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Israel-Hamas War: नए साल में गाजा पर भारी बमबारी और हजारों सैनिकों की वापसी, क्या चाहता है इजराइल?

खास बातें

  • पांच कॉम्बैट ब्रिगेड को वापस बुलाने का लिया फ़ैसला
  • कुछ रिजर्विस्ट अपने परिवार के पास लौटेंगे
  • इज़राइल में मैन पावर की जबरदस्त कमी

Israel-Hamas War: नए साल की शुरुआत से ठीक पहले ग़ाज़ा पर किए गए इज़राइल के हमलों में क़रीब 150 लोगों की जान चली गई है. ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ रविवार रात ग़ाज़ा सिटी पर हमले में क़रीब 48 लोग मारे गए. ग़ाज़ा सिटी के दक्षिण में किए गए हमले में 20 लोग मारे गए जो अल अक्सा यूनिवर्सिटी में शरण लिए हुए थे. इज़राइल मध्य ग़ाज़ा के नुसेरत, मग़ाज़ी और बुरेजी जैसे इलाकों को भी निशाना बना रहा है, जहां अत्यधिक भीड़भाड़ वाले शरणार्थी शिविर हैं. यहां हुए हमलों मे रविवार को 35 लोगों के मारे जाने की सूचना है.

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पांच कॉम्बैट ब्रिगेड को वापस बुलाने का लिया फ़ैसला 

इज़राइल हमास युद्ध के तीन महीने होने को आए और इसके जल्द ख़त्म होने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं. इस बीच इज़राइल ने ग़ाज़ा से अपने पांच कॉम्बैट ब्रिगेड को वापस बुलाने का फ़ैसला लिया है. इनमें 551 और 114 रिजर्व ब्रिगेड हैं और तीन ट्रेनिंग ब्रिगेड हैं. ग़ाज़ा में इज़राइल के तक़रीबन 17 ब्रिगेड ऑपरेट कर रहे हैं. इनमें से 4 अभी भी उत्तरी ग़ाज़ा में मौजूद हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़ 7 ब्रिगेड खान यूनुस जैसे दक्षिणी ग़ाज़ा के इलाक़े में ज़मीनी हमले कर रहे हैं

कुछ रिजर्विस्ट अपने परिवार के पास लौटेंगे

जिन पांच ब्रिगेड को वापस बुलाया जा रहा है, उसके बारे में इज़राइली सेना का कहना है कि अब इनकी ग़ाज़ा में ज़रुरत नहीं है क्योंकि उत्तरी और मध्य ग़ाज़ा में सैन्य मक़सद पूरा हो चुका है. सैन्य प्रवक्ता डैनियल हगारी ने अपने बयान में कहा है कि कुछ रिजर्विस्ट अपने परिवार के पास लौटेंगे और नौकरी या काम धंधे में जुटेंगे. इससे इज़राइल की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे भार में कमी आएगी और उनके योगदान से आगे के लिए इसे मज़बूती मिलेगी. यहां बताते चलें कि युद्ध की वजह से इज़राइल की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त दबाव है. क़रीब 3 लाख 60 हज़ार रिजर्विस्ट को काम धंधा छोड़कर युद्ध के मोर्चे पर लगाने का ऐलान किया गया. इज़राइल की सेना में रिज़र्विस्ट उनको कहा जाता है, जिनकी मिलिटरी ट्रेनिंग हुई होती है लेकिन किसी युद्ध या आपातकाल में ही उनको सैन्य मोर्चे पर लगाया जाता है.

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इज़राइल में मैन पावर की जबरदस्त कमी

बता दें कि 7 अक्टूबर के हमास के आतंकी हमले के बाद इज़राइल ने रिजर्विस्ट को सैन्य मोर्चे पर बुलाने का फ़ैसला किया. इससे वे जो असल काम करते थे वह ठप्प पड़ गया. इतना ही नहीं लाखों फिलिस्तानी जो इज़राइल में आकर काम करते थे, युद्ध शुरू होने के बाद उनका आना बंद है. ऐसे में इज़राइल में मैन पावर की जबरदस्त कमी है. कंस्ट्रेक्शन के क्षेत्र में भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं. इज़राइल की नज़र भारत जैसे देशों से श्रमिकों को लाने पर है. इस बात का ज़िक्र पीएम नेतन्याहू ने पीएम मोदी के साथ हाल ही हुई फोन पर बातचीत के बाद जारी अपने बयान में किया था.

क़रीब 22 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं

वैसे भी ग़ाज़ा की लड़ाई लंबी खिंच रही है. इज़राइल अमेरिकी मदद और तमाम सैन्य ताक़त के बावजूद हमास को पूरी तरह से तबाह करने में अब तक नाकाम रहा है. हालांकि इस दौरान ग़ाज़ा में भारी तबाही हुई है. हमास के आंकड़ों के मुताबिक क़रीब 22 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं. ग़ाज़ा की 23 लाख में से 85 फ़ीसदी आबादी शरणार्थी के तौर पर रहने को अभिशप्त हो चुकी है. लाखों के सामने भुखमरी की हालत है. दूसरी तरफ़ हमासे के कब्ज़े में अभी भी क़रीब 130 बंधक हैं, जिसे इज़राइल छुड़ा नहीं सका है. इज़राइल साफ़ कर चुका है कि बंधको की रिहाई और हमास के ख़ात्मे तक युद्ध जारी रहेगा. ग़ाज़ा से 5 ब्रिगेड को वापस बुलाने के पीछे ये सैन्य रणनीति भी देखी जा रही है कि युद्ध को अभी बहुत लंबा चलना है.

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