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ISRO ने फिर किया कमाल… स्पेस में अंकुरित कराया 'लोबिया' का बीज, पत्ते निकलने की भी उम्मीद


नई दिल्ली:

भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन ने एक बार फिर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसरो के हाथ एक और बड़ी उपलब्धि लगी है. दरअसल, इसको को अंतरिक्ष में बीज अंकुरित करने में सफलता हासिल हुई है. इसरो ने शनिवार को एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में चार दिन में अंतरिक्ष यान पीएसएलवी-सी 60 के पीओईएम-4 प्लेटफॉर्म पर लोबिया के बीज फूटे हैं. अब उम्मीद है कि इसमें से जल्द ही पत्ते निकल आएंगे. 

यह एक्सपेरिमेंट, 30 दिसंबर 2024 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का उपयोग करके प्रक्षेपित किए जाने वाले स्पैडेक्स या अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का हिस्सा था. इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने The Hindkeshariको बताया कि यह सफल एक्सपेरिमेंट मानव अंतरिक्ष मिशन (गगनयान) और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) बनाने की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

उन्होंने कहा, “भारतीय अंतरिक्ष प्रयोगशाला में जीवन को पनपते देखना बहुत रोमांचक है. यह लोबिया अंकुरण परीक्षण हमारे अपने एक्सपेरिमेंट के माध्यम से यह समझने की पहली कोशिश है कि अंतरिक्ष में जीवन कैसे काम करता है. यह भारतीय कक्षीय मॉड्यूल पर तैनात पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली (ईसीएलएसएस) में भी विश्वास दिलाता है.”

उन्होंने कहा, “POEM का यह छोटा सा कदम भारतीय अंतरीक्ष स्टेशन और गगनयान के लिए लाइफ स्पोर्ट पर नई नोवल लिखने में मदद कर सकता है… एक छोटे से एक्सपेरिमेंट से भारत को बड़ी सीख मिली है. चूंकि कोई भी व्यक्ति जटिल जीवन-सहायक प्रौद्योगिकियों के इन सरल लेकिन चुनौतीपूर्ण हिस्सों को साझा नहीं करता है.”

यह भी पढ़ें :-  अब खुद का स्पेस स्टेशन बनाने का रास्ता साफ, इसरो ने स्पेडेक्स उपग्रहों को ‘डी-डॉक’ का काम किया पूरा

इन-हाउस टीम कर रही है इस बीज का अध्ययन

इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम की इन-हाउस टीम के लिए, इसका उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि अंतरिक्ष के लगभग शून्य-गुरुत्वाकर्षण वातावरण में लोबिया के बीज कैसे अंकुरित होते हैं. प्रयोग को चुनौतीपूर्ण बनाने वाली बात यह थी कि सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में उगने पर पौधे अपना अभिविन्यास खो देते हैं. 

इस एक्सपेरिटमें का नेतृत्व कर रहीं वीएसएससी की उप निदेशक टी लता ने कहा, “अंतरिक्ष में पौधों की ग्रोथ का अध्ययन करना इसरो के लिए नया है और 15 सदस्यों वाली टीम इसके परिणाम देखने के लिए बहुत उत्साहित है.” उन्होंने कहा कि लोबिया को इसलिए चुना गया क्योंकि इसके बीच एक हफ्ते से भी कम वक्त में अंकुरित हो सकते हैं और पत्ते उगा सकते हैं.

पीओईएम मॉड्यूल में दो अन्य सजीव जीवविज्ञान प्रयोग भी शामिल हैं, जिनमें आंत के बैक्टीरिया और पालक की कोशिकाओं को विकसित करने का प्रयास किया जाएगा.


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