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क्‍या संदीप घोष को बचा रहीं ममता? सीबीआई जांच के बीच उठ रहे हैं ये 5 बड़े सवाल

संदीप घोष, आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल थे, जब वहां जूनियर फीमेल डॉक्‍टर के साथ रेप हुआ और फिर हत्‍या कर दी गई. सीबीआई इस मामले में संदीप घोष से पिछले 6 दिनों से 12-12 घंटे पूछताछ कर रही है. संदीप घोष से सीबीआई सच उगलवाना चाहती है, लेकिन दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ऐसे कदम उठा रही है, जिससे लग रहा है कि संदीप घोष को बचाने की कवायद हो रही है. संदीप घोष पर दर्ज किए गए भ्रष्‍टाचार के मामले से लेकर उनका इस्‍तीफा न लेने तक का ममता सरकार का फैसला सोचने पर मजबूर करता है.  

बंगाल स्वास्थ्य संघ के महासचिव डॉक्टर उत्पल बंद्योपाध्याय ने आरोप लगाया कि संदीप घोष पर छात्रों को फेल और पास करवाने के लिए पैसे लेने के आरोप हैं. वे मेडिकल इंटर्न को धमकी भी देते थे. बंगाल की सरकार, प्रशासन और पुलिस कुछ छिपा रही है. हम उनके काम से संतुष्ट नहीं है.

  

सवाल नंबर-1 : क्‍या संदीप घोष को बचाने के लिए किया गया एसआईटी का गठन?
ममता बनर्जी सरकार ने जूनियर डॉक्‍टर की रेप-हत्‍या मामले में एसआईटी का गठन किया है. ये एसआईटी सीधे ममता सरकार को रिपोर्ट करेगी. सवाल उठता है कि जब ममता बनर्जी सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की इजाजत दे दी, फिर एसआईटी का गठन करने का क्‍या मतलब बनता है? विपक्षी दल भी इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं.  विपक्षी दलों ने पहले ही दावा किया है कि एसआईटी का गठन इसलिए किया गया, ताकि संदीप घोष पूछताछ के दौरान सीबीआई के सामने कई राज खोल सकते थे. बता दें कि एक सप्ताह पहले ही राज्य सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन की घोषणा की थी. यह अस्पताल 2021 से संदीप घोष की देखरेख में चलाया जा रहा था.

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सवाल नंबर-2 : क्‍यों नहीं लिया गया, संदीप घोष का इस्‍तीफा?
संदीप घोष के प्रिंसिपल रहते हुए हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्‍टर के साथ रेप हो जाता है और फिर उसकी हत्‍या भी कर दी जाती है. इसके बावजूद संदीप घोष के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता है. इतना ही नहीं, जब संदीप घोष इस्‍तीफा देते हैं, तो उसे स्‍वीकार नहीं किया जाता है. डॉ. घोष ने अस्पताल परिसर में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के कुछ दिनों बाद प्रिंसिपल के पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन इसे नामंजूर करते हुए, उन्‍हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (सीएनएमसीएच) का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद सीएनएमसीएच के मेडिकल छात्रों और जूनियर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, इसलिए उन्हें वहां से भी हटना पड़ा.

सवाल नंबर-3: रेप और मर्डर के मामले को क्‍यों बताया गया सुसाइड?
कोलकाता में जूनियर डॉक्‍टर के रेप के बाद हुए मर्डर को लेकर एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि मृतका के माता-पिता को सच्‍चाई क्‍यों नहीं बताई गई? माता-पिता से कहा गया था कि उनकी बेटी ने सुसाइड किया है. हॉस्पिटल के सूत्रों ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया कि जूनियर डॉक्‍टर ने सुसाइड किया है, ये जानकारी माता-पिता को देने के लिए ऑर्डर पूर्व प्रिंसिपल के ऑफिस से दिये गए थे. मृतका के माता-पिता और कुछ डॉक्‍टर्स शुरुआत से फोन कॉल के जरिए दी गई इस सूचना को लेकर संदीप घोष को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं. मृतका की साथी डॉक्‍टर ने बताया, “मृतका की बॉडी देखने के बाद ये साफ पता चल रहा था कि उसके साथ रेप हुआ है, उसका कत्‍ल हुआ है. लेकिन ये समझ से बाहर था कि फिर क्‍यों माता-पिता को ये कहा गया कि उनकी बेटी ने सुसाइड किया है?”

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सवाल नंबर-4: पुलिस और परिवार को 2 घंटे बाद क्‍यों किया गया सूचित?
मृतका डॉक्‍टर की सहकर्मियों ने माता-पिता को सूचित करने में लगभग 2 घंटे की देरी पर भी सवाल उठाया. साथ ही उन्होंने बताया कि शव मिलने के तुरंत बाद, प्रिंसिपल संदीप घोष ने उसी सेमिनार हॉल के अंदर एक मीटिंग बुलाई थी. इस मीटिंग में दो अन्‍य डॉक्‍टर भी शामिल थे… इस मीटिंग के बाद ही पुलिस को सूचित किया गया. इस देरी की वजह क्‍या रही?

सवाल नंबर-5: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुल गई पोल?
 महिला चिकित्सक की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी, उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि मौत का प्रमुख कारण ‘‘हाथ से गला घोंटना” था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि उसके जननांग में जबरदस्ती ‘पेनिट्रेशन’ के चिकित्सकीय साक्ष्य हैं – जोकि यौन उत्पीड़न की आशंका को दर्शाता है. इसमें कहा गया है कि महिला डॉक्टर की 16 बाहरी चोटों में से उसके गालों, होठों, नाक, गर्दन, बांहों और घुटनों पर खरोंच के निशान शामिल हैं. उसके निजी अंगों पर भी चोटें थीं.



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