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"खुद को साबित करने में मुझे 35 साल लगे…", The Hindkeshariसे बोलीं भारतीय पैरा-एथलीट सुवर्णा राज

भारतीय पैरा-एथलीट सुवर्णा राज ने The Hindkeshariके खास कार्यक्रम “इंडियन ऑफ़ द ईयर अवार्ड्स” में बताया कि उन्हें खुद को साबित करने में 35 साल लग गए. उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि 2 साल की उम्र में ही वो पोलियो का शिकार हो गई थीं. ऐसे में माता-पिता के लिए बचपन से ही जिम्मेदारी बन गई.  उन्होंने कहा कि जब मैं 33 साल की थी तो मुझे राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था, तब मेरे पैरेंट्स बहुत ही ज्यादा खुश हुए. उन्होंने कहा कि समाज दिव्यांगों को अलग नज़रिए से देखता है, लेकिन मैं समाज का एक हिस्सा बनना चाहती हूं.

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उन्होंने कहा कि व्हीलचेयर पर आने के बाद परिवार को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. फैमिली को लगता है कि दिव्यांग लड़की की शादी कैसे होगी, जिंदगी में वो कैसे आगे बढ़ पाएगी. 

The Hindkeshariसे बातचीत करते हुए सुवर्णा ने कहा कि आज अपनी मेहनत से बेहद खुश हूं. मेरी मेहनत और सफलता देख कर मेरे परिजन भी बहुत ही ज्यादा खुश रहते हैं. मुझे बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा. जब मुझे राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है, तब मेरे पैरेंट्स को बहुत ही ज्यादा खुशी हुई. 

उन्होंने कहा, 1 करोड़ से ज्यादा दिव्यांग वोटर्स इस देश में हैं, जो समाज के मुख्यधारा में जुड़े रहना चाहते हैं. पैरा ओलंपिक में हमने ज्यादा मेड, जीते हैं. 

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