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राज्यसभा में सदन के नेता बनाए गए जेपी नड्डा, पीयूष गोयल की ली जगह


नई दिल्ली:

जेपी नड्डा (JP Nadda) राज्यसभा में सदन के नेता बनाए गए हैं. बीजेपी अध्यक्ष ने राज्यसभा में पीयूष गोयल की जगह ली है. नड्डा के पास केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उर्वरक तथा रसायन मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है. राज्यसभा की वेबसाइट पर भी जेपी नड्डा का नाम बतौर नेता सदन अपडेट कर दिया गया है.

पीएम मोदी ने अपने जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय भी आवंटित किया था. नड्डा ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी स्वास्थ्य मंत्रालय संभाला था. उसके बाद 2019 में उन्हें भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष का पद सौंपा गया और जनवरी 2020 में अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्हें पूर्ण रूप से पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया.

भाजपा अध्यक्ष के तौर पर नड्डा का कार्यकाल इस साल जनवरी में समाप्त हो गया था. उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव की देखरेख के लिए छह महीने का विस्तार दिया गया था. उनका कार्यकाल जून में समाप्त हो रहा है.

63 साल के नड्डा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. वA 1991 में भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष बने.

जेपी नड्डा ने भाजपा में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी. कई राज्यों में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया. अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया है

.नड्डा साल 2012 में राज्यसभा के लिए चुने गए और 2014 में अमित शाह के पार्टी अध्यक्ष बनने पर उन्हें भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया था.

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बीजेपी को नए अध्यक्ष की तलाश
जेपी नड्डा के केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनने के बाद बीजेपी को अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश करनी है. भाजपा में आमतौर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मुताबिक, सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करने की परंपरा रही है. भाजपा के संविधान की धारा-19 के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल करता है, जिसमें राष्ट्रीय और प्रदेश परिषद के सभी सदस्य शामिल होते हैं. इससे पहले पार्टी को जिला से लेकर राज्य स्तर तक चुनाव की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्धारित नियमों के अनुसार ही कराया जाता है.

पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकेगा जो कम से कम चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य और कम से कम 15 वर्ष तक प्राथमिक सदस्य रहा हो. निर्वाचक मंडल में से कोई भी 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की अर्हता रखने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकेंगे. ये संयुक्त प्रस्ताव कम से कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों. नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति आवश्यक है.

इससे पहले आम तौर पर देशभर में पार्टी सदस्यता अभियान भी चलाती है. ऐसे में इस सारी प्रक्रिया को पूरा होने में तीन से चार महीने का वक्त लगता है. यही वजह है कि निर्वाचन प्रक्रिया से गुजर कर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में लगने वाले समय को देखते हुए पार्टी स्तर पर कई विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है.

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पूर्णकालिक अध्यक्ष से पहले कार्यवाहक अध्यक्ष की नियुक्ती संभव
सूत्रों की माने तो, भाजपा पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने तक किसी नेता को उसी तरह से पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है, जैसे 2019 में तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के कैबिनेट मंत्री बनने पर जेपी नड्डा को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति होने तक जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री और पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों का कामकाज देखते रहेंगे.

इसी साल फरवरी में दिल्ली में हुए भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक में पार्टी संविधान में संशोधन करते हुए पार्टी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई संसदीय बोर्ड को आपात स्थिति में पार्टी अध्यक्ष से संबंधित फैसला लेने की शक्ति दी गई. पार्टी का संसदीय बोर्ड परिस्थिति के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाने या घटाने का फैसला कर सकता है. भाजपा के संविधान की धारा-21 में अध्यक्ष के कार्यकाल का जिक्र है. इसके मुताबिक, कोई व्यक्ति तीन-तीन साल के लगातार दो कार्यकाल तक ही भाजपा का अध्यक्ष रह सकता है.


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