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छत्तीसगढ़ के हिंदी के प्रसिद्ध कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार

Vinod Kumar Shukla Jnanpith Award: हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा. विनोद कुमार शुक्ल के लोकप्रिय उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है. विनोद कुमार शुक्ल रायपुर में रहते हैं और उनका जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था. वे पिछले 50 सालों से लिख रहे हैं. 

पुरस्कार की घोषणा के बाद शुरू हुआ बधाई का तांता

उनका पहला कविता संग्रह “लगभग जयहिंद” 1971 में प्रकाशित हुआ था, और तभी से उनकी लेखनी ने साहित्य जगत में अपना स्थान बना लिया था. विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद कई लोगों ने उन्हें बधाई दी है.  

विनोद कुमार शुक्ल के मशहूर उपन्यास

विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास जैसे ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ हिंदी के सबसे बेहतरीन उपन्यासों में माने जाते हैं. साथ ही उनकी कहानियों का संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ और ‘महाविद्यालय’  भी बहुत चर्चा में रहा है.

विनोद कुमार शुक्ल की काव्यपुस्तकों में ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर’, ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ और ‘कविता से लंबी कविता’ जैसी कृतियाँ तो बेहद लोकप्रिय हुई हैं. विनोद कुमार शुक्ल ने बच्चों के लिए भी किताबें लिखी हैं. जिसमें हरे पत्ते के रंग की पतरंगी और कहीं खो गया नाम का लड़का जैसी किताबें शामिल हैं, जिन्हें बच्चों ने बहुत पसंद किया है. 

विनोद कुमार शुक्ल को पहले भी मिल चुके कई अवार्ड

विनोद कुमार शुक्ल को उनके लेखन के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. जैसे गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, और साहित्य अकादमी पुरस्कार (उनके उपन्यास दीवार में एक खिड़की रहती थी के लिए). इसके अलावा, उन्हें मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर अवार्ड और पेन अमरीका नाबोकॉव अवार्ड भी मिल चुका है. 
 

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