पेटीएम मुद्दे से निपटना रिजर्व बैंक का काम है: वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी
नई दिल्ली: वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने बुधवार को कहा कि पेटीएम मुद्दे से निपटना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का काम है और सरकार का फिलहाल इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) एक छोटी वित्तीय इकाई है और इसमें कोई प्रणालीगत स्थिरता संबंधी चिंता नहीं है.
यह भी पढ़ें
गैर-अनुपालन पर चिंताओं के बीच (आरबीआई ने पीपीबीएल के खिलाफ कई कदम उठाए हैं. उसे 29 फरवरी के बाद जमा, प्रीपेड उपकरणों और ई-वॉलेट से संबंधित कोई भी सेवा प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
उसे नए ग्राहकों को जोड़ने से भी रोक दिया गया है. जोशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘ यह नियामक द्वारा की गयी कार्रवाई है. वे बैंकों को विनियमित करते हैं. जहां तक पेटीएम के खिलाफ कार्रवाई की बात है तो सरकार के पास अबतक करने के लिए कुछ नहीं है. हमारा मानना है कि आरबीआई ने उपभोक्ता तथा अर्थव्यवस्था के समग्र हित में कार्रवाई की होगी.”
पेटीएम की पेमेंट एग्रीगेटर अनुषंगी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के संबंध में उन्होंने कहा कि चीन से निवेश के लिए अनुमति मांगी गई है. उन्होंने कहा, ‘‘ आवेदन की समीक्षा चल रही है क्योंकि यह एक अंतर-मंत्रालयी प्रक्रिया है. यह विचाराधीन है.”
पीपीबीएल के खिलाफ आरबीआई द्वारा की गई कार्रवाई के कारण कोई वित्तीय स्थिरता संबंधी चिंताएं होने के सवाल पर जोशी ने कहा कि यह एक बहुत छोटा बैंक है. इससे प्रणालीगत स्थिरता संबंधी कोई चिंताएं नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ जिन ग्राहकों का भुगतान बैंक में खाता है, उन्हें अपना खाता स्थानांतरित करना होगा… जहां तक मैं समझता हूं, यह बैंक नहीं है जो खातों को स्थानांतरित करेगा. यह ग्राहकों को करना होगा.”
आरबीआई की कार्रवाई की पृष्ठभूमि में मंगलवार को पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी. सूत्रों ने कहा कि उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया था कि इस संबंध में पेटीएम को आरबीआई से ही मुखातिब होना पड़ेगा.
आरोप है कि पीपीबीएल के पास लाखों गैर-केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अनुपालन वाले खाते थे. कई मामलों में खाते खोलने के लिए एकल पैन (स्थायी खाता संख्या) का इस्तेमाल किया गया था. सूत्रों ने कहा कि ऐसे भी उदाहरण हैं जहां लेनदेन का कुल मूल्य करोड़ों रुपये का था, जो न्यूनतम केवाईसी प्री-पेड उपकरणों में नियामकीय सीमा से कहीं अधिक था जिससे धन शोधन की चिंताएं बढ़ गईं.
एक विश्लेषक के मुताबिक, पीपीबीएल के पास करीब 35 करोड़ ई-वॉलेट हैं. उनमें से करीब 31 करोड़ निष्क्रिय हैं जबकि केवल लगभग चार करोड़ ही बिना किसी बैलेंस या बहुत कम बैलेंस के साथ सक्रिय होंगे.
(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)