला किया है. ईरान के मुताबिक, इन हमलों में 9 लोगों की जान गई. हालांकि, इनमें से कोई भी ईरान का नागरिक नहीं था.

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पाकिस्तान एयरफोर्स ने ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में चरमपंथी संगठन बोलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के ठिकानों को निशाना बनाया. पाकिस्तानी सेना का कहना है कि खुफ़िया सूचना के आधार पर किए गए इस हमले में किलर ड्रोन, रॉकेट और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया गया. बता दें कि इस हमले से कुछ घंटे पहले ही ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दोल्लाहियन ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से फोन पर बात की थी.

पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बाद ईरान ने पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी को तलब किया था. वहीं, पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से समय से पहले ही वापस लौट आए. इससे पहले पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को देश छोड़ने का फरमान जारी कर दिया था. इसके अलावा तेहरान में मौजूद अपने राजदूत को भी फौरन वापस आने को कहा. 

संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की. जबकि चीन ने पाकिस्तान और ईरान के बीच का विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी और उनके ईरानी समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के बीच मौजूदा गतिरोध को लेकर फोन पर बात हुई. लंबी चर्चा के बाद आखिरकार दोनों नेताओं ने तनाव कम करने पर सहमति जाहिर की.

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हमले के बाद पाकिस्तान की ईरान से अपील- संयम से काम लें, माहौल बिगाड़ने वाला कदम न उठाएं

जिलानी ने कहा, “आतंकवाद का मुकाबला करने और आपसी चिंता के अन्य पहलुओं पर करीबी समन्वय को मजबूत किया जाना चाहिए”. इस्लामाबाद के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “वे मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को कम करने पर भी सहमत हुए हैं.”

ईरान के विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन ने एक बयान में कहा, “पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को बेअसर करने और उन्हें तबाह करने के लिए दोनों देशों का सहयोग जरूरी है”.

इस बीच इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एंटोनी लेवेस्कस ने कहा, “नई स्थिति का नतीजा यह है कि दोनों देशों के बीच स्पष्ट और प्रतीकात्मक रूप से समानता है.”

बॉर्डर बंद होने की आशंका

इस बीच शुक्रवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने आर्मी और इंटेलिजेंस एजेंसियों के चीफ के साथ एक इमरजेंसी सिक्योरिटी मीटिंग की. तेहरान और इस्लामाबाद दोनों ने कहा है कि उन्होंने विदेशी क्षेत्र में पनाह ले रहे घरेलू आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया है.

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दोनों ओर से हुए हमलों में कम से कम 11 लोगों की मौत की खबर है. इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. ईरान के पंजगुर जिले में दूरदराज के गांवों के लोगों में इन हमलों को लेकर दहशत का माहौल है. ग्रामीणों को डर है कि दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों के कारण बॉर्डर बंद किया जा सकता है. ऐसे में ग्रामीण ईरानी ट्रेड से डिस्कनेक्ट हो सकते हैं. क्योंकि यहां के लोग रोजगार और खाने-पीने की सप्लाई के लिए ईरानी ट्रेड पर ही निर्भर हैं.

55 वर्षीय हाजी मोहम्मद इस्लाम ने कहा, “अगर ईरानी सीमा बंद कर देते हैं, तो लोग भूखे मर जाएंगे. इससे अधिक उग्रवाद फैल जाएगा, क्योंकि युवा अलगाववादी संगठनों में शामिल हो जाएंगे.” 

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बता दें कि बलूच अलगाववादी खनिज संसाधनों में बेहतर हिस्सेदारी के लिए लड़ रहे बड़े पैमाने पर गैर-शासित, गरीब क्षेत्र से पाकिस्तानी अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन भी चला रहे हैं.

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