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Jammu Kashmir Exit Poll: नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सबसे आगे,पर्दे के पीछे BJP के साथ कौन


नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद कराए गए एग्जिट पोल के रूझान आ गए हैं. इन रूझानों से पता चलता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभर रहा है. इसके बाद भी उसे अकेले के दम पर बहुमत मिलता हुआ नहीं दिख रहा है. अगर सरकार बनाने की नौबत आती है तो उसे दूसरे दलों और निर्दलियों की मदद की जरूरत पड़ेगी.वहीं बीजेपी का जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का सपना पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है. 

जम्मू कश्मीर में कौन कितनी सीटें जीत सकता है

The Hindkeshariके पोल्स ऑफ पोल्स के मुताबिक राज्य की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन 42 सीटें जीतता हुआ दिख रहा है. वहीं बीजेपी के हिस्से में 27 सीटें आती हुई दिख रही हैं. पीडीपी को सात और अन्य को 14 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं. इस स्थिति में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन को अन्य दलों से समर्थन लेना पड़ेगा. राज्य की विधानसभा में 90 सीटों के लिए चुनाव हुआ है.वहीं पांच सदस्यों को उपराज्यपाल को नामित करना है.नामित सदस्यों के बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 95 हो जाएगी. इसमें  बहुमत के लिए 48 सदस्यों की समर्थन जरूरी हो जाएगा. इस संख्या के पास अभी कोई भी पार्टी जाती हुई नहीं दिख रही है. 

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इस बार जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा है.नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 तो कांग्रेंस ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा है.पांच सीटों पर दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे. इसे फ्रेंडली फाइट का नाम दिया गया है.हालांकि एग्जिट पोल के नतीजों के बाद उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में कहा,”मुझे आश्चर्य है कि चैनल एग्जिट पोल को लेकर परेशान हैं, खासकर हाल के आम चुनावों की विफलता के बाद.मैं चैनलों, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप आदि पर होने वाले सभी शोर को नजरअंदाज कर रहा हूं, क्योंकि केवल आठ अक्टूबर को ही नंबर सामने आएंगे.बाकी सब सिर्फ टाइम पास है.”

क्या बीजेपी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रही हैं नेशनल कॉन्फ्रेंस

अगर एग्जिट पोल के रूझानों को ही रिजल्ट मान लिया जाए तो यह गठबंधन की बड़ी जीत होगी. लेकिन उसे सरकार बनाने के  लिए अन्य दलों के समर्थन की जरूरत होगी. राज्य की दो बड़ी पार्टियां हैं नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी.ये दोनों दल बीजेपी के सहयोगी रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश राज्य मंत्री के पद पर रहे हैं. वहीं पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने 2014 के चुनाव के बाद प्रदेश में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. घाटी में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस बीजेपी के साथ भीउन्हें बैक डोर से बात कर रही है.हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन चर्चाओं का खंडन करते हुए निराधार बताया है.

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कौन कैसे बना सकता है सरकार

इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अगर वह कांग्रेस के साथ रहती है तो उसे अन्य दलों से समर्थन की जरूरत पड़ेगी, लेकिन अगर वह बीजेपी के साथ जाती है, तो केवल बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर ही सरकार बना लेंगे.क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर 25 से अधिक सीटें जीतती नजर आ रही है. घाटी में हो रही इन चर्चाओं पर पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने भी चुटकी ली है.उन्होंने तीन अक्तूबर को ट्वीट किया था, ”नतीजे भले ही आठ अक्तूबर को ही आएं, लेकिन निश्चिंत रहे की 4डी शतरंज शुरू हो चुकी है. जाहिर है मीडिया की चकाचौंध से दूर बहुत कुछ होगा. चिनार के पेड़ों को छोड़कर कश्मीर में कुछ भी सीधा नहीं हैं.” नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीजेपी के साथ पुराने संबंधों को देखते हुए कोई भी उसके खंडन को गंभीरता से नहीं ले रहा है. 

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