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जेल डायरी : मनीष सिसोदिया ने बताया सलाखों के पीछे कैसे काटे 17 महीने?


नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) कथित शराब घोटाले मामले में जेल से जमानत पर रिहा हो गए हैं. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने The Hindkeshariके साथ बात करते हुए तमाम मुद्दों पर बात की. सिसोदिया ने कहा कि जब मैं जेल गया तो मेरे दिमाग में एक ही सवाल था कि जेल में रहूंगा तो समय का सदुपयोग कैसे करूंगा. मैंने सोचा कि इसका उपयोग एक ही हो सकता है कि जेल में रहकर पढ़ो. और मेडिटेशन करो. मैंने खूब मेडिटेशन किया और पढ़ाई की. जम कर देश के इतिहास से लेकर, एजुकेशन से लेकर अध्यात्म से लेकर तमाम बातों को पढ़ा. 

मेरा संकल्प और मजबूत हुआ है: मनीष सिसोदिया

जेल जाने के बाद जिंदगी में हुए परिवर्तन के मुद्दे पर बात करते हुए सिसोदिया ने कहा कि ऐसे तो बड़ा मुश्किल है कहना. जिन चीजों को मैं समझता था. देश के इतिहास की मुझे जानकारी थी. उससे समझ और बढ़ी है. हमारा् संकल्प और गहरा हुआ है कि एजुकेशन पर काम किए बिना इंडिया आगे नहीं बढ़ सकता. हमेशा ही कहता था कि एजुकेशन पर काम करेंगे और हम काम करते गए.  संकल्प और गहरा होता गया गया है. भारत को विकसित देश बनाना है तो एजुकेशन पर काम तो करना ही होगा. देश के हर एक सरकारी स्कूल को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बनाना होगा. मैंने जेल में अध्यात्म के बारे में खूब पढ़ा. मैंने रामायण, राम चरित मानस, गीता, उपनिषद का भी अध्ययन किया. क्वांटम फिजिक्स को पढ़ा और स्टीफन हॉकिंग को भी पढ़ा. मुझे लगा कि जो खाली समय भगवान ने दिया है कि किताबें पढ़ लो और खुद को पढ़ लो अंदर भी बहुत कुछ चलता रहता है.

“मुझसे ज्यादा कष्ट कार्यकर्ताओं ने उठाया है”

मुझे लगता है कि पिछले डेढ साल में मैं जेल में था. लेकिन मुझसे ज्यादा कष्ट तो कार्यकर्ता उठा रहे थे.  मुझसे ज्यादा टेंशन में तो मेरी टीम, मेरे कार्यकर्ता, मेरे नेता था. विधायक और सांसद थे. पार्षद थे. मेरे से ज्यादा कष्ट तो उन्होंने उठाया. मैं तो अंदर था सुबह शाम खाना खाता था.. पढ़ता था.. वो तो सड़क पर रहते थे.. 24 घंटे टेंशन में रहते थे.. राजनीति टेंशन का काम है.. जब आप अच्छे काम के लिए लड़ेंगे तो आपको जेल जाने से नहीं डरना चाहिए. क्योंकि अगर आप जेल जाने से डरते हैं तो आप अच्छे काम का सोचो ही नहीं. ये अंदर से संकल्प और ज्यादा पैदा हुआ. जब पार्टी को सड़क पर काम करते देखा और एकजुट देखा तो मुझे लगा कि हम तो पार्टी के नेता हैं. पार्टी के बड़े नेताओं को तो जेल में डाल दिया. लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता एक मुठ्ठी की तरह एकजुट होकर लड़ रही है. सड़क पर कानूनी, राजनीति लड़ाई लड़ रही है. सरकार चला रही है. वैसे में आप ये नहीं सोचते.. वैसे में आप सोचते हैं कि वाह… मुझे मेरी पार्टी पर गर्व है.. हर वक्त हमेशा मुझे ऐसा लगा..

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मनीष सिसोदिया ने बताया कि जेल के अंदर अखबार वहां खरीदकर मिलते थे. वहां में 2-3 अखबार खरीदता था. टीवी है सेल में. टीवी में एक न्यूज चैनल होता है. वो देख लिजिए.. इतना ही खबरों का सॉर्स था… न्यूज से अपडेट करने का काम अखबार और न्यूज चैनल ने किया. अखबार पढ़ने का शौक कम हो गया था.  वो भी बढ़ गया दोबारा से. समय का सदपुयोग करना. जेल में आप सीख सकते हैं.

अब बीजेपी का संकट शुरू होने वाला है: मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि आम आदमी पार्टी पर संकट आया. ये अब तक का सबसे बड़ा संकट था. आजाद देश में कभी भी किसी सियासी पार्टी पर ऐसे संकट नहीं आया कि उसके शीर्ष नेतृत्व को जेल में डाल दो और केंद्र सरकार उसे कुचलने में लगी हो. लेकिन आज भी आप के नेता, विधायक, कार्यकर्ता, सांसद टूटे नहीं… एक जुट रहे… उसका फायदा आज हमें मिल रहा है.. संकट निकल गया है.. अब तो भाजपा का संकट शुरु हुआ है. अब वो देखे कि उन्हें क्या करना है. अब हम तो नीचे उतरकर लड़ेंगे. पिछले लोकसभा चुनाव से देश की जनता ने भाजपा से कह दिया है कि हम धीरे धीरे आपसे छुटकारा पाएंगे..

मैं पिछले 17 महीने से जेल में था.. जनता के साथ मेरा पहले भी कनेक्ट था.. आप पहले भी देखते थे.. मैं सरकारी दफ्तरों में कम बैठता था.. स्कूलों में,, मार्केट में… लोगों से मिलता रहता था.. पार्कों में मिलता था… अब मैं बाहर आया हूं तो यह लगता है कि सबसे पहले मुझे जनता के बीच और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जान चाहिए… कितने कार्यकर्ता मुझे मिलने चाह रहे हैं.. बुलाना चाह रहे हैं.. 17 महीने से जिन कार्यकर्ता और लोगों से नहीं मिला… उनसे मिलूंगा. यही कारण है कि मैं केजरीवाल जी के जन्मदिन की तारीख से पदयात्रा पर निकल रहा हूं.

“मेरी भूमिका केजरीवाल तय करेंगे”

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सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल जी से तो कोई सलाह मशविरा नहीं हो पायी है. क्योंकि वो जेल में हे. लेकिन वो भी जंल्द  ही बाहर आएंगे. उसके बाद जो भूमिका वो तय करेंगे. लेकिन अभी एकदम फिलहाल की सबसे बड़ी जरूरत लगती है कि पार्टी के उन कार्यकर्ताओं से जिन्होंने 17 महीनों से मेरे लिए दुआएं की.. मेरे परिवार को आकर उनका ख्याल रखा.. या फिर इन सबके खिलाफ लड़ते रहे.. उनके साथ मुझे मिलना चाहिए. अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर उन कार्यकर्ताओं के साथ मिलूंगा ब ैठूंगा… यात्राओं करंगा लोगों से मिलूंगा… अभी मुझे ये ही रोल समझ आ रहा है.. पार्टी के नेताओं को भी ये बात अच्छी लगी.. कि ये आइडिया अच्छा है… लेकिन जब केजरीवाल आएंगे… तब वो भूमिका तय करेंगे..

कांग्रेस के साथ गठबंधन पर क्या कहा?

कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर सिसोदिया ने कहा कि हर पार्टी चुनाव अपने इंटरेस्ट से लड़ती है. सरकार बनानी है.. चुनाव के वक्त साथ रहना या नहीं रहना है. वो चुनाव के समय तय करते रहें हैं. लेकिन देश के लिए एक होने की जरूरत है. देश में लोकतंत्र संकट में है. विपक्षी पार्टियों को अंदर डाला जा रहा है. व्यापारियों पर ईडी और सीबीआई के जरिए शिकंजा कसा जा रहा है… इन सबके लिए एक हो जाओ. तीन महीने बाद चुनाव है और वो भी जिनका चार साल बाद चुनाव है. बाकि चुनाव आएगा जो भाजपा को हरा सकते हैं. वो मिल जाएं. मिलकर हराएं अकेले दम पर जाना है तो अकेले दम पर जाएं.वो चुनाव की रणनीति होगी. लेकिन एकजुट हो जाएं. जैसे हेमंत सोरेने को अंदर डाला. मुझे अंदर डाला शरद पवार की पार्टी तोड़ी,, केजरपीवाल की पार्टी तोड़ी कल को राहुल गांधी, खरगे को भी अंदर डाल देंगे. इन सबको ये सब ना हो इसके लिए इकट्ठा होना पड़ेगा..

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मुझे डर नहीं लगता है, क्योंकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है: सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने शराब घोटाले से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि चीजों से डरकर बैठ गए तो काम नहीं हो पाएगा. अगर गलत किया होता तो जरूर डर लगता. इन्होंने स्कूल के मामले में भी ऐसा ही करने की कोशिश की. अस्पताल, सड़कों के मामले में भी ऐसा ही करने की कोशिश की पानी की मामले में भी की . शराब के मामले में भी की. इन्होंन इतने विधायकों को अंदर डाल दिया दिल्ली के हित के लिए जो भी जरूरी होगा वो करते रहेंगे. दिल्ली में टैक्स रोकने के लिए.. जनता को अच्छी अच्छी योजनाएं… स्कूल अस्पताल बनानकर देने के लिए.. जो भी करना पड़ेगा.. करेंगे.. दिल्ली के चेंजज करने से नहीं डरेंगे.


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