देश

'भारत को कमजोर करने वालों के साथ कांग्रेस', राहुल गांधी के बयान पर जेपी नड्डा का पलटवार

राहुल गांधी के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के ‘राम मंदिर’ वाले बयान पर की गई तीखी टिप्‍पणी पर बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस सांसद को आड़े हाथों लिया है. जेपी नड्डा ने पलटवार करते हुए कहा है कि राहुल गांधी की सोच को लोग नकार देंगे. कांग्रेस भारत को कमजोर करनेवालों के साथ रही है. बीजेपी ने अमित मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी ने अब भारत के खिलाफ ही खुली जंग का ऐलान कर दिया है. यह सीधे जॉर्ज सोरोस की प्लेबुक से निकला है. इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आज आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान को लेकर उन पर हमला बोला है. राहुल गांधी का कहना है कि मोहन भागवत ने संविधान का अपमान किया है.

बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने एक्‍स पर पोस्‍ट किया, ‘यह कोई रहस्य नहीं है कि राहुल  गांधी और उनके इकोसिस्‍टम का शहरी नक्सलियों और डीप स्टेट के साथ घनिष्ठ संबंध है, जो भारत को बदनाम करना, नीचा दिखाना और बदनाम करना चाहते हैं. उनकी बार-बार की हरकतों ने भी इस विश्वास को मजबूत किया है. उन्होंने जो कुछ भी किया या कहा है वह भारत को तोड़ने और हमारे समाज को विभाजित करने की दिशा में है.’

यह भी पढ़ें :-  दिल्ली हवाईअड्डे पर CISF की वर्दी पहनकर घूम रही महिला गिरफ्तार

बीजेपी ने अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, ‘राहुल गांधी ने अब भारत के खिलाफ ही खुली जंग का ऐलान कर दिया है. यह सीधे जॉर्ज सोरोस की प्लेबुक से निकला है.’

मोहन भागवत के किस बयान पर हमलावर राहुल

राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर आपत्ति जताई है कि भारत को ‘‘सच्ची आजादी” तब मिली जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ. राहुल गांधी दिल्ली में कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, “हमें एक बहुत ही खास समय पर नया मुख्यालय मिल रहा है. मुझे लगता है कि यह काफी प्रतीकात्मक है कि कल आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को 1947 में कभी स्वतंत्रता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि भारत में सच्ची स्वतंत्रता तब मिली जब राम मंदिर का निर्माण हुआ. उन्होंने कहा कि संविधान हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक नहीं था.”

उन्होंने कहा कि मोहन भागवत हर 2-3 दिन में देश को यह बताते हैं कि वे स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान के बारे में क्या सोचते हैं? भागवत ने कहा कि संविधान अमान्य है और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अमान्य थी. भारत में उन्हें सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत है. उनका यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली हर भारतीय का अपमान है. अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद करें, क्योंकि ये लोग सोचते हैं कि वे बस रटते रहेंगे और चिल्लाते रहेंगे.

यह भी पढ़ें :-  कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार, फिर भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिल रहे उम्मीदवार

मोहन भागवत संविधान निर्माता नहीं हैं : संजय राउत

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर आपत्ति जताई है कि भारत को ‘‘सच्ची आजादी” तब मिली जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ. राउत ने भागवत के बयान पर आपत्ति जताते हुए मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख संविधान के निर्माता नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भगवान राम का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए. राउत ने आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही है.

संजय राउत ने भी बोला हमला

आरएसएस प्रमुख ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि सदियों तक विदेशी आक्रमणों को झेलने वाले भारत को सच्ची आजादी पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ मिली. राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरएसएस प्रमुख एक सम्मानित व्यक्ति हैं, लेकिन वे संविधान के निर्माता नहीं हैं. वे इस देश के कानूनों का मसौदा तैयार नहीं करते या उनमें बदलाव नहीं करते. रामलला के विग्रह का प्राण-प्रतिष्ठा वास्तव में देश के लिए गौरव का क्षण है और मंदिर निर्माण में सभी ने अपना योगदान दिया है, लेकिन, यह दावा करना गलत है कि देश अभी आजाद हुआ है.”

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली थी लेकिन भगवान राम का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. शिवसेना (उबाठा) के नेता ने कहा, ‘‘ रामलला हजारों वर्षों से इस धरती पर विराजमान हैं. हमने उनके लिए लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे, लेकिन रामलला को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने से देश को वास्तविक आजादी नहीं मिलेगी.” भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा दिवस को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाया जाना चाहिए, क्योंकि कई शताब्दियों तक ‘परचक्र’ (विदेशी आक्रमणों) का सामना करने वाले भारत की ‘सच्ची स्वतंत्रता’ उस दिन स्थापित हुई थी.

यह भी पढ़ें :-  संसद की सुरक्षा में सेंध का एक आरोपी सेना की भर्ती में हिस्सा लेने की बात कहकर आया था दिल्ली


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button