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क्या बड़े बदलाव की राह पर आगे बढ़ रहा है फ्रांस? संसदीय चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग से जगी उम्मीद

फ्रांस में सेमी प्रेसिडेंशियल सिस्टम


नई दिल्ली:

फ्रांस में पहले दौर के संसदीय चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई है. इस बार यहां 60 फ़ीसदी से अधिक वोटिंग हुई. जबकि दो साल पहले हुए चुनाव में स्थिति बिल्कुल अलग थी. जब महज़ 40 फ़ीसदी वोटिंग हुई थी. अबकी बार हुई अधिक वोटिंग का मतलब ये निकाला जा रहा है कि लोग बदलाव के लिए वोट कर रहे हैं, इसलिए वोटिंग के प्रति लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला. धुर-दक्षिण पंथियों को इस बात की पूरी उम्मीद है कि वे मध्यमार्गी पार्टियों की गठबंधन सरकार को सत्ता से बेदखल कर देंगे.

फ्रांस में अभी क्यों हुए चुनाव

फ्रांस में संसदीय चुनाव की घोषणा राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इसलिए कर दी थी क्योंकि जून में हुए यूरोपीय संसद के चुनाव में फ्रांस में मध्यमार्गियों को भारी हार का सामना करना पड़ा. जिसमें दक्षिणपंथी पार्टियों को भारी जीत मिली. नौ जून को नतीजे आए और उसी दिन राष्ट्रपति मैक्रों ने संसदीय चुनाव की घोषणा कर दी. उन पर इस बात का नैतिक दबाव था. वैसे ही दो साल पहले हुए संसदीय चुनाव में मैक्रों पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाए थे.

जल्द चुनाव कराने का क्या मकसद

इसकी वजह से उनको संसद में नए क़ानून और सुधारों आदि को पास कराने में काफ़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. उनको लगा कि जल्दी चुनाव करा कर वे जनमत को अधिक स्पष्ट कर सकते हैं चाहे इस पार या उस पार. या तो उनके मध्यमार्गी गठबंधन एनसेंबल अलायंस को स्पष्ट बहुमत मिले इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि ये सर्वे में तीसरे नंबर पर चल रही है. या फिर नेशनल रैली को जो कि धुरदक्षिणपंथी पार्टी है और जो आगे चल रही है. दूसरे नंबर न्यू पॉपुलर फ्रंट अलायंस है. वैसे भी ये संसदीय चुनाव है इसलिए राष्ट्रपति के तौर पर मैक्रों के कार्यकाल पर असर नहीं पड़ेगा.

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फ्रांस में सेमी प्रेसिडेंशियल सिस्टम

राष्ट्रपति मैक्रों का कार्यकाल तीन और साल का है. फ्रांस में सेमी प्रेसिडेंशियल सिस्टम है. जिसमें पीएम और राष्ट्रपति दोनों सरकार का कामकाज़ देखते हैं, अभी गैब्रिएल पीएम हैं. फ़्रांस में संसदीय चुनाव राष्ट्रपति चुनाव के ठीक बाद कराए जाते हैं. ये 2022 के बाद ये 2027 में होना था लेकिन राष्ट्रपित ने अभी ही करा दिया. फ्रांस की संसद में जिसे कि असेंबली नेशियोलेन कहा जाता है, इसमें 577 प्रतिनिधि होते हैं. पूर्ण बहुमत के लिए 289 सीट चाहिए होती है. पहले दौर के मतदान में जिनको साढ़े 12 फ़ीसदी से कम वोट मिले होंगे वे बाहर हो जाएंगे, दूसरे दौर का मतदान 7 जुलाई को कराया जाएगा.



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