इजरायल और हिजबुल्लाह कौन किस पर पड़ रहा भारी, कहां जा रही लड़ाई
नई दिल्ली:
Israel Hezbollah war: पिछले कुछ दिनों से से हिजबुल्लाह लड़ाकों पर इजरायल (Israel Vs Lebanon) के हमले जारी हैं. हिजबुल्लाह के कई कमांडरों की मौत के बाद से लेबनान में इजरायल के ताबड़तोड़ हमलों में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में माना जा रहा था कि इजरायल हिजबुल्लाह (Israel Vs Hezbollah) की कमर तोड़ चुका है, लेकिन हकीकत यह नहीं है. इजरायल पर अब हिजबुल्लाह (Hezbollah Strikes back) ने पलटवार किया है. जैसे की माना जा रहा था कि इजरायल को लेबनान कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, ऐसा नहीं है. लेबनान की ओर से एक ताज़ा ड्रोन हमले में इजरायल के 4 सैनिकों की मौत हो गई और और तीन दर्जन से ज्यादा सैनिकों के घायल होने की खबर आ रही है. यह हमला हाइफा के पास बिनयामिना में किया गया था . 23 सितंबर के बाद से यह बड़ा हमला था. इस बात की पुष्टि खुद इजरायल की मिलिट्री ने की है.
UNPKP के सैनिक आ गए इजरायल के हमले के दायरे में
उधर, गाज़ा के एक स्कूल पर किए गए इजरायल के हमले में मरने वालों की संख्या 15 तक पहुंच गई है. इसके साथ ही यूएनपीकेफ के लोगों का कहना है कि दक्षिण लेबनान में इजरायल और हिजबुल्लाह की बीच हो रही गोली बारी की जद में आ रहे हैं. हालात कितने खराब हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूनाइटेड नेशन पीस कीपिंग फोर्स के इलाके में इजरायली सेना टैंक लेकर घुस गई थी.
हिजबुल्लाह ने कैसे मार गिराए इजरायली सैनिक
अमूमन देखा गया है कि अभी तक इजरायल पर लेबनान या फिर इजरायल के हमले का कोई खासा असर नहीं हुआ है. अब हिजबुल्लाह ने फिर आगाह किया है कि वह हमले और तेज करेगा. हिजबुल्लाह का कहना है कि सेंट्र्ल बेरूत में इजरायल के हमला जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई थी, का जवाब देने के लिए यह ड्रोन हमला किया गया था.
हिजबुल्लाह की चेतावनी है कि यदि इजरायल ने उनके लोगों को मारना बंद नहीं किया तो हाइफा से बड़े हमले किए जाएंगे.
ईरान करता है हमास और हिजबुल्लाह की मदद
गौरतलब है कि पिछले साल को 7 अक्तूबर कदो हमास के इजरायल पर हमले के बाद से इजरायल लगातार गाज़ा पर हमला किए जा रहा है और इस बीच हिजबुल्लाह की ओर से गाज़ा और हमास के समर्थन में भी हमले किए गए और फिर इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है.
लेबनान में तबाही मचा रहा इजरायल
यह सभी को मालूम है कि इजरायल के सुरक्षा तंत्र काफी मजबूत है और सीमाओं के बाहर से किए जा रहे मिसाइल व रॉकेट लॉन्चरों के हमलों को नाकाम कर देता है. इसमें आइरन डोम की अहम भूमिका है.अभी तक इजरायल की ओर से दक्षिण बेरूत, लेबनान के दक्षिण और पूर्वी हिस्सों पर इजरायल का ध्यान लगा है. इजरायल का प्रयास है कि इन इलाकों में हिजबु्ल्लाह को कमजोर किया जाए.
गांवों पर भी गोलीबारी
उधर, लेबनान की ओर से समाचार एजेंसी एनएनए ने कहा कि इजरायल ने दक्षिणी लेबनान के कई गांवों पर भी हमला किया है. एजेंसी का कहना है कि दक्षिण लेबनान में नाबातिया के पास मेफादूं में इजरायल के हमले में 5 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है.
नसरल्लाह का संदेश
गौर करने की बात यह है कि ऐसे माहौल में हिजबु्ल्लाह ने अपने मारे गए लीडर हसन नसरल्लाह के उस संदेश को जारी किया जिसमें वह हिजबुल्लाह लड़ाकों से यह कहता हुआ सुना जा रहा है कि इस पवित्र भूमि के सम्मानित लोगों को इजरायल के हमले से बचाना है. याद दिला दें कि सितंबर 27 को हुए एक हवाई हमले से इजरायल ने नसरल्लाह को मार गिराया था. इस हमले में हिजबुल्लाह के कई वरिष्ठ कमांडर भी ढेर हो गए थे.
लेबनान को बना देंगे गाज़ा
हिजबुल्लाह ने रविवार को करीब 115 रॉकेट इजरायल की तरफ दागे थे जिन्हें नाकाम कर दिया गया था. बता दें कि
अमेरिका कर रहा इजरायल की सैन्य मदद
गौरतलब है कि इजरायल ने लेबनान में अभी तक के हमले में तकरीबन 1300 लोगों को मार दिया है. वहीं 2006 में हुए हमले में केवल 160 लोगों की मौत हुई थी. 2006 में मरने वालों ज्यादातर सैनिक थे. अब अमेरिका ने भी साफ कर दिया है कि वह इजरायल की पूर मदद करेगा. इसके लिए अमेरिका की ओर से इजरायल को हाई अल्टीट्यूड एंटी मिसाइल सिस्टम देगा. गौरतलब है कि इजरायल पर ईरान की ओर हाई अल्टीट्यूब मिसाइल का हमला हुआ था जिसे आइरम डोम रोक नहीं पाया था.
क्या है हिजबुल्लाह
आपको बता दें कि हिज़बुल्लाह (Hezbollah) एक शिया मुस्लिम राजनीतिक और सैन्य संगठन है, जो मुख्य रूप से लेबनान में सक्रिय है. इसका गठन 1980 के दशक में हुआ था, जब लेबनान में गृह युद्ध चल रहा था और इसरायल ने दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया था. हिज़बुल्लाह को ईरान का समर्थन प्राप्त है और यह इस्लामिक क्रांति की विचारधारा से प्रेरित है.
यह संगठन लेबनान की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसकी अपनी राजनीतिक पार्टी है. यह शिया समुदाय के बीच लोकप्रिय है. हिज़बुल्लाह को ईरान से आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक समर्थन मिलता है. यह संगठन ईरान के प्रभाव को मध्य पूर्व में बढ़ाने का एक माध्यम भी बना हुआ है.
वहीं, हिज़बुल्लाह को अमेरिका, इसरायल और कई अन्य पश्चिमी देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में माना गया गया है, क्योंकि यह संगठन इसराय ल के खिलाफ संघर्ष और अन्य आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है.