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"मैं 5 मिनट में घर पहुंच जाऊंगी…कहकर वो फिर कभी नहीं लौटी": बेटी को याद कर इमोशनल हुईं जिगिशा घोष की मां

“मैं 5 मिनट में घर पहुंच रहीं हूं, मेरा नाश्ता तैयार रखना…” यह उसका आखिरी फोन था,  28 साल की जिगिशा घोष की मां सविता घोष ने टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन केस (Soumya Vishwanathan Case) में 15 साल बाद फैसला आने के बाद उस दर्दनाक दिन को एक बार फिर से याद किया. दरअसल उनकी बेटी जिगिशा और सौम्या की हत्या का आपस में गहरा संबंध है. दोनों ही मामले में आरोपी तीनों व्यक्ति एक ही हैं. ये उस गिरोह के सदस्य हैं, जिन्होंने सौम्या और जिगिशा पर ऑफिस से घर लौटते समय हमला कर मार दिया था.

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साल 2009 में हुई थी जिगिशा घोष की हत्या

आईटी प्रोफेशनल जिगिशा घोष की मार्च 2009 में वसंत विहार में उनके घर से कुछ ही दूरी पर किडनैप कर हत्या कर दी गई थी. उस दिन वह एक अमेरिकी प्रोजेक्ट के लिए प्रेजेंटेशन खत्म करने के बाद सुबह अपने घर वापस लौट रही थीं.  वहीं 25 साल की टीवी पत्रकार सौम्या की हत्या  30 सितंबर 2008 को  वसंत विहार में की गई थी. वारदात के दिन सौम्या भी ऑफिस से घर लौट रही थीं. सौम्या का शव उनकी कार में मिला था और उनके सिर पर चोट लगी हुई थी. 

हालांकि सौम्या की हत्या जिगिशा की हत्या से एक साल पहले हुई थी. लेकिन पुलिस जिगिशा की हत्या मामले में आरोपी रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक को गिरफ्तार करने के बाद ही केस को सुलझाने में सफल हो सकी. जिगिशा की मां सविता घोष ने कहा कि सौम्या का केस एक ब्लाइंड केस था, मेरी बेटी के केस में गिरफ्तारी तक उसका कोई सबूत नहीं था. 

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ऐसे पकड़े गए थे जिगिशा के हत्यारे

जिगिशा की मां ने कहा कि उनकी बेटी के मर्डर के मामले में पुलिस को उसके गहने और उसका मोबाइल समेत कई ठोस सबूत मिले थे. उसके कार्ड से खरीदी गई चीजों का पता लगाया जा सकता था. आरोपियों ने उसके कार्ड से टोपी, कलाई घड़ी और जूते खरीदे थे. लेकिन मेरी बेटी हॉरिजोंटली साइन करती थी, जबकि रवि कपूर ने कार्ड खर्च इस्तेंमाल करने के लिए वर्टिकली साइन किए थे. यह एक क्लियर सबूत था जिससे पता चला कि हत्या का संबंध डकैती से था. 

दिल्ली पुलिस के सामने जब आरोपियों ने कथित तौर पर डकैती की कोशिश में सौम्या विश्वनाथन को गोली मारने की बात कबूल की तो दिल्ली पुलिस दोनों मामलों को कनेक्ट करने में कामयाब रही. सौम्या विश्वनाथन और जिगिशा घोष का परिवार दक्षिणी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक-दूसरे से कुछ ही दूरी पर रहते थे. दोनों मामलों की जांच के शुरुआती दिनों में दोनों ही परिवार एक दूसरे के संपर्क में रहे. लेकिन जिगिशा का मामला पहले ही खत्म हो गया, जिसमें दो दोषियों को मौत की सजा और तीसरे को 2016 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. ये करीब वह समय था जब सौम्या विश्वनाथन के मामले में सरकारी अभियोजक के बदलाव के साथ कानूनी रुकावटें आई थीं.

सौम्या को न्याय मिलने पर जिगिशा की मां ने जताई खुशी

जिगिशा की मां ने कहा कि उनकी बेटी के मामले में दो आरोपियों की मौत की सजा को बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था. मुकदमा ख़त्म होने के बाद वह नोएडा चली गईं, जिसके बाद उनका सौम्या के परिवार के संपर्क खत्म हो गया. लेकिन सौम्या को न्याय मिलने पर उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि  आखिरकार उनके परिवार को न्याय मिला जिसके वे हकदार थे.

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जिगिशा की मां ने कहा कि हालांकि दोनों मामलों में अभियोजन पक्ष सज़ा दिलाने में कामयाब रहा है, फिर भी परिवार अभी भी मामले के ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी बहुत ही शर्मीली थी. उसकी नौकरी तो सिर्फ चार साल ही हुए थे. उसका भविष्य बहुत ही उज्ज्वल था. उन्होंने कहा कि वह आरोपियों के लिए मौत की सजा चाहती थीं. लेकिन ढलती उम्र में वह पहले ही लंबी कानूनी लड़ाई लड़ चुकी थीं इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट में अपील न करने का फैसला किया. बता दें कि सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में दोषियों को 26 अक्टूबर को सजा होनी है.

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